What is Lagrange Point: भारत की एजेंसी इसरो ने इतिहास तो रच दिया और हमारा मिशन चंद्रयान 3 चांद पर भी सफलतापूर्वक लैंड हो चुका है। लेकिन इसरो के वैज्ञानिकों ने इस मिशन के बाद एक और बड़े मिशन की तैयारी शुरू कर दी है और ये मिशन है Aditya-L 1। जी हां चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद इसरो ने घोषणा की है कि सूर्य का अध्ययन करने के लिए Aditya -L 1 सितंबर के पहले हफ्ते में ही लांच कर दिया जायेगा। इस बात का जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषण में किया था कि चांद के बाद अब सूरज की बारी है। जानकारी की लिए बता दें कि इसरो की तरफ से इस मिशन की तारीख तय कर दी गई है यानी 2 सितंबर को लांच कर दिया जाएगा। Aditya L-1 Mission
Chandrayaan 3 Updates: चांद पर इसरो को मिली बड़ी सफलता, आइये जानें चांद पर क्या-क्या मिला
दरअसल चंद्रयान 3 की सफलता के बाद भारत की अगली तैयारी सूरज की है। इसरो सूरज पर स्टडी के लिए अंतरिक्ष यान भेज रहा है। इसके लिए Aditya-L- 1 अंतरिक्ष में जाएगा। Aditya-L- 1 पूरी तरह से स्वदेशी प्रयास है। इसे दो हफ्ते पहले आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित इसरो के अंतरिक्ष केंद्र पर लाया गया था। वही जानकारी के लिए बता दें कि शनिवार यानी 2 सितंबर को इसी जगह से इसे लॉन्च कर दिया जाएगा। इसी साल इसरो गगनयान 1 मिशन भी लॉन्च करने वाला है और उसके बाद सन 2014 में शुक्रयान और मंगलयान मिशन भेजने की भी योजना है।
क्या है Aditya L – 1 मिशन? | Aditya L-1 Mission
Aditya L – 1 सूर्य के लिए अध्ययन के लिए पहली भारतीय अंतरिक्ष आधारित ऑब्जर्वेटरी (वेधशाला) होगी। इसका काम सूरज पर 24 घंटे नजर रखना होगा। धरती और सूरज के सिस्टम के पांच Lagrangian point है। सूर्यान Lagrangian point 1(L 1) के चारों ओर एक हेली ऑर्बिट में तैनात रहेगा। L 1 पॉइंट की धरती से दूरी 1.5 मिलियन किमी है जबकि सूर्य की पृथ्वी से दूरी 150 मिलियन किमी है। एल 1 पॉइंट इसलिए चुना गया है क्योंकि यहां से सूर्य पर सातों दिन 24 घंटे नजर रखी जा सकती है, ग्रहण के दौरान भी।
सूर्य की स्टडी से क्या हासिल होगा? Aditya L-1 Mission
दरअसल अंतरिक्ष यान 7 पेलोड लेकर जाएगा यह पेलोड और फोटोस्फेयर (प्रकाशनगर), क्रोमोस्पेयर (सूर्य की दिखाई देने वाली सतह से ठीक ऊपरी सतह) और सूर्य की सबसे भारी परत (कोरोना) का जायजा लेंगे। सूर्य में होने वाली विस्फोटक प्रक्रियाएं पृथ्वी के नजदीकी स्पेस एरिया में दिक्कत कर सकती है और बहुत से उपग्रह को नुकसान हो सकता है। ऐसी प्रक्रियाओं का पता पहले चल जाए तो बचाव के कदम उठा सकते हैं, लेकिन तमाम स्पेस मशीनों को चलाने के लिए स्पेस के मौसम को समझना जरूरी है। इस मिशन से स्पेस के मौसम को भी समझने में मदद मिल सकती है और इससे सौर हवाओं की भी स्टडी की जाएगी।
अब तक हमने आपको इसरो के Aditya -L 1 मिशन के बारे में बताया है। वह कब लॉन्च होगा और यह मिशन क्या है, इसके लांच होने तक कि हमने आपको जानकारी दी है। वही इसे पढ़ कर हर किसी के मन में यह सवाल उठेगा कि आखिर सूरज के पास मिशन सुरक्षित कैसे रह सकता है क्योंकि वहां पर इतनी गर्मी है और धरती की कुछ भी वस्तु सूरज के आसपास नहीं रह सकती। तो अब हम आपको बताएंगे कि इस मिशन को सूर्य से कितनी दूरी पर रखा जाएगा ताकि यह सुरक्षित रह सके।
क्या सूर्य के Aditya -L 1 रह सकेंगा सुरक्षित
दरअसल सूरज की सतह से थोड़ा ऊपर का तापमान करीब 5500 डिग्री सेल्सियस रहता है। उसके केंद्र का तापमान अधिकतक 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस रहता है। ऐसे में किसी यान या स्पेसक्राफ्ट का वहां जाना संभव नहीं है। जानकारी के लिए बता दे की धरती पर इंसानों द्वारा बनाई गई कोई ऐसी वस्तु नहीं है जो सूरज की गर्मी को बर्दाश्त कर वहां पर सुरक्षित रह सके। ऐसे में यही सवाल उठता है कि आखिर इसरो का यह है Aditya -L 1 कैसे सुरक्षित रह सकेगा।
दरअसल इसरो 2 सितंबर की सुबह 11:50 मिनट पर Aditya -L 1 मिशन लॉन्च करने जा रहा है, यह भारत की पहली अंतरिक्ष आधारित ऑब्जरवेरी है, Aditya -L 1 सूर्य से इतनी दूर तैनात होंगा कि उसे गर्मी तो लगे लेकिन वह मारा न जाए और न ही वो खराब हो सके। उसे इसी हिसाब से बनाया गया है।
क्या है L 1 पॉइंट?
बता दें कि लैग्रेंज पॉइंट स्पेस में वो स्थान होता है जहां सूरज और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव उस अभिकेंद्रीय बल के बराबर होता है, जो किसी पिंड के वृत्तीय पथ में गति करने के लिए जरूरी है। यह जगह स्पेसक्राफ्ट के लिए काफी उपयुक्त होती है क्योंकि इस पोजीशन में बने रहने के लिए बहुत कम ईंधन खर्च करना पड़ता है। लैग्रेंज पॉइंट नाम गणित के इटेलियन – फ्रेंच विशेषज्ञ Josephy – Lousi Lagrange के नाम पर रखा गया है दरअसल स्पेस में ऐसे पांच स्पेशल पॉइंट्स होते हैं जहां कोई छोटा पिंड दो बड़े पिंडों के साथ एक स्थिर पैटर्न में परिक्रमा कर सकता है। पांच में से तीन अस्थिर पॉइंट्स – L 1, L 2, और L3 होते हैं जो दो बड़े पिंडों को कनेक्ट करने वाली लाइन पर होते हैं। दो स्थिर पॉइंट्स को L 4 और L 5 कहते हैं, जिसे आप तस्वीर में देख सकते हैं।
सूर्य की स्टडी के लिए क्यों भेजा जा रहा है सूर्ययान?
बता दें कि सूर्य हमारा तारा है। उससे ही हमारे सौरमंडल को ऊर्जा यानी एनर्जी मिलती है। इसकी उम्र करीब 450 करोड़ साल मानी जाती है। बिना सौर ऊर्जा के धरती पर जीवन संभव नहीं है। दरअसल सूरज की ग्रेविटी की वजह से ही इस सौरमंडल में सभी ग्रह टिके हुए हैं नहीं तो वह कब का सुदूर गहरे अंतरिक्ष में तैर रहे होते। सूरज का केंद्र यानी कोर में न्यूक्लियर फ्यूजन होता है। इसलिए सूरज के चारों तरफ आग उगलती हुई दिखाई देती है। सतह से थोड़ा ऊपर यानी इसके फोटोस्फेयर का तापमान 5500 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। सूरज की स्टडी इसलिए ताकि उसकी बदौलत सौर मंडल के बाकी ग्रहों की समझ भी बढ़ सके।