नई दिल्ली। G20 Summit: जी20 शिखर सम्मेलन, जिसका पहली बार भारत नेतृत्व कर रहा है और जिसके तहत दुनिया भर की निगाहें भारत पर टिकी हुई हैं। इसी के दृष्टिगत समिट स्थल पर भारत की प्राचीन संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है। वहीं दुनिया भर के राष्टÑाध्यक्ष भी भारत की इस प्राचीन धरोहर के साथ फोटो खिंचवाकर गौरव का अनुभव कर रहे हैं और इसी बहाने सनातन से भी रूबरू हो रहे हैं।
इन धरोहरों में मुख्य रूप से कोणार्क का सूर्य मंदिर, नालांदा विश्वविद्यालय के खंडहर, नटराज की मूर्ति सनातन धर्म की छटा बिखेर रही हैं। इतना ही नहीं कलाकृतियों के अलावा आयोजन स्थल का नाम, थीम का नाम, देश का नाम, नृत्य संगीत आदि सभी में सनातन धर्म एक ब्रैंड की तरह सजा हुआ है। वहीं दूसरी ओर आपको जानकर हैरानी होगी कि जी20 समिट स्थल से ऐसी वो सब चीजें गायब हैं जो देश की पहचान तो कराती हैं लेकिन उनमें सनातन की झलक नहीं हैं अर्थात जो चीजें सनातन की पहचान नहीं कराती उन सभी चीजों को आयोजन स्थल से नदारद रखा है। G20 Summit
जैसे ताजमहल आदि। इस समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक कोशिश रही है कि आयोजन में सिर्फ भारतीय संस्कृति ही झलक दिखे। इसलिए खान-पान, वेश भूषा, नृत्य-संगीत-कला आदि सबमें भारतीय संस्कृति की झलक दिखाई गई है। इस आयोजन में प्रधानमंत्री ने एक पंथ दो काज वाली कहावत चरितार्थ की है कि दुनिया को भारतीय सभ्यता- संस्कृति से तो अवगत कराया ही और साथ ही भारत में ही मौजूद कुछ सनातन विरोधी पार्टियों को भी सनातन की महत्ता दिखाई। G20 Summit
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तो आइये आज आपको भी जी20 समिट में दिखाई गई झलक सनातन यानि भारतीय संस्कृ ति से रूबरू कराया जाए वो भी भारतीय सांस्कृतिक धरोहरों के बहाने। जोकि जी20 समिट स्थल पर ही सजाई गई हैं। सबसे पहले बात आती है आयोजन स्थल की ‘भारत मंडपम’ यहां मंडपम नाम संस्कृत भाषा का शब्द है और दक्षिण भारत में मंडपम का अर्थ मंदिर में गर्भगृह के आगे वाले भाग को कहा जाता है।
भारत मंडपम’ भगवान बसवेश्वर की ‘अनुभव मंडपम’ की अवधारणा से प्रेरित है, जो सार्वजनिक समारोहों के लिए एक मंडप हुआ करता था। दूसरा है कोणार्क का सूर्य मंदिर। कोणार्क जो कि भारत की एक बड़ी सांस्कृतिक धरोहर रही है। भारत मंडपम में लगा कोणार्क चक्र भारत के प्राचीन ज्ञान, सभ्यता एवं वास्तुशिल्प की उत्कृष्टता का प्रतीक है। इसके तहत दुनिया को भी अवगत कराया गया है। इस सूर्य मंदिर को विशालकाय रथ जैसा बनाया गया है जिसे सात घोड़े खींच रहे हैं। रथ में 24 पहिए जुड़े हैं जोकि हमारी जीवन की दिनचर्या से संबंधित वैज्ञानित बातों से रूबरू कराते हैं।
जी20 समिट के पहले दिन प्रधानमंत्री ने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम प्राचीन काल से ही उनका मूल सिद्धांत रहा है और इसी पर वो विश्वास भी करते हैं। वो पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हैं। वसुधैव कुटुंबकम सनातन की दार्शनिक अवधारण है। इसके बाद आता है नृत्य-संगीत, शिखर सम्मेलन में पहुंचे राष्टÑाध्यक्षों के स्वागत के लिए थीम सॉन्ग में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ में सनातन की झलक दिखाई दी। क्या वाद्य यंत्र, क्या कलाकार, संगीतकार, वेश भूषा आदि सब भारतीय सभ्यता-संस्कृति को बयां कर रहे हैं।
अब आता है भारत का नाम जोकि प्रधानमंत्री की टेबल के आगे रोमन में लिखा हुआ भारत ही ग्लोबल की पहचान होगा जोकि सनातन से ही चला आ रहा है। अब भारत की पहचान भारत से ही होगी ना कि इंडिया से।