Mustard cultivation: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार (Ch.CSHA University, Hisar) के कृषि वैज्ञानिकों ने सरसों की बिजाई का मौसम आने से पहले दो नई उन्नत किस्में विकसित की है। अमूमन देश में सरसों की बिजाई सितंबर के अंतिम सप्ताह में शुरू हो जाती है। उससे पहले कृषि वैज्ञानिक को विशेष कर तिलहन वैज्ञानिकों ने सरसों की नई किस्म ईजाद कर देश भर के किसानों को सही समय पर फायदा देने का काम किया है। इन नई किस्मों में आरएच 1424 व आरएच 1706 शामिल हैं। Mustard cultivation
हकृवि कुलपति प्रोफेसर बलदेव राज कंबोज ने बताया कि सरसों की नई किस्मों से बिजाई करने से किसानों को पहले से बेहतर लाभ मिलेगा। इनकी बिजाई से जहां खेतों में सरसों की पैदावार में बढ़ोतरी होगी, वहीं तेल की मात्रा भी पहले से अधिक मिलेगी। तिलहन वैज्ञानिकों का मानना है कि औसतन रूप से सरसों की फसल के कुल उत्पादन का 40 फीसदी तेल निकलता है, लेकिन इन किस्म के बिजाई करने से 40 प्रतिशत से अधिक तेल की मात्रा मिलेगी। हकृवि द्वारा सरसों की इन दोनों नई किस्मों के अलावा पहले से विकसित सभी प्रकार की किस्मों के बीज विश्वविद्यालय के बिक्री केंद्र के साथ-साथ देशभर के सभी सरकारी बिक्री केंद्रों पर उपलब्ध हैं। Mustard cultivation
5 वर्ष पूर्व विकसित आरएच 725 किस्म आज भी लोकप्रिय
अनुसंधान निदेशक डॉ. जीतराम शर्मा ने उम्मीद जताई कि सरसों की यह नई किस्में अपनी विशिष्ट विशेषताओं के कारण सरसों उत्पादक राज्यों में बहुत लोकप्रिय होंगी। महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस.के.पाहुजा ने बताया कि सरसों अनुभाग के वैज्ञानिकों की टीम अब तक राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर पर 21 किस्में विकसित कर चुकी हैं। वर्ष 2018 में विकसित की गई किस्म आरएच 725 हरियाणा के अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली व बिहार राज्यों में बहुत लोकप्रिय है, जिसकी किसान 25 से 30 मण प्रति एकड़ आसानी से उपज प्राप्त कर रहे हैं।
वैश्विक स्तर पर सरसों उत्पादन में तीसरे नंबर पर है भारत
सरसों, राया/राई व तारामीरा रबी फसल की प्रमुख तिलहनी फसल है। इस फसल का एक तरफ जहां भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है, वहीं सरसों के उत्पादन से मिलने वाले तेल से रसोई में भी तड़का लगता है। उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, दिल्ली व हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में सरसों का तेल प्रमुखता से सब्जियां चटपटे पकवान बनाने के काम में लिया जाता है। सरसों उत्पादन और क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में चीन और कनाडा के बाद भारत का तीसरा स्थान है। CCSHAU Hisar
मैदानी क्षेत्रों में होता है उत्पादन, पर राजस्थान सबसे आगे
सरसों का उत्पादन भारत के लगभग सभी राज्यों में होता है, लेकिन सरसों उत्पादन के मामले में राजस्थान भारत के सभी राज्यों में सबसे आगे है। यहां की जलवायु और मिट्टी सरसों की खेती के लिए काफी अनुकूल है। कृषि सहयोग और किसान कल्याण विभाग आंकड़ों के अनुसार देश में कुल उत्पादित होने वाले सरसों में राजस्थान में अकेले 46.7 प्रतिशत का उत्पादन होता है। राजस्थान सहित मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में भारत का 88 फीसदी उत्पादन होता है। सरसों के उत्पादन में मध्य प्रदेश की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। इस फसल की खेती कम सिंचाई और कम लागत में आसानी से हो जाती है। HAU HISAR
अनुसंधान के लिए मिला सर्वश्रेष्ठ केंद्र अवार्ड
हकृवि को सरसों अनुसंधान एवं विकास कार्यों में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए सर्वश्रेष्ठ केन्द्र अवार्ड से भी नवाजा गया है। कुलपति प्रो. काम्बोज ने बताया कि यह अवार्ड राया-सरसों अनुसंधान निदेशालय द्वारा जम्मू में आयोजित अखिल भारतीय राया एवं सरसों अनुसंधान कार्यकर्ताओं की वार्षिक बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के सहायक महानिदेशक तिलहन व दाल डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने प्रदान किया। प्रो. कंबोज ने बताया कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक टीम ने हाल ही में सरसों की दो नई उन्नत किस्में विकसित कर एक नया आयाम स्थापित किया है। इस उपलब्धि पर तिलहन वैज्ञानिक डॉ. राम अवतार सहित उनकी टीम को बधाई दी। Mustard Cultivation
-डॉ संदीप सिंहमार
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