नई दिल्ली। Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने जज के लिए मौत की सजा की मांग करने वाले आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्र को छह महीने जेल की सजा सुनाई है। वहीं न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति शैलिंदर कौर की पीठ ने कहा कि वादी नरेश शर्मा को अपने आचरण और कार्यों पर कोई पश्चाताप नहीं है। बता दें कि नरेश के खिलाफ अगस्त में आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू की गई थी।
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इस संबंध में पीठ ने कहा कि नरेश को अदालत की अवमानना अधिनियम-1971 का दोषी पाया गया है जिसके आधार पर उन्हें दो हजार रुपये के जुर्माने के साथ 6 माह की साधारण कारावास की सजा सुनाई जाती है। जुर्माना न देने की सूरत में 7 दिनों की अतिरिक्त साधारण कैद भुगतनी पड़ सकती है। अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया है कि शर्मा को हिरासत में लेकर तिहाड़ जेल को सौंपे। पीठ ने शर्मा का दोष बताते हुए कहा कि शर्मा ने अपनी शिकायत में एकल न्यायाधीश को चोर कहा था। इस पर पीठ ने हैरानी व्यक्त करते हुए कहा कि देश का एक जिम्मेदार नागरिक होते हुए उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे न्यायालय की गरिमा और कानून की न्यायिक प्रक्रिया को बनाए रखें व अपनी शिकायतों को सभ्य तरीके से पेश रखे। Delhi High Court
अदालत ने कहा कि अवमाननाकर्ता को कारण बताओ नोटिस जारी होने के बावजूद उसने अत्यधिक अपमानजनक जवाब दायर किया। इस दौरान अवमाननाकर्ता ने आक्रोश में आकर याचिकाओं को प्राथमिकता दी। यह टिप्पणी अदालत ने 20 जुलाई को पारित एकल पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली नरेश शर्मा की अपील पर सुनवाई करते हुए की। इससे पहले नरेश शर्मा ने एकल न्यायाधीश के समक्ष आरोप लगाया था कि भारत के संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है। नरेश शर्मा द्वारा अपील दायर कर 20 जुलाई के एकल पीठ के निर्णय को चुनौती दी थी। लेकिन एकल पीठ ने नरेश शर्मा की याचिका को खारिज कर दिया और उस पर 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया दिया था। नरेश ने उक्त याचिका में आरोप लगाया था कि भारत के संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत उनके मौलिक अधिकार का हनन किया जा रहा है।