किसानों के लिए पेश किया उदाहरण | Fazilka News
फाजिल्का (सच कहूँ/रजनीश रवि)। एकतरफ जहां पंजाब में किसान पराली प्रबंधन के बजाय पराली जलाकर पर्यावरण को प्रदूषित करने के लिए जिम्मेदार बन रहे हैं, वहीं ऐसे किसान भी हैं जो लंबे समय से पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्रयास कर रहे हैं। Fazilka News
ऐसी ही एक मिसाल पेश की है अबोहर की रहने वाली अवनीत कौर सिद्धू ने, जिन्होंने पिछले 12 साल से हर साल अपने खेत में धान की बुआई की है, लेकिन कभी पराली नहीं जलाई। वे उस दौर में भी बिना जलाए पराली का प्रबंधन कर रहे हैं जब मशीनरी की कमी थी। अवनीत कौर सिद्धू बेशक गुड़गांव में रहती हैं, लेकिन जहां वह अपने गृहनगर अबोहर में समाज सेवा में बड़ा योगदान देती हैं, वहीं अपने खेत की पराली न जलाकर एक बेहतरीन मिसाल कायम कर रही हैं।
अवनीत कौर सिद्धू के खेतों की देखभाल करने वाले रुपेश कुमार और लाल चंद ने कहा कि वे हर साल 40 एकड़ में धान की खेती करते हैं और धान की कटाई के बाद वे पुआल की गांठें बनाते हैं और हल को खाली कर देते हैं। जिसके लिए वे गठरी बनाने वालों को प्रति एकड़ 600 रुपए देते हैं और गठरी बनाने के बाद खुद ले जाते हैं। उन्होंने बताया कि 2012 में उन्होंने पहली बार धान लगाया था और तब भी उन्होंने पराली में आग नहीं लगाई थी, बल्कि धान काटने के बाद पराली को काटकर पशुपालकों को दे दिया था। उन्होंने अन्य किसानों से भी अपील की कि वे पराली न जलाएं बल्कि पराली प्रबंधन में अपनी भूमिका निभाकर पर्यावरण की रक्षा करें। Fazilka News
गुड़गांव में रहने वाली अवनीत कौर सिद्धू और कनाडा में रहने वाली उनकी बेटी सहर बाजवा ने बातचीत में कहा कि पर्यावरण की रक्षा हमें खुद करनी होगी। जिसके लिए हम सभी को सोचना होगा, उन्होंने कहा कि पराली प्रबंधन मुश्किल हो सकता है लेकिन असंभव नहीं। जहां पंजाब सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं हमारा भी कर्तव्य है कि हम पराली प्रबंधन में अपना योगदान दें। आइए, पराली न जलाकर पर्यावरण को बचाएं घास और पुआल।वहीं, फाजिल्का की डिप्टी कमिश्नर डॉ. सेनू दुग्गल ने कहा कि अवनीत कौर सिद्धू उन हजारों किसानों के लिए एक मिसाल हैं, जो एक महिला होने के बावजूद अपने समाज और अपने पर्यावरण को लेकर चिंतित हैं। हम सभी को उनसे सीख लेनी चाहिए और पराली को आग नहीं लगानी चाहिए। Fazilka News
यह भी पढ़ें:– Viral: भरी चुनावी सभाओं में सरेआम एक-दूसरे को दे रहे धमकी!