First time Use war room in elections: जब भी किन्हीं दो देश के बीच युद्ध होता है तो उस वक्त संबंधित देशों में वॉर रूम बनाया जाता है। इसका मकसद जहाँ आमजनमानस को मदद देने होता है,वहीं जनसंचार के विभिन्न माध्यमों पर चलने वाली खबरों को ट्रैक करना होता है। किस चैनल या न्यूज़ पेपर में किस प्रकार की खबरें दिखाई जा रही है। यदि खबरें संबंधित देश की संप्रभुता या आंतरिक और बाह्य सुरक्षा को खतरा दिखाने वाले समाचार हो तो सरकार जनसंचार के माध्यम पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध भी लगा सकती है। ताकि देश में माहौल बिगड़ने से बच सके। ऐसा पहले भी होता आया है। युद्ध या संघर्ष वाले स्थान पर आजकल इंटरनेट बंद करना भी इसका एक नया उदाहरण है। Assembly Election 2023
चुनाव में वॉर रूम का प्रयोग पहली बार | Assembly Election 2023
जब भी किसी स्थान पर जब कोई ऐसा आंदोलन होता है, जिससे दंगा भड़काने की उम्मीद हो तो सरकार तुरंत प्रभाव से संबंधित क्षेत्र में डोंगल/मोबाइल आधारित इंटरनेट व्यवस्था को बंद करवा देती है। क्योंकि आंदोलन करने वाले इसी इंटरनेट के माध्यम से अफवाह फैला सकते हैं। ऐसा कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए किया जाता है। वर्तमान समय में भारतीय निर्वाचन आयोग राजस्थान सहित भारत के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव करवाने जा रहा है। पर जिस वॉर रूम का प्रयोग युद्ध के दौरान होता आया है। Assembly Election 2023
राजनीति में इसका प्रयोग पहली बार देखा जा रहा है। राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों ने इस बार अपने-अपने निगरानी कक्ष बनाए हैं, उन्हें वॉर रूम की संज्ञा दी गई है। ऐसा भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस दोनों ने किया है। हालांकि इस वॉर रूम का मकसद किसी भी घटना को ट्रैक करना नहीं है, बल्कि राजनीतिक भाषणबाजी पर निगरानी रखना है। खास बात यह है कि इन वॉर रूम में कई- कई स्मार्ट टीवी लगाकर प्रत्येक छोटे से बड़े चैनल पर नजर रखी जा रही है। किस राजनीतिक पार्टी ने अपनी रैली में दूसरी पार्टी के खिलाफ क्या बोला, यह नोट किया जा रहा है।
राजनीतिक वॉर रूम में इंटेलिजेंस एक्सपर्ट काम कर रहे हैं | Assembly Election 2023
इस पर आधारित फिर दूसरी राजनीतिक पार्टी अपनी रणनीति तय करते हुए अगली रैली में इसका जवाब आम जनता के देती है। विशेष बात यह है कि जिस प्रकार वॉर रूम में इंटेलिजेंस ब्यूरो काम करती है, ठीक उसी प्रकार से इन राजनीतिक वॉर रूम में भी इंटेलिजेंस एक्सपर्ट काम कर रहे हैं। लेकिन यह सरकारी तंत्र नहीं बल्कि निजी तौर पर काम किया जा रहा है। पर उसमें उन सभी तौर तरीकों का प्रयोग हो रहा है जो विभिन्न प्रकार के खुफिया एजेंसी करती है।
इस दौरान आदर्श आचार संहिता लागू होने की वजह से सरकारी मशीनरी का प्रयोग नहीं किया जा सकता। एक ओर खास बात,हो सकता है किसी भी आंदोलन या जंग में खुफिया तंत्र से किसी भी प्रकार की चूक हो जाए लेकिन राजनीतिक खुफिया तंत्र में पूरी टीम 24 घंटे काम कर रही है। वॉर रूम बैठकर विभिन्न सर्च इंजन के माध्यम से विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के पिछले वीडियो निकल जा रहे हैं कि पिछले दिनों में आम जनता के हित में किसने क्या बोला था? क्या पूरा किया क्या-क्या अधूरा है, ताकि इस बात को आधार बनाकर रैली के दौरान दूसरी राजनीतिक पार्टी को घेरा जा सके। लेकिन बड़े ही गुप्त तरीके से चलने वाले इन वॉर रूम के बारे में आम जनता को नहीं पता है।
अचानक सामने आई 10 या 15 साल पुरानी यह वीडियो | Assembly Election 2023
आम जनता तो सिर्फ यही सोचती है कि पिछले 10 या 15 साल पुरानी यह वीडियो अचानक से किस प्रकार सामने आ गई। पर यह सब राजनीतिक वॉर रूम से किया जा रहा है। इस वह रूम में तैनात निजी कंपनियों का या राजनीतिक कार्यकर्ताओं का काम सोशल मीडिया पर भी नजर रखना है। अपनी पार्टी के संबंध में पॉजिटिव वीडियो को तुरंत सोशल मीडिया पर अपलोड करना व दूसरी राजनीतिक पार्टी ने जो अपलोड किया है, उस पर नजर बनाए रखना भी इनकी ड्यूटी लगाई गई है। यह राजनीति है,इसमें कुछ भी संभव है। सत्ता की कुर्सी हासिल करने के लिए नेता कुछ भी कर सकता है।
साम, दाम,दंड-भेद नीति का प्रयोग हमेशा राजनीति में ही होता है। एक बार राज मिलने के बाद जनता से किए गए वादे पूरे हो या ना हो इसका राजनीतिक लोगों को कोई लेना-देना नहीं होता। ना ही उन पर किसी प्रकार का कोई फर्क पड़ता। लेकिन जिस बात से सत्तासीन सरकार को नुकसान होता दिखाई दे, उसको तुरंत पूरा करने का काम भी राजनीति में कर दिया जाता है। ताकि आम जनता को एक बार दोबारा फिर लुभाया जा सके। केंद्र सरकार द्वारा कृषि सुधारो के लिए लाए गए तीन कृषि कानूनों का उदाहरण सबके सामने है। इनको रद्द करवाने के लिए देशभर के किसानों ने दिल्ली में करीब 13 महीने तक आंदोलन किया था। Assembly Election 2023
राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी अपनी सरकार बनाएगी?
लेकिन पंजाब विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही गुरु नानक जयंती पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन तीन कृषि कानून को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया था। पर उसके बावजूद भी भारतीय जनता पार्टी को पंजाब में कोई सहानुभूति नहीं मिली व आम आदमी पार्टी सरकार बनाने में कामयाब हो गई। हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस का भी सुपड़ा साफ हुआ था। यहाँ यह जानना भी उचित होगा की राजस्थान की राजनीति का इतिहास रहा है कि यहां हर विधानसभा चुनाव में सरकार बदलती है। एक बार कांग्रेस सत्ता में आती है तो दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी अपनी सरकार बनाती है। इस बार देखना होगा राजस्थान की जनता इसी रीत को निभाएगी या फिर कोई उलट फेर होगा। यह भविष्य में देखने वाला सवाल है? Assembly Election 2023
डॉ संदीप सिंहमार। वरिष्ठ लेखक एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार।
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