चपरासी पदों पर लगने के लिए ढाई लाख इंजीनियर्स भी तैयार!
Government Jobs: कितने ही भारतीय ऐसे हैं जिन्हें सरकारी नौकरियाँ ही भाती हैं चाहे वो चपरासी की ही क्यों न हो। ज्यादातर भारतीयों में सरकारी नौकरी का भूत सवार रहता है। यहां के हर व्यक्ति को सरकारी नौकरी ही चाहिए। उसके लिए छोटी या बड़ी कोई मायने नहीं रखती। बस सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए।
आपने भी भारत देश में ज्यादातर लोगों को कहते सुना होगा कि ‘बस सरकारी नौकरी मिल जाए, उसके बाद तो…। यहां अधिकतर देखने में आता है कि कोई भी सरकारी नौकरी का 1 पद निकल जाए, उसी के लिए लाखों आवेदन प्राप्त हो जाते हैं। आवेदन भी ऐसे-ऐसे प्राप्त होते हैं कि आप जानकर हैरान हो जाएंगे। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको ऐसे ही अजीबोगरीब आवेदनों की जानकारी दी जा रही है, जब आवेदनकर्ताओं ने सरकारी नौकरी पाने के लिए सारी हदें ही पार कर दी। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत देश में सरकारी नौकरी पाने के लिए लोगों में कितना क्रेज है। Government Jobs
सरकारी नौकरी पाने की चाहत का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि वर्ष 2015 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सचिवालय में चपरासी के 368 पदों पर भर्तियां निकाली गई थी। इन थोड़े से पदों के लिए लगभग 23 लाख आवेदन आमंत्रित हुए थे। और भी हैरानीजनक बात यह है कि इन आवेदनकर्ताओं में ग्रेजुएट्स, पोस्ट ग्रेजुएट यहां तक पीएचडी धारक भी शामिल थे। योग्यता के बारे में आप जानेंगे तो और भी जोर का झटका लग सकता है। आवेदन के लिए जो न्यूनतम योग्यता मांगी गई थी वो पांचवीं पास मांगी गई थी। बता दें कि 368 पदों पर चपरासी की नौकरी पाने के लिए 255 पीएचडी धारकों ने भी आवेदन किए थे। इसके अलावा ढाई लाख के करीब इंजीनियरिंग डिग्री वाले आवेदनकर्ता थे।
इसका एक कारण और भी हो सकता है कि सरकार ने 12 साल बाद इन पदों पर भर्तियां निकाली थीं। आप ही सोचो कि अगर इन सभी का इंटरव्यू किया जाता तो चार साल के लगभग का समय लग जाना था।
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इसी प्रकार वर्ष 2017 में पश्चिम बंगाल में भी नजारा कुछ ऐसा ही था। जहां पर ग्रुप डी के लिए 6000 पदों पर आवेदन आमंत्रित किए गए थे। इनमें भी चपरासी के लिए आवेदन मांगे गए थे। आप भी यह जानकर चौक जाएंगे कि इन भर्तियों के लिए 25 लाख के करीब लोगों ने आवेदन किए थे। इन आवेदकों में भी बड़ी संख्या में पीएचडी, ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट शामिल थे। वैसे ही पिछले वर्ष मुंबई पुलिस ने भी कॉन्स्टेबल पदों पर 1,137 भर्तियां निकाली थी, जिनके लिए दो लाख आवेदन प्राप्त हुए थे। इन आवेदनकतार्ओं में विशेषकर डॉक्टर, इंजीनियर और वकील भी शामिल थे।
बता दें कि हाल में जो नियुक्ति प्रक्रिया हुई उसमें 7 डॉक्टरों और करीब 450 इंजीनियरों ने चपरासी की नौकरी ज्वॉइन कर ली। जब उनसे इसका कारण पूछा तो सभी ने अपने-अपने तर्क भी दिए। इन सबको देखकर आप ही अंदाजा लगा सकते हैं कि इसे सरकारी नौकरी के प्रति लोगों का क्रेज कहें या रोजगार की कमी। वहीं चपरासी सहित वर्ग-4 के पदों पर नौकरी के इच्छुक हजारों की संख्या में डॉक्टरों, इंजीनियरों और स्नातक अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे। जोकि गुजरात उच्च न्यायालय और अधीनस्थ अदालतों में चपरासी सहित वर्ग-4 के कुल 1149 पदों को भरने के लिए निकाली गई थीं, जिसके लिए कुल 1,59,278 लोगों ने आवेदन किए थे। इनमें से 44,958 स्नातक डिग्री धारक रहे। चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद 7 डॉक्टरों, 450 इंजीनियरों और 543 स्नातकों ने वर्ग-4 की नौकरी ज्वाइन की थीी। जिनका वेतन मात्र 30 हजार रुपये ही होगा।
गत वीरवार को राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले साल एक मार्च तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में कुल 6.83 लाख पद खाली पड़े हैं। इनमें ग्रुप ‘ए’ में 19,896, ग्रुप ‘बी’ में करीब 90 हजार और ग्रुप ‘सी’ में करीब 5.74 लाख पद खाली पड़े हैं। इन 6.83 लाख में से करीब 85 फीसदी नौकरियां ग्रुप ‘सी’ में ही हैं। यानी बड़े पदों पर नौकरियों की कमी हंै। ज्यादातर नौकरियां ग्रुप सी और डी में ही निकल रही हैं। कारण और भी है कि उम्मीदवार उच्च शिक्षा, इंजीनियरिंग, एमबीबीएस और वकालत करने के बाद भी पांचवी और आठवीं पास की योग्यता वाली भर्तियों के लिए बड़ी संख्या में आवेदन करते हैं, आवेदन ही नहीं करते बल्कि नौकरियां भी ज्वॉइन करते हैं।