पशु कल्याण व पशु अधिकारों को चिन्हित करने के लिए प्रतिवर्ष 4 अक्तूबर को विश्व पशु कल्याण दिवस (World Animal Day) मनाया जाता है। यह दिवस हमें पशु पक्षियों के प्रति हमारी जिम्मेदारियों की याद दिलाता है। वर्ष 1925 में जर्मन लेखक हैनरिक जिमरमैन ने पहली बार बर्लिन शहर में पशु कल्याण दिवस का आयोजन किया। तत्पश्चात वर्ष 1931 से यह प्रतिवर्ष 4 अक्तूबर को मनाया जाने लगा। इस दिन का उद्देश्य मूल रूप से दुनिया भर में पशु कल्याण मानकों और समर्थन को एकीकृत करना है। यह दिन जानवरों की देखभाल और प्यार करने वाले व्यक्तियों, समूहों और संगठनों की भागीदारी को बढ़ावा देता है।
आज के समय में जब मनुष्य अपने फायदे के लिए पशुपालन का औद्योगिकीकरण कर रहा है, ऐसे में एनिमल वेलफेयर या पशु कल्याण पर ही सर्वाधिक दुष्प्रभाव पड़ा है। पालतू पशुओं का इतिहास मानव सभ्यता के साथ सदियों से जुड़ा रहा है। पशुपालन में हमेशा से ही मनुष्य का हित निहित रहा है, परंतु आदिकाल में मनुष्य अपने हित के साथ साथ पशु पक्षियों के हितों का भी संपूर्ण ख्याल रखता रहा है। 20 वी सदी के आते आते, मनुष्य का स्वार्थ पशु अधिकारों पर हावी होने लगा और हमने पशुओं की मूलभूत आजादी को भी उनसे छीन लिया। इंटेंसिव फार्मिंग की तरफ बढ़ते बढ़ते हमने विभिन्न पशु पक्षियों को पिंजरों में कैद कर दिया। इस प्रकार इंटेंसिव फार्मिंग को फैक्ट्री फार्मिंग में बदला गया।
वर्ष 1964 में लेखिका “रूथ हैरिसन” द्वारा लिखी गई किताब “एनिमल मशीन” में पशुओं की व्यथा का मार्मिक वर्णन किया गया है। इस किताब के प्रकाशित होने के बाद, ब्रिटेन के लोगों में पशुओं के प्रति संवेदना व पशु क्रूरता के प्रति रोष पैदा हुआ। तत्पश्चात ब्रिटिश सरकार ने 1965 में रोजर ब्रेमबेल की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया, जिसने पशुपालन के तरीकों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में पशुओं की आजादी के 5 मुख्य बिंदुओं पर विस्तृत जानकारी दी गई है।
1. भूख व प्यास से आजादी।
2. असहजता से आजादी।
3. दर्द व बीमारी से आजादी।
4. डर व तनाव से आजादी।
5. सामान्य व्यवहार करने की आजादी।
विश्व पशु कल्याण दिवस (World Animal Day) ही हमे याद दिलाता है कि पशुओं के अधिकार और उनकी आजादी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी किसी इंसान की। सभी पशुपालकों व पशु प्रेमियों को यह अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी पशु पक्षी इन पांच मूलभूत आजादी से वंचित न रहे।
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