WMO ALERT: जलवायु परिवर्तन (Climate Change) व प्रशांत महासागर में बने अलनीनो का प्रभाव (El Nino effect) भारत में ही नहीं बल्कि वैश्विक तौर पर देखने को मिल रहा है। जिसकी वजह से विश्व में किसी देश में सूखे जैसी स्थिति है तो कोई देश बाढ़ की चपेट में है। जिन देशों में अब तक सर्दी का मौसम बन जाना था, वह देश भी अब तक गर्म बने हुए हैं, जिनमे भारत भी शामिल है। संयुक्त राष्ट्र के मौसम वैज्ञानिकों की ताजा रिपोर्ट के अनुसार इस बार अक्टूबर महीना सबसे गर्म रहा है ऐसा 2020-21 के बाद पहली बार हुआ है। El Nino Effect
संयुक्त राष्ट्र के मौसम वैज्ञानिकों ने पूरी दुनिया को चेतावनी देते हुए कहा कि वर्ष 2023 अन्य वर्षो की तुलना में गर्म रहने की ही संभावना है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन डब्ल्यूएमओ (WMO) ने अपने सन्देश में कहा है कि अल नीनो प्रभाव अगले वर्ष भी जारी रहेगा, जिससे तापमान वृद्धि के जारी रहने की संभावना बनी रहेगी संगठन ने कहा है कि इस वर्ष अभी तक, वैश्विक औसत तापमान, अभी तक के रिकॉर्ड के अनुसार, सबसे ऊँचा है, जोकि पूर्व-औद्योगिक स्तरों से, 1.43 डिग्री सैल्सियस ऊपर है।
अल नीनो जलवायु रुझान अप्रैल 2024 तक जारी रहेगा
साथ ही, अंटार्कटिक में समुद्री हिम का स्तर रिकॉर्ड निम्न है यूएन मौसम विज्ञान संगठन की अपेक्षा के अनुसार, गर्माता अल नीनो जलवायु रुझान,अप्रैल 2024 तक जारी रहेगा जिससे,तापमान में और अधिक वृद्धि होगी। इसे भारत जैसे देश के लिए एक चेतावनी के रूप में समझ जाना चाहिए।
संगठन के अध्यक्ष पैटेरी टालस ने कहा कि वैसे तो अल नीनो प्रभाव प्राकृतिक रूप से घटता है,मगर यह जलवायु परिवर्तन के सन्दर्भ में होता है जिसे, मानव गतिविधियों के परिणाम स्वरूप गर्मी को सोख़ने वाली ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते जमाव से बढ़ावा मिलता है। जिसका असर पूरी मानव जाति के साथ-साथ प्रकृति पर भी पड़ता है। उन्होंने आगाह किया कि ताप लहरें, सूखा, जंगली आग, भारी वर्षा और बाढ़ जैसी मौसम की अत्यन्त चरम घटनाएँ, कुछ क्षेत्रों में और भी बदतर होंगी। पैटेरी टालस ने कहा, ‘इसीलिए, विश्व मौसम संगठन, ज़िन्दगियों को बचाने और आर्थिक नुक़सान कम करने के लिए, सभी के लिए पूर्व चेतावनी पहल, के लिए प्रतिबद्ध है।’
इससे पहले वर्ष 2016 में भी एलनीनो का प्रभाव पूरे विश्व भर में देखने को मिला था। जिसमें असाधारण रूप से मज़बूत अल नीनो और जलवायु परिवर्तन का बहुत बड़ा हाथ रहा था।
0.40 फीसदी अधिक रहा तापमान
विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने कहा है कि इस वर्ष अक्टूबर महीना, रिकॉर्ड पर अभी का सबसे गर्म महीना रहा है, जोकि 1991-2020 के औसत तापमान से 0.85 डिग्री सैल्सियस, और अतीत में सर्वाधिक गर्म रहे अक्टूबर महीने से, 0.40 डिग्री सैल्सियस अधिक रहा।अक्टूबर ऐसा लगातार छठा महीना रहा है, जिसमें अंटार्कटिक समुद्र में हिम विस्तार रिकॉर्ड निम्न स्तर पर रहा। आर्कटिक समुद्र का हिम विस्तार, अक्टूबर के लिए,अपने सातवें निम्न बिन्दु पर पहुँचा। संगठन का कहना है कि अक्टूबर 2023 में, कुल बारिश या नमी, लगभग पूरे योरोप में, औसत से ऊपर रही।
बाबेट तूफ़ान ने उत्तरी योरोप में दस्तक दी,और ऐलीन तूफ़ान ने, पुर्तगाल और स्पेन को प्रभावित किया,जिस दौरान भारी बारिश हुई और बाढ़ें आईं। ध्यान रहे कि दक्षिण पश्चिम मानसून की शुरुआत से ही भारत में भी बिपरजाय चक्रवात ने पूरे मॉनसून चक्र को बिगाड़ कर छोड़ दिया था। जिसकी वजह से राजस्थान जैसे इलाके में भी बाढ़ के हालात देखने को मिले व हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड जैसे राज्यों में बादल फटने के कारण हिमस्खलन हुआ तो हरियाणा ऐसा राज्य बना जिसके हिसार, फतेहाबाद, सिरसा, जींद, भिवानी, चरखी-दादरी जिलों में सूखे जैसे हालात बने।
उत्तर भारत मे बदला मौसम,प्रदूषण से मिली राहत | El Nino Effect
हरियाणा राज्य सहित दिल्ली एनसीआर में पश्चिमिविक्षोभ के आंशिक प्रभाव से 9 नवंबर रात्रि से मौसम बदल चुका है। इस बदलाव के बाद 9 नवंबर रात्रि से ही बदलवाई बनी हुई है। दिल्ली एनसीआर में रात भर से हो रही बूंदाबांदी के बाद वायु गुणवत्ता सूचकांक में सुधार हुआ है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विभागाध्यक्ष डॉ मदन खीचड़ ने 10 नवंबर को कहीं कहीं गरजचमक व हवाओं के साथ छिटपुट बूंदाबांदी होने की संभावना जताई है। हरियाणा में कहीं कहीं पर हल्की बूंदाबांदी की शुरुआत हो भी चुकी है। इस बूंदाबांदी के बाद वायुमंडल की परत में बने प्रदूषण के स्तर में भी गिरावट की संभावना है। इसके बाद 11 नवंबर से मौसम खुश्क तथा उत्तरपश्चिमी हवाएं चलने से रात्रि तापमान में गिरावट की संभावना बनी रहेगी। El Nino Effect
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