राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए किसान ने रंगवाई ट्रॉली | Hanumangarh News
- बरत्यूं री भासा बनाकर खुद मान्यता देने का आह्वान | Hanumangarh News
हनुमानगढ़। राजस्थानी भाषा (‘Rajasthani Bhasha’) को व्यवहार की भाषा बनाकर मान्यता देने की मुहिम अब धीरे-धीरे जन आंदोलन बनती जा रही है। इस आंदोलन की शुरुआत हनुमानगढ़ जिले के बहलोलनगर गांव से हरीश हैरी ने की थी। बहलोलनगर राजस्थानी को मान्यता देने वाला मॉडल गांव है, जहां हर कार्य राजस्थानी में ही होता है। आपणो राजस्थान आपणी राजस्थानी अभियान से प्रेरणा लेकर भादरा तहसील के गांव नेठराणा के किसान इकबाल खान ने नई ट्रॉली बनवाई तो उसके चारों तरफ राजस्थानी भाषा की मान्यता से जुड़ी बातें लिखवा दी। Hanumangarh News
आपणो राजस्थान आपणी राजस्थानी, जै राजस्थान जै राजस्थानी, आपणी भासा आपणी पिछाण के साथ इसे व्यवहार की भाषा बनाकर पहले खुद मान्यता देने की आमजन से अपील की है। जब वे अपनी नई ट्रॉली लेकर सडक़ पर निकले तो देखने वालों ने ट्रॉली को देखकर खूब पसंद किया। इकबाल खान के बेटे आबिद खान ने नेट पर राजस्थानी ट्रॉली का वीडियो देखा और अपने पिताजी को बताया। इससे प्रेरणा लेकर इकबाल खान ने अपनी ट्रॉली पर भी राजस्थानी भाषा में स्लोगन लिखवाए हैं। ‘Rajasthani Bhasha’
इकबाल खान ने बताया कि हर किसान को अपनी ट्रॉली पर इस तरह से राजस्थानी भाषा लिखवानी चाहिए ताकि राजस्थानी भाषा आंदोलन की इस मुहिम को आगे बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि यदि हम अपने अपने गांव में आपणो राजस्थान आपणी राजस्थानी अभियान से जुडक़र जागरुकता करेंगे तो सरकार भी इस भाषा को जल्दी ही मान्यता देगी। इस आंदोलन में खासतौर से युवाओं को ज्यादा सहयोग करना चाहिए क्योंकि राजस्थानी को मान्यता मिलेगी तो युवाओं को ज्यादा रोजगार मिलेंगे। Hanumangarh News
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