Quitting Smoking: नशे को व्यक्ति की नाश की जड़ माना गया है। ऐसा हमारे सभी धर्मों के साथ-साथ विज्ञान भी मानता है। इसके बावजूद भी भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर नशा बढ़ता जा रहा है। नशा न सिर्फ मनुष्य का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है बल्कि यह विभिन्न प्रकार की बीमारियों की वजह भी बनता है। ऐसी बीमारियों में दिल व फेफड़े के रोगों के अलावा डायबिटीज रोग भी शामिल है। यदि आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो 3 साल पहले तक नशे की गिरफत में आ चुके अफगानिस्तान जैसे देश में 85 फ़ीसदी अफीम की खेती में कमी आई है।
लेकिन भारत में नशे की खपत लगातार बढ़ती जा रही है, जो चिंता का विषय है। ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी’ के आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में लगभग 7.5 लाख लोगों की मौत अवैध ड्रग्स की वजह से हुई। जिनमें से वैध नशे के कारण मौतों का आंकड़ा अलग है। इनमें से लगभग 22000 मौतें भारत में हुईं। सबसे चिंताजनक यह है कि देश में पारंपरिक नशे जैसे कि तम्बाकू,शराब,अफीम के अलावा सिंथेटिक ड्रग्स स्मैक, हिरोइन, आइस, कोकीन, मारिजुआना आदि का सेवन तेज़ गति से बढ़ता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र ऑफिस ऑफ ड्रग एंड कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 में पूरी दुनिया भर में सप्लाई होने वाले कुल गांजा का 6 प्रतिशत यानी लगभग 300 टन गांजा अकेले भारत में जब्त किया गया था।
यही नहीं 2017 में यह मात्रा बढ़कर 353 टन पर पहुँच गया। वहीं चरस की यदि बात की जाए तो 2017 में 3.2 टन चरस जब्त की गई। वर्तमान में नशे के कारोबार का सटीक आंकड़ा उपलब्ध ही नहीं है, लेकिन विभिन्न एजेंसियों से जुड़े आंकड़ों का अनुमान है कि भारत में नशे सालाना अवैध कारोबार लगभग 10 लाख करोड़ रुपए का है। यदि वैध कारोबार को इसमें शामिल कर दिया जाए तो नशे का कारोबार बड़े स्तर पर फल-फूल रहा है जिसका लाइसेंस स्वयं सरकार देती है जिम शराब भी शामिल है। वैसे तो सभी प्रकार के नशे मानव शरीर को खोखला कर देते हैं। यदि इन नशों से सिर्फ धूम्रपान को छोड़ दिया जाए तो फिर भी डायबिटीज दिल के रोगों में फेफड़े के रोगों में भारी कमी आ सकती है।
ड्रग्स के मामले में भारत की स्थिति खराब | Quitting Smoking
इतना ही नहीं भारत में ओपिओड का नशे के रूप में इस्तेमाल ग्लोबल और एशियाई औसत से भी काफी अधिक है। हालांकि कैनबिस, एटीएस और कोकीन जैसे नशे के उपयोग का चलन यहां कम है। फिर भी देश की युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में ज्यादा बढ़ गया है। प्रारंभिक तौर पर युवा नशे को शौकिया तौर पर शुरू करते हैं,जो बाद में लत के रूप में बदल जाती है।
दुनिया में 46 करोड़ से अधिक डायबिटीज के रोगी
विश्व भर में 46 करोड़ से अधिक लोग, डायबिटीज़ की अवस्था में जीवन गुज़ार रहे हैं और करोड़ों अन्य पर इसकी चपेट में आने का जोखिम है। विश्व स्वास्थ्य संगठन मंगलवार को ‘विश्व डायबिटीज़ दिवस’ के अवसर पर आगाह किया है कि इंसुलिन की खोज के 100 वर्ष बाद, लाखों लोगों के लिए ज़रूरी देखभाल अब भी सुलभ नहीं है, जिससे गम्भीर जटिलताओं का जोखिम बढ़ जाता है। संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी और साँझीदार संगठनों के एक सांझे अध्ययन के अनुसार, धूम्रपान छोड़ने से डायबिटीज़ की चपेट में आने और उसके स्वास्थ्य जोखिमों में कमी लाई जा सकती है। पर इसके प्रति संबंधित व्यक्ति की इच्छाशक्ति का होना जरूरी है।
डायबिटीज़ (मधुमेह) लम्बे समय तक जारी रहने वाली एक बीमारी है। यह शरीर में अग्नाश्य द्वारा पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन नहीं बना पाने या फिर इन्सुलिन का कारगर ढंग से इस्तेमाल नहीं कर पाने की वजह से होती है और धूम्रपान या अन्य नशों से यह स्थिति गंभीर बनती जाती है।
डायबिटीज़, रक्त में रक्त शर्करा की मात्रा बढ़ने की एक ऐसी अवस्था है, जिसका देर से पता चलने, या सही ढँग से उपचार ना किए जाने से, हृदय, रक्त धमनियों, आँखों, गुर्दों और स्नायुतन्त्रों को गम्भीर नुक़सान पहुँच सकता है।
संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी के स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस अवस्था में लोगों को निरन्तर देखभाल व समर्थन की आवश्यकता होती है, ताकि इससे होने वाली जटिलताओं से बचा जा सके।डायबिटीज़ के कारण दृष्टिहीनता, गुर्दे ख़राब होने, हृदयाघात होने और शरीर के कुछ अंगों को काटने समेत अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ पेश आ सकती हैं।
डायबिटीज़ के दो प्रकार | Type of Diabetes
विश्वभर में डायबिटीज के 2 प्रकार मिलते हैं। टाइप 2 डायबिटीज़ की रोकथाम सम्भव नहीं है,मगर स्वस्थ आहार, शारीरिक सक्रियता और तम्बाकू का सेवन नहीं करने से टाइप 2 डायबिटीज़ से बचा जा सकता है या रोग को पूरी तरह होने में देरी की जा सकती है। चिकित्सकों को भी डायबिटीज के प्रकार जाँच कर ही दवाई शुरू करनी चाहिए, ऐसा नहीं किया जाता। जिसकी वजह से डायबिटीज पीड़ित लोगों को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है।
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने चेतावनी जारी की है कि विश्व भर में इस बीमारी का फैलाव, 1980 के बाद से अब तक लगभग दोगुना हो चुका है। वयस्क आबादी में यह 4.7 प्रतिशत से बढ़कर 8.5 प्रतिशत तक पहुँच गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, ये आँकड़े, अधिक वज़न होने या मोटापे की अवस्था में जीवन गुज़ारने वाले लोगों की संख्या में हुई वृद्धि को दर्शाते हैं। पिछले एक दशक में,उच्च-आय वाले देशों की तुलना में निम्न-और मध्य-आय वाले देशों में डायबिटीज़ के मामले ज़्यादा तेज़ी से बढ़े हैं। स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के लिए कार्यालय ने डायबिटीज़ की चुनौती पर पार पाने के लिये चार उपाय अहम बताए हैं।
पहला, देखभाल सेवा कवरेज में मौजूदा कमियों को दूर करने के लिए समयबद्ध लक्ष्यों को स्थापित किया जाना। इस क्रम में,समता को सुनिश्चित किया जाना अहम होगा।दूसरा, कारगर, किफ़ायती और सन्दर्भ के अनुरूप उपयुक्त उपायों की पहचान करते हुए, उन्हें अमल में लाया जाना होगा।तीसरा, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवा को मज़बूती प्रदान करनी होगी, ताकि समय पर निदान, जाँच, और गुणवत्तापरक देखभाल बिना किसी भेदभाव के उपलब्ध व सुलभ हो। सभी देशों को राष्ट्रीय पैकेज में अति-आवश्यक दवाओं और प्राथमिकता वाले उपकरणों की सुलभता को बढ़ावा देना होगा, जिनमें इन्सुलिन भी है।
धूम्रपान और डायबिटीज़ | Smoking and Diabetes
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी और सांझेदार संगठनों द्वारा तैयार एक नीतिपत्र के अनुसार, धूम्रपान की आदत त्यागने से टाइप 2 डायबिटीज़ के ख़तरे को 30-40 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। बताया गया है कि धूम्रपान छोड़ने से ना केवल टाइप-2 डायबिटीज़ की चपेट में आने के जोखिम में कमी आती है, बल्कि मधुमेह से होने वाली जटिलताओं का जोखिम भी कम होता है। तथ्य दर्शाते हैं कि धूम्रपान करने से, शरीर की रक्तचाप के स्तर को नियमित करने की क्षमता प्रभावित होती है, जोकि टाइप-2 डायबिटीज़ की वजह बन सकता है। Quitting Smoking
धूम्रपान से डायबिटीज़-सम्बन्धी जटिलताओं, जैसेकि हृदयवाहिनी सम्बन्धी रोग, गुर्दे ख़राब होने और दृष्टिहीनता का ख़तरा भी बढ़ जाता है, और घावों के भरने में अधिक समय लगता है। इन्हीं सभी तथ्यों व आंकड़ों पर गौर करते हुए धूम्रपान को तुरंत प्रभाव से छोड़ देना मानव शरीर के लिए उचित होगा, नहीं तो भविष्य में डायबिटीज के मरीज दुनिया भर में इतनी बढ़ जाएंगे कि इन्हें संभालना स्वास्थ्य विभाग के लिए मुश्किल हो जाएगा। डॉ. संदीप सिंहमार, वरिष्ठ लेखक एवं स्वतंत्र लेखक।
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