नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। UHBVN: उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (यूएचबीवीएन) ने 2014-15 से 2020-21 के बीच अपने सकल तकनीकी और वाणिज्यिक (एटीएंडसी) घाटे का अनुपात 34 प्रतिशत से घटाकर 17 प्रतिशत तक कर लिया। यह जानकारी काउंसिल आॅन एनर्जी, इनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) की मंगलवार को जारी एक अध्ययन रिपोर्ट में दी गयी है। बिजली वितरण कंपनियों के एटीएंडसी घाटे को उसकी वित्तीय सेहत का प्रतिबिंब माना जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए यूएचबीवीएन की बिजली की सकल हानि का स्तर और भी कम होकर 14 प्रतिशत पर आ गया, जबकि इसी दौरान अखिल भारतीय स्तर पर एटीएंडसी नुकसान सीमित हो होकर 16.43 प्रतिशत रहा।
समीक्षाधीन छह वर्षों में यूएचबीवीएन (UHBVN) बिलिंग दक्षता लगभग 69 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 83 प्रतिशत पहुंच गई। कंपनी ने उपभोक्ता कनेक्शनों की लगभग संपूर्ण मीटरिंग, उपभोक्ताओं तक समय पर बिजली बिल पहुंचाने के लिए एकीकृत बिलिंग डेटाबेस बनाने, और ज्यादा नुकसान वाले गांवों में ‘म्हारा गांव जगमग गांव’ जैसे कई विशेष प्रयासों से यह सुधार किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन से बिजली बनाने की उत्पादन क्षमता हासिल करने तथा और 2070 तक घरेलू अर्थव्यवस्था में कार्बन उत्सर्जन के स्तर में वृद्धि शून्य करने की प्रतिबद्धता पूरी करने के लिए डिस्कॉम का वित्तीय रूप से मजबूत होना बहुत आवश्यक है, लेकिन भारत के अधिकांश डिस्कॉम भारी नुकसान का सामना कर रहे हैं।
वित्त वर्ष 2020-21 में राष्ट्रीय स्तर पर एटीएंडसी घाटा 22.3 प्रतिशत था। इस रिपोर्ट में यूएचबीवीएन (UHBVN) को एक केस स्टडी के तौर पर उपयोग किया गया है, जिसने राष्ट्रीय रुझानों की तुलना में काफी तेजी से अपनी हानियों को कम करने में सफलता पाई है। यूएचबीवीएन को वित्त वर्ष 2018-19 के बाद से शीर्ष 10 डिस्कॉम में स्थान मिल रहा है और यह राजस्व बचत कर रहे देश के सीमित संख्या के सरकारी डिस्कॉम में एक है। हालांकि, अभी कई चुनौतियां हैं, जिनको दूर करने की जरूरत है।
सीईईडब्ल्यू की वरिष्ठ प्रोग्राम लीड शालू अग्रवाल ने कहा, भारत पिछले दशक में सभी घरों तक विद्युतीकरण पहुंचाने के महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंचा। इस दशक में लक्ष्य बिजली वितरण कंपनियों की सेहत को सुधारना और उन्हें डिजिटल बनाना होना चाहिए ताकि वे स्वच्छ, विश्वसनीय और सस्ती बिजली आपूर्ति सुनिश्चित कर सके। सीईईडब्ल्यू रिपोर्ट में कहा पाया गया है कि अब भी खास कर ग्रामीण क्षेत्रों में यूएचबीवीएन के बिल वितरण में देरी, मीटर रीडरों के लिए असमान कार्यभार और अपर्याप्त कमीशन जैसे मुद्दों को सुधारने की जरूरत है। बिजली चोरी का भी प्रचलन है, जिससे निपटना एक चुनौती है।
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