Nipah Virus Different From Corona Virus: डॉ संदीप सिंहमार,वरिष्ठ लेखक एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार, दुनिया में समय-समय पर वायरस जनित बीमारियों ने मानव जीवन को प्रभावित किया है। इतना ही नहीं कुछ बीमारियों ने तो महामारी का भी इतना भयंकर रूप लिया कि इसे पूरा विश्व किसी न किसी रूप से पीड़ित हुआ। हाल ही में दिसंबर 2019 में कोविड-19 वायरस के संक्रमण में धीरे-धीरे पूरे विश्व को अपनी चपेट में लिया। विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहल पर कोरोनावायरस जनित इस बीमारी को महामारी घोषित किया गया। विश्व के विभिन्न देश ऐसे हैं, जहां इस महामारी के कारण हाय तौबा मची। कोविड-19 के विभिन्न रूप देखने को मिले थे। अभी तक भी लोगों के मन में कोरोनावायरस का ख़ौफ़ निकला नहीं है।
वर्तमान में एक ऐसे वायरस में भारत के केरल राज्य में प्रवेश कर लिया है, जिसमें मौत की प्रतिशतता बहुत ज्यादा है। इस वायरस का नाम है, ‘निपाह वायरस’। केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मनमुख मंडाविया भी इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि केरल में निपाह वायरस के प्रभाव से दो मरीजों की मौत हो चुकी है। याद रहे इससे पहले जब 2019 में कोविड-19 का भारत में प्रवेश हुआ था। तब भी सबसे पहले केस केरल राज्य में ही मिले थे। हालांकि निपाह वायरस के ये पहले मामले नहीं है। इससे पहले भी केरल राज्य में 2018 में निपाह वायरस अपना भयंकर रूप दिखा चुका है। 2018 में इस राज्य में 17 लोगों की निपाह वायरस के प्रभाव से मौत हुई थी। इसके बाद भारत के ही कोच्चि में भी निपाह वायरस सामने आया था। फिर 2001 में केरल में निपाह वायरस का फिर प्रवेश हुआ।
1998 में मलेशिया के सुंगई निपाह गाँव में मिला था पहला मामला | Nipah Virus
निपाह वायरस कोई नया वायरस नहीं है। इस वायरस के शुरुआती मामला वर्ष 1998 में मलेशिया के सुंगई निपाह गांव में पाया गया था। इसी गांव के वजह से इस वायरस का नाम निपाह वायरस पड़ा। तब सूअर पालने वाले किसान निपाह वायरस से पीड़ित मिले थे। मलेशिया मामले के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक अकेले सुअर से ही नहीं बल्कि पालतू जानवरों कुत्ते, बिल्ली, बकरी व घोड़े से भी इस वायरस का संक्रमण फैला था।
इसी वर्ष 1998 में ही मलेशिया के बाद सिंगापुर में भी निपाह वायरस के पॉजिटिव केस मिले। इसके बाद 2001 में बांग्लादेश में भी निपाह वायरस का प्रभाव देखने को मिला। यहां भी इस वायरस से संक्रमित मरीज मिलने से सनसनी फैल गई थी। इतना ही नहीं बांग्लादेश के साथ लगती भारतीय सीमा के आसपास भी निपाह वायरस के मरीज मिलने लगे थे। लेकिन तब इस वायरस का संक्रमण फैलने से रुक गया था। वर्तमान में केरल के कोझिकोड में निपाह वायरस मिलने के बाद इस वायरस के प्रभाव से हुई दो मौत के मामले में केंद्र सरकार व राज्य सरकार भी एक मत नहीं है।
बांग्लादेशी वैरियंट मिलने से ज्यादा चिंता बढ़ी
केरल में निपाह वायरस का बांग्लादेशी वैरियंट मिलने से ज्यादा सनसनी है। क्योंकि यह इंसान से इंसानों में फैलने वाला वायरस है। केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मनमुख मंडाविया जहां इस मामले की पुष्टि कर रहे हैं कि केरल में जिन दो लोगों की मौत हुई है, वह निपाह वायरस की वजह से हुई है। लेकिन केरल की ही स्वास्थ्य मंत्री वीना जार्ज ने कहा कि जिनकी मौत हुई है, उनके सैंपल लेकर जांच के लिए पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी में भेजे गए हैं, ताकि इस मामले की पुष्टि की जा सके। अब इन मामलों की पुष्टि केरल सरकार ने भी कर दी है। केरल के मुख्यमंत्री ने यह तो माना की कोझिकोड में निपाह वायरस के मामले मिले हैं। उन्होंने अभी लोगों को मास्क पहनने की एडवाइजरी जारी की है। लेकिन अभी तक राज्य में निपाह वायरस फैलने की घोषणा नहीं की गई है।
700 से अधिक लोगों की हुई ट्रेकिंग | Nipah Virus
अब तक केरल में 5 मामले सामने आ चुके हैं,जबकि इनके संपर्क में 700 के करीब लोग आए हैं। जिन क्षेत्रों में निपाह वायरस के कैसे मिले हैं। उनमें कैंटोनमेंट जोन बनाकर लॉकडाउन जैसी पाबंदी लगा दी गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट के मुताबिक निपाह जेनोटिक डिजीज है। जेनोटिक डिजीज उसे कहा जाता है, जो जानवरों से इंसानों में या फिर इंसानों से जानवरों में फैलता है। निपाह वायरस का संक्रमण चमगादड़ और सूअर जैसे जानवरों से इंसानों में फैल सकता है।
चमगादड़ से फैला वायरस,मौत की प्रतिशतता ज्यादा | Nipah Virus
इस बीमारी से मरने वालों की प्रतिशतता भी 40 से 75 फ़ीसदी मानी गई है। सबसे चिंतनीय स्थिति है कि 25 साल पहले जिस वायरस ने प्रभावित करना शुरू कर दिया था। उस वायरस के इलाज के लिए पूरे विश्व में अब तक किसी प्रकार का कोई इंजेक्शन या वैक्सीनेशन उपलब्ध नहीं है। सावधानी या बचाव ही इसका इलाज है। क्योंकि यह संक्रमण भी कोविड-19 की तरह एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक चमगादड़ से इससे पहले भी बहुत से वायरस फैले हैं। जिनके प्रभाव से तबाही का मंजर देखने को मिला। 2002 में चमगादड़ से पहले सार्स फैल चुका है। दुनिया भर में सार्स वायरस पहले चमगादड़ से बिल्ली में पहुंचा था और उसके बाद पालतू बिल्लियों से इंसानों के शरीर तक पहुंचा।
केरल में ही 2018 में निपाह वायरस से 17 लोगों की हुई थी मौत
केरल राज्य में 2018 में पहले निपाह वायरस लाने वाला भी चमगादड़ ही था। तब 17 मौते हुई थी। इसके अलावा इबोला,हेंद्र व मारबर्ग वायरस का वाहक भी चमगादड़ ही बना था। इतना ही नहीं जुलाई 2019 में कनाडा में वेंकूवर आईलैंड में 31 साल के युवक की रेबीज से मौत हुई थी। जब इसकी जांच की गई तो इस रेबीज का वाहक भी चमगादड़ निकला था। हालांकि अभी तक निपाह वायरस को महामारी घोषित नहीं किया गया है।
समय रहते उचित कदम उठाने की जरूरत | Nipah Virus
फिर भी समय रहते केंद्र व राज्य सरकारों को उचित कदम उठाने चाहिए। विशेषकर केरल सरकार को की निपाह वायरस के प्रभाव से मौत होने वाले लोगों के संपर्क में आने वाले लोगों को की भी ट्रैकिंग कर उनके सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे जाने चाहिए,ताकि समय रहते निपाह वायरस को फैलने से रोका जा सके। जो गलती केंद्र व राज्य सरकारों से कोविड-19 के दौरान हुई थी। ऐसी गलती दोबारा ना हो तो इस वायरस के प्रभाव से बचा जा सकता है। अभी यह वायरस सिर्फ अपने शुरुआती दौर में है। लेकिन यदि किसी भी प्रकार की लापरवाही की गई तो इसका संक्रमण फैलने में भी देर नहीं लगेगी।
केंद्र सरकार ने भेजी स्पेशल टीम
केरल में वायरस से दो लोगों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने विशेष जांच टीम केरल में भेजी है। यह सरकार का सराहनीय कदम है। राज्य सरकार को भी केंद्र सरकार की टीम के साथ मिलकर आपसी तालमेल से काम करना चाहिए, ताकि समय रहते स्थिति बिगड़ने से पहले ही संक्रमण पर काबू पाया जा सके।
डब्लूएचओ ने भारत को चेताया
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार निपाह वायरस जानवरों से इंसानों से जानवरों में तो फैल सकता है। लेकिन यह यह हवा के जरिए नहीं फैल सकता लेकिन किसी सामान या फ्यूल्ड ड्रोपलेट्स के जरिए फैल सकता है। निपाह वायरस इंफेक्टेड फल को खाने के कारण जानवर से इंसान में फैल जाता है। यदि कोई जानवर इस वायरस से पीड़ित है और उसने कोई फल खा लिया है। फिर उस इंफेक्टेड फल को खाने से इंसान में यह वायरस फैलता है। यह इंसान में तेजी से फैलने वाली बीमारी है।
इंसान से इंसान में फैल सकता है संक्रमण
निपाह वायरस का इंफेक्शन एक इंसान से दूसरे इंसान में आसानी से फैल सकता है। निपाह वायरस इंफेक्शन के बाद शरीर में इस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे- दिमाग में सूजन, एन्सिफ़ेलाइटिस जैसी खतरनाक बीमारी भी हो सकती है। इसके लक्षणों में बुखार,सिरदर्द,खांसी,सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। साथ ही साथ गंभीर उल्टियां भी हो सकती है। इसके गंभीर लक्षणों में पेट दर्द होना, दौरे पड़ना और कोमा में चले जाना भी शामिल है। ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन’ के मुताबिक निपाह से मरने वालों लोगों की संख्या 40 से 75 प्रतिशत तक रहती है। ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन’ के मुताबिक निपाह वायरस से बचन के लिए अभी तक किसी भी देश के पास वैक्सीन मौजूद नहीं है। इसलिए शुरुआती लक्षण दिखाई देने के बाद तुरंत चिकित्सक से मिलकर ही इलाज शुरू करवाना चाहिए।
शुरुआती दौर में ही जागरूकता की जरूरत
इस वायरस के प्रभाव से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा इंसानों को जागरूक करना चाहिए। ताकि इस बीमारी के लक्षणों को मामूली बुखार या फ्लू समझकर अनदेखा न किया जाए, बल्कि समय पर अस्पताल में जाकर चिकित्सक की सलाह लें। साथ ही इस बीमारी से संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाकर रखें,ताकि एक-दूसरे में यह संक्रमण न फैले।