World Cup 2023 Final: खेल में हार जीत होती रहती है, पर इस हार जीत का कभी भी मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। बस सिर्फ खेल को खेल भावना से देखना व खेलना चाहिए। लेकिन दुनिया में क्रिकेट एक ऐसा खेल है, जिस पर पिछले दरवाजे से एक और गेम खेला जाता है, जिसका नाम है सट्टा। हालांकि खेल में जीतने वाले को जो खुशी होती है, उससे ज्यादा दुख हारने वाले को होता है। ऐसा कहा भी जाता है कि समुद्र में वही डूबता है जो तैराक होता है, जिसको तैरना नहीं आता वह कभी समुद्र में छलांग लगाएगा ही नहीं। 2023 क्रिकेट वर्ल्ड कप का मेजबान इस बार भारत रहा और ऐसा भी इतिहास रहा है कि जो भी देश मेजबान रहा हो वह बहुत कम बार वर्ल्ड कप चैंपियन बना है। ऐसा ही भारत के साथ हुआ। हालांकि इस वर्ल्ड कप चैंपियनशिप में जीत का सिकंदर एक बार फिर ऑस्ट्रेलिया बना।
इससे पहले भी ऑस्ट्रेलिया पाँच बार वर्ल्ड कप चैंपियनशिप पर कब्जा कर चुका है। किसी भी स्तर का जब कोई खेल होता है तो उसमें रणनीति, कौशल और टीम भावना काम करती है। वर्तमान में भी भारत के सबसे बड़े स्टेडियम अहमदाबाद में संपन्न हुए वर्ल्ड कप के मैच के दौरान फाइनल में टकराने वाली दोनों टीमों के बीच जबरदस्त टीम भावना देखने को मिली। वर्ल्ड कप फाइनल में दोनों टीमों में अपने आप में दुनिया की टॉप टीमें होती हैं। पर जीत का सेहरा सिर्फ एक ही टीम के सिर पर सजता है। हालांकि भारतीय टीम से देशवासियों को चैंपियन बनने की उम्मीद थी।आंकड़े भी यही बता रहे थे कि भारत चैंपियन बन सकता है,क्योंकि इस वर्ल्ड कप में फाइनल मुकाबले से पहले भारत की टीम अच्छा क्रिकेट खेलते हुए सभी मैच जीत चुके थे। फाइनल, फाइनल ही होता है। इसमें भी एक टीम हारती है तो दूसरी जीतती है। इस दौरान ऑस्ट्रेलिया विजेता तो भारत की टीम उपविजेता बनी।
टीम में शामिल खिलाड़ियों के साथ-साथ देश की जनता को भी मायूस नहीं होना चाहिए। अब नहीं तो कभी फिर चैंपियन का मौका जरूर मिल सकता है। फाइनल मुकाबले में शामिल दोनों टीमों पर जीत का दबाव होता है। कोई टीम अपनी रणनीति से इस दबाव को सह जाती है तो कोई टीम दबाव में आ जाती है। भारत की टीम के साथ ऐसा ही हुआ। निष्पक्ष तौर पर कहा जाए तो फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के टीम की रणनीति कौशल और टीम भावना अपने आप में अलग थी, सोचने वाली थी। तभी तो शुरुआत में टॉस जीतने के बाद ऑस्ट्रेलिया की टीम ने पहले फील्डिंग चुन्नी। यही उनकी रणनीति का सबसे अहम हिस्सा रहा। पहले फील्डिंग करने से टीम को एक लक्ष्य मिल जाता है और इस लक्ष्य को केंद्र बिंदु बनाते हुए टीम में शामिल खिलाडी लक्ष्य का पीछा करते हैं।
खेल ऑस्ट्रेलिया की टीम ने भी अच्छा खेला और भारत की टीम ने भी अपनी तरफ से अच्छा खेल खेला। पर क्रिकेट में ऐसा ही होता है। यही एक ऐसा खेल है जिसमें किसी भी खिलाड़ी से निजी तौर पर कोई मुकाबला न होकर एक टीम का मुकाबला होता है और इस खेल में पासा कभी भी पलट सकता है। आज पूरी दुनिया की नजरें भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए विश्व कप फाइनल के महामुकाबले टिकी रही हैं। इस मैच का आयोजन गुजरात के अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में किया गया। इस मौके पर पीएम मोदी और ऑस्ट्रेलिया के पीएम ने भी हिस्सा लिया। वहीं मैदान में क्रिकेट फैंस की भीड़ देखने लायक थी। ऐसे खास मौके पर हर कोई क्रिकेट से जुड़ी हर छोटी-बड़ी खबर जानने को उत्सुक होता है। 17 वीं शताब्दी में क्रिकेट खेल इंग्लैंड से शुरू हुआ। आज दुनिया के कई देशों ने क्रिकेट को अपनाया है।
विश्व कप की शुरुआत एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट के रूप में हुई थी और इसका पहला टूर्नामेंट 1975 में आयोजित किया गया था। यह वह समय था जब टेस्ट क्रिकेट ही सबसे महत्वपूर्ण प्रारूप में खेला जा रहा था और वनडे क्रिकेट ने एक नई रूपरेखा तैयार की थी। क्रिकेट विश्व कप का आयोजन इस नई रूपरेखा को बढ़ावा देने का एक तरीका बन गया। इसमें अगर किसी देश की सबसे अहम भूमिका मानी जाएगी तो वो इंग्लैंड ही है। आज इतने शानदार क्रिकेट मैच का आयोजन इंग्लैंड की वजह से ही संभव हो सका।
इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड इस विचार को बढ़ावा देने वाला पहला देश बन। 1975 में पहला क्रिकेट विश्व कप आयोजित भी वहीं हुआ। पहली बार 1975 में मैच खेला गया था। ये मैच इंग्लैंड में हुआ था। उस दौरान वेस्ट इंडीज की टीम ने मैच जीता था। साल 1979 में दूसरा कप भी इंग्लैंड में हुआ और इसे वेस्ट इंडीज़ ने जीत हासिस की। 1983 में तीसरा वर्ल्डकप मैच इंग्लैंड में हुआ और यह भारत की टीम ने जीता, जो एक महत्वपूर्ण पल था। क्योंकि यह भारत लिए पहला वनडे विश्व कप था। इसके साथ ही वनडे विश्व कप 1987 से हर चार साल में होता रहा है। और विभिन्न देशों में आयोजित किया गया है। इस बार वर्ल्ड कप की मेजबानी भारत को मिली और ऑस्ट्रेलिया छठी बार क्रिकेट के इतिहास में चैंपियन बना। वाकई ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम बधाई की पात्र है।
डॉ. संदीप सिंहमार।
वरिष्ठ लेखक एवं स्वतंत्र लेखक।