ट्रेन का इंजन दौड़ता रहा, कपलिंग टूटी

Railways
2 डिब्बे छूट गए पर लोको पायलट को पता ही नहीं

2 डिब्बे छूट गए पर लोको पायलट को पता ही नहीं

देश में बार-बार हो रहे रेलवे हादसों के बावजूद भी रेलवे (Railways) विभाग जाग नहीं रहा है। इतना ही नहीं जिस स्थान पर पहले बड़ा रेलवे हादसा हुआ हो, उस स्थान पर फिर से कोई हादसा हो जाए वह सोचने की बात है। कानपुर के पुखरायां रेलवे स्टेशन पर हादसे करीब 7 साल पहले जिस जगह पर इंदौर से राजेंद्र नगर पटना जा रही एक्सप्रेस ट्रेन डिरेल हो गई थी। इस स्थान पर सोमवार सुबह करीब 3 बजे गोरखपुर से मुंबई जा रही कुशीनगर एक्सप्रेस ट्रेन के साथ ऐसा हादसा हुआ। जिसे खुद रेलवे ही समझ नहीं पा रहा है।

सोमवार सुबह हुए हादसे में कुशीनगर एक्सप्रेस गाड़ी का इंजन पुखरायां स्टेशन से पहले ही तेज गति में दौड़ता हुआ आगे निकल गया। लेकिन इसी ट्रेन के दो डिब्बे पीछे छूट गए। इन डिब्बो में भी यात्री थे। लेकिन गनीमत रही इस हादसे में कोई जनहानि का समाचार अब तक नहीं है। लेकिन याद रहे इसी जगह पर 20 नवंबर 2016 को इंदौर से राजेंद्र नगर पटना एक्सप्रेस ट्रेन तेज धमाके के साथ डिरेल हुई थी। तब इस हादसे में 152 लोगों की दर्दनाक मौत हुई थी। खास बात यह है आज जिस स्थान पर यह हादसा हुआ। उसका समय भी एक जैसा था। तब भी सुबह 3 बजे हादसा हुआ था और सोमवार को भी सुबह 3 बजे ही हादसा हुआ।

रेलवे टेक्निकल टीम पर उठे सवाल | Railways

कानपुर के पुखरायां स्टेशन पर हुए सोमवार के हादसे में रेलवे के टेक्निकल टीम पर सवाल उठा दिए हैं। क्योंकि जब भी प्रारंभिक स्टेशन से कोई ट्रेन चलती है तो उससे पहले ट्रेन के इंजन से लेकर पिछले डिब्बे तक टेक्निकल जांच की जाती है। अब बात यह समझ नहीं आ रही कि सोमवार को जो हादसा हुआ। वह ट्रेन के डिब्बो को आपस में जोड़ने वाली कपलिंग टूटने से हुआ। यह बात पच नहीं रही है। यदि यह कपलिंग इतनी पुरानी या घिस चुकी थी तो इसे प्रारंभिक स्टेशन से बदला क्यों नहीं गया? क्या इस ट्रेन को बिना टेक्निकल जांच के ही केवल भगवान भरोसे अपने गंतव्य की ओर रवाना किया गया? इन बातों के सवाल सबके मन को कचोट रहे हैं।

मैं रात में ड्यूटी पर नहीं था बोलकर रेलवे स्टेशन इंचार्ज ने पल्ला झाड़ा

इस संबंध में पुखरायां रेलवे स्टेशन के अनुसार नंदकुमार ने भी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने हुए कहा कि हमने अपने झांसी रेंज के अधिकारियों को पूरी घटना बता दी है। मैं रात में उस समय ड्यूटी पर नहीं था। दूसरे अधिकारी ड्यूटी पर थे। ट्रेन में कोई बड़ी घटना नहीं हुई। कोई जनहानि नहीं हुई और ना ही कोई घायल हुआ। ट्रेन के कोच की कपलिंग टूट गई थी। कपलिंग पुरानी होती है तो टूट जाती है। कोच को अलग करके ट्रेन को आगे रवाना कर दिया गया। इस रेलवे अधिकारी का यह बयान भी इस बात की पुष्टि कर रहा है कि इंजीनियरिंग जांच में लापरवाही हुई है तभी इंजन से जुड़ने वाली डिब्बों के बीच की कपलिंग टूटी है।

सुबह 3 बजे पुखरायां स्टेशन से पहले हुआ हादसा

कानपुर में सुबह करीब तीन बजे कपलिंग टूटने से गोरखपुर से मुंबई जा रही कुशीनगर एक्सप्रेस दो भागों में बंट गई। इस दौरान बेशक कोई जनहानि नहीं हुई पर ट्रेन पुखरायां स्टेशन पर करीब चार घंटे खड़ी रही। बाद में कपलिंग टूटने वाले कोच को हटाकर दूसरे कोच को जोड़ा गया और ट्रेन को करीब चार घंटे बाद रवाना किया गया। ध्यान रहे कि 7 साल पहले इसी स्टेशन पुखरायां पर ही ट्रेन पलटने से भीषण दुर्घटना हुई थी।

जानिए कैसे हुआ हादसा?

कुशीनगर एक्सप्रेस गोरखपुर से मुंबई जा रही थी। तभी रात 3 बजे के करीब कानपुर के पुखरायां स्टेशन से पहले ट्रेन कपलिंग टूटने से दो हिस्सों में बंट गई।आगे के डिब्बे इंजन सहित स्टेशन पर आकर खड़े हो गए, जबकि पीछे के कुछ डिब्बे वहीं पर छूट गए। एक्सप्रेस ट्रेन को दो भागों में बांटा देखकर स्टेशन के अधिकारियों में हड़कंप मच गया। इसके बाद इंजन से पीछे वाली ट्रेन को भी स्टेशन की दूसरी पटरी पर लाया गया। फिर S-2 कोच के यात्रियों दूसरे कोच की सीटों पर सेट किया गया और उन्हें गंतव्य तक भेजा गया। पर यह हादसा क्यों वह कैसे हुआ इस पर अभी तक रेलवे की तरफ से किसी भी प्रकार का आधिकारिक बयान नहीं आया है। यह भी सबसे बड़ी सोने की बात है सिर्फ रेलवे स्टेशन इंचार्ज की बयान से किसी को भी संतुष्टि नहीं हो रही।

कानपुर में ही 2019 में पूर्वा एक्सप्रेस के 12 डिब्बे हुए थे हुए पटरी

20 अप्रैल 2019 को कानपुर के रूमा इलाके में हावड़ा हावड़ा से दिल्ली आ रही पूर्वा एक्सप्रेस के 12 डिब्बे बेपटरी हो गए थे। हालांकि इस हादसे में भी किसी की जान नहीं गई थी। लेकिन 14 लोग जख्मी जरूर हुए थे। हादसा रात करीब एक बजे हुआ था। तब हादसे की वजह से इलाहाबाद-कानपुर रूट की ट्रेनों को डायवर्ट करते हुए रवाना किया गया था। एक ट्रेन इलाहाबाद-जयपुर एक्सप्रेस रद्द भी करना पड़ा था।

बालासोर रेलवे हादसे को भूल नहीं है लोग | Railways

इसी वर्ष 2 जून को उड़ीसा के बालासोर में एक साथ तीन ट्रेन में टकरा गई थी। इस हादसे में कल 288 लोगों की मौत हुई थी। हादसे के बाद 2 महीने तक भी 29 लोगों के सबों की पहचान तक नहीं हो पाई थी। तब भी प्रारंभिक तौर पर इस हादसे के बारे में कोई भी रेलवे अधिकारी कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं था। बाद में केंद्रीय रेलवे मंत्रालय की सिफारिश पर सीबीआई जांच के दौरान रेलवे के तीन अधिकारियों को इस हादसे के लिए जिम्मेदार मानकर उन्हें गैर इरादतन हत्या के मामले के तहत गिरफ्तार किया गया।

                                                                           डॉ संदीप सिंहमार, वरिष्ठ लेखक एवं स्वतंत्र लेखक।

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