Prevention Tips for Cholesterol in Pregnancy: गर्भवती महिलाओं को अपनी डाइट को लेकर बहुत अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है। इसमें शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करना भी शामिल है। गर्भावस्था में शरीर में खराब कोलेस्ट्रोल बढ़ने से न सिर्फ मां की सेहत पर असर पड़ता बल्कि आने वाले बच्चे की सेहत पर भी भारी असर पड़ सकता है, ऐसा माना जाता है कि गर्भावस्था की पहली तिमाही में कोलेस्ट्रॉल लेवल 1.4 और 2.2 मिलीग्राम/एमएल के बीच हो सकता है। दूसरी तिमाही में 1.8 और 3 मिलीग्राम/एमएल और तीसरी तिमाही में 2.2 और 3.5 मिलीग्राम/एमएल के बीच हो सकता है। Pregnancy Tips
दरअसल खानपान की वजह से कई महिलाओं को कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या से जूझना पड़ता है। जानकारी के मुताबिक प्रेगनेंसी के शुरूआती तीन महीनों के दौरान ही कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ने लगता है। बता दें कि प्रेगनेंसी के दौरान एक महिला के शरीर में कई तरह के हारमोंस चेंज होते हैं।
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कभी हार्मोनल चेंजेज ज्यादा इफेक्ट नहीं करते हैं, लेकिन कई बार इन हार्मोनल चेंजेज की वजह से कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। प्रेगनेंसी के दौरान लाइफस्टाइल और डाइट में भी कई तरह के बदलाव होते हैं जिसकी वजह से भी एक महिला को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। खानपान की वजह से कई महिलाओं को कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या से जूझना पड़ता है। बताया जाता है कि प्रेगनेंसी के शुरुआती तीन महीनों के दौरान ही कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ने लगता है। प्रगनेंसी में हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी से बचना है तो डाइट और लाइफस्टाइल का खास ख्याल रखना होगा।
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हालांकि एक्सपर्ट्स मानते हैं कि गर्भावस्था में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रोल फेटल ग्रोथ में भी भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए कोलेस्ट्रॉल ‘सिंथेसिस’ को रेगुलेट करता है, जो आपकी गर्भावस्था को पूरा करने के लिए आवश्यक है। इसके अलावा यह बच्चों के अंगों और दिमाग के विकास में भी सहायक होता है।
प्रगनेंसी के दौरान क्यों बढ़ता है कोलेस्ट्रॉल? Pregnancy Tips
प्रेगनेंसी के दौरान खानपान और लाइफस्टाइल के कारण कई तरह के हारमोंस चेंज होते हैं। जिनकी वजह से कोलेस्ट्रोल बढ़ने लगता है। कोलेस्ट्रॉल में शरीर में फैट जमने लगता है जिसकी वजह से आॅर्गेनिक मॉलिक्यूल होता है। इस दौरान शरीर में टेस्टोस्टेरॉन और एस्ट्रोजन हार्मोन के लेवल के असंतुलन के कारण हाई कोलेस्ट्रॉल की दिक्कत हो सकती है। दरअसल गर्भावस्था के दौरान कोलेस्ट्रोल बढ़ने के चांसेस बढ़ जाते हैं। कई महिलाओं में हाई कोलेस्ट्रोल की दिक्कत
होती है जिसकी वजह से हार्मोनल चेंज होते हैं।
प्रेगनेंसी में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण
प्रेगनेंसी में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की वजह से किसी भी महिला को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से हाई बीपी, हार्ट अटैक, प्रीमेच्योर डिलीवरी और जेनेटिक डिसआॅर्डर की समस्या भी हो सकती है। प्रग्नेंसी में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कई लक्षण हो सकते हैं।
प्रगनेंसी के दौरान हाई बीपी की समस्या: सांस लेने में तकलीफ, सीने या छाती में दर्द, मतली और उल्टी की समस्या, बहुत ज्यादा थकान महसूस होना। कोलेस्ट्रॉल को कैसे करें कंट्रोल? फाइबर का सेवन बढ़ाएं। कई फलों, साबुत अनाज और सब्जियों में फाइबर पाया जाता है, जो शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व है, खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए। जानकारी के मुताबिक घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह के फाइबर गर्भवती महिलाओं और सामान्य रोगियों दोनों में कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम कर सकते हैं।
फैट का सेवन कम करें: अपने खाने में फैट वाली चीजों को कम शामिल करें। हालांकि इसके लिए पहले आप अपने डॉक्टर से सलाह लें। जंक फूड आदि का सेवन कम करें। इसके बजाय आप हेल्दी फैट वाली चीजें जैसे नट्स, जैतून का तेल, अलसी का तेल आदि का सेवन करें।
हाइड्रेटेड रहें: प्रेगनेंसी के दोरान पर्याप्त पानी पिएं, इसका ध्यान रखें। ऐसा इसलिए है क्योंकि डिहाइड्रेशन से खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा हो सकता है। रिफाइंड खीरी और कैफीन से बचना गर्भावस्था के दौरान ट्राइग्लिसराइड लेवल को कम करने में मदद कर सकता है, जिससे खराब कोलेस्ट्रॉल कम हो सकता है।
नियमित रूप से व्यायाम करें:अध्ययनों से पता चलता है कि पहली तिमाही के दौरान एक्टिव लाइफ स्टाइल की वजह से कोलेस्ट्रॉल लेवल कम हो सकता है। इस दौरान हल्के से मध्यम व्यायाम करें। इसमें ट्रेडमिल और स्थिर साइकिल जैसे कम प्रभाव वाले कार्डियो व्यायाम शामिल हैं। जैसे पैदल चलना, सीढ़ियां चढ़ना, बागवानी करना आदि से खराब कोलेस्ट्रोल को कम करने में मदद मिल सकती है।
स्वस्थ रहें: स्वस्थ जीवन में संतुलित आहार के साथ-साथ गर्भावस्था के दौरान तंबाकू और शराब से बचना भी शामिल है। ये चीजें कोलेस्ट्रोल के लेवल बढ़ा सकती है। इतना ही नहीं, इनसे कई अन्य जटिल स्वास्थ्य समस्याओं का भी खतरा हो सकता है स्वस्थ गर्भावस्था के लिए सरल व्यायाम, ध्यान और योग करने तथा तनाव मुक्त रहना जरूरी है। यह जानकारी केवल सामान्य जानकारी है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। इसलिए ज्यादा जानकारी के लिए आप हमेशा पहले अपने डॉक्टर से संपर्क करें और इस बारे में सलाह लें।