अपना मिशन पूरा करने से पहले चंद्रयान-3 का लैंडर माड्यूल 21 बार
पृथ्वी के और 120 बार चंद्रमा के चक्कर लगाने के बाद आखिर इंडिया’स नेशनल स्पेस एजेंसी इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन का चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग करते ही पूरे विश्व में विज्ञान एवं तकनीक में भारत का डंका बजने लगा। जैसे ही चंद्रमा के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग हुई तो पूरी भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व भर में अजीब सी हलचल होने लगी।
क्योंकि भारत का यह विकसित देशों की श्रेणी की ओर कदम माना जा रहा है। यहां यह भी जानना जरूरी है कि जो काम अब तक अमेरिका जापान, चीन और रूस भी नहीं कर सका, वह काम हमारे देश के इसरो के वैज्ञानिकों ने कर दिखाया। चंद्रयान 3 की लांचिंग से भारत के वैज्ञानिक उत्साह-भरोसे से लबरेज थे। तभी आखिरी वक्त तक इसरो के वैज्ञानिक देशवासियों को यह भरोसा दिलाते रहे कि चंद्रयान-3 का लैंडर 23 अगस्त को भारतीय समय अनुसार 6:04 पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा और ऐसा ही हुआ। पहली बार ऐसा हुआ, जब कोई साइंटिफिक मिशन पूरा होने के लिए गया हो, तब पूरा देश दुआओं के साथ अपने-अपने घरों में व स्कूलों में टीवी से चिपके रहे।
वैसे तो पूरी दुनिया के दिग्गज भारत के मूल मिशन चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग पर भारत के वैज्ञानिकों पर भारत के केंद्र सरकार को बधाई दे रहा है, लेकिन पाकिस्तान के पूर्व विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद हुसैन चौधरी जिसने भारत के मूल मिशन चंद्रयान-2 का मजाक उड़ाया था और चंद्रयान 2 के सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान विक्रम ब्लेंडर से इसरो के संपर्क टूटने पर इंडिया फेल्ड का अभियान चलाया था। पाकिस्तान के इस पूर्व मंत्री फवाद हुसैन चौधरी ने भी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो को बधाई दी है।
धरती पर संकल्प लिया और चांद पर साकार किया | Chandrayaan-3
इसी बीच ब्रिक्स सम्मेलन के लिए दक्षिण अफ्रीका पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसरो के वैज्ञानिकों और देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जब हम अपनी आंखों के सामने ऐसा इतिहास बनते हुए देखते हैं तो जीवन धन्य हो जाता है। ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं राष्ट्रीय जीवन की चिरंजीव चेतना बन जाती है। यह पल अविश्वसनीय है, यह क्षण अद्भुत है, यह क्षण विकसित भारत के शंखनाद का है, यह क्षण मुश्किलों के महासागर को पार करने का है, यह क्षण जीत के चंद्र पथ पर चलने का है, यह क्षण 140 करोड़ धड़कनों के सामर्थ्य का है। यह क्षण भारत में नई ऊर्जा,नया विश्वास, नई चेतना का है, यह क्षण भारत के उदयमान भाग्य के आह्वान का है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृतकाल की प्रथम प्रवाह में सफलता की अमृत वर्षा हुई है। हमने धरती पर संकल्प लिया और चांद पर उसे साकार किया। हमारे वैज्ञानिक साथियों ने भी कहा ‘इंडिया इज़ नाउ ऑन द मून’। आज हम अंतरिक्ष में नए भारत की उड़ान के साक्षी बने। मैं इस समय ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका में हूँ, लेकिन हर देशवासी की तरह मेरा मन चंद्रयान अभियान पर भी लगा हुआ था। नया इतिहास बनते हुए हर भारतीय जश्न में डूब गया। हर घर में उत्सव शुरू हो गया है। हृदय से मैं भी अपने देशवासियों के साथ अपने परिवारजनों के साथ इस उमंग और उल्लास से जुड़ा हुआ हूँ।
अब प्रज्ञान रोवर चहलकदमी कर पानी और वातावरण की देगा जानकारी
भारतीय समयानुसार बुधवार श्याम 6:04 पर लैंडर विक्रम के लैंड होते ही अगला मिशन भी शुरू हो गया है। लैंडर विक्रम ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपने कदम रखते ही काम शुरू कर दिया अब रैंप के जरिए छह पहियों वाला प्रज्ञान रोवर बाहर आकर इसरो के वैज्ञानिकों से कमांड मिलते ही चांद की सतह पर 500 मीटर तक के इलाके में चहलकदमी करते हुए वहां के पानी और वातावरण के बारे में इसरो को जानकारी भेजेगा। यह भी सबसे अहम पल होगा। क्योंकि ऐसा आज तक दुनिया का कोई भी देश नहीं कर पाया है। भारत की इस बेहतरीन सफलता पर वर्ल्ड मीडिया ने भी अपनी अलग-अलग प्रकार की प्रतिक्रिया देकर भारत की सफलता का गीत गाया।
इस बार सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी रही कि इसरो ने चांद के साउथ पोल पर हुई सॉफ्ट लैंडिंग का लाइव टेलीकास्ट किया। सबसे पहले जब ऑटोमेटिक लैंडिंग सीक्वेंस शुरू किया गया तो इसरो के पूरे वैज्ञानिक को सहित देश भर के लोगों की नजरे चंद्रयान-3 मिशन पर टिकी रही। बता दे की भारत के चंद्रायन-3 की साउथ पोल पर सफल लैंडिंग होने के साथ ही भारत चंद्रमा के साउथ पोल इलाके में पहुंचने वाला पहला व सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया है। इससे पहले चंद्रमा पर तो अमेरिका, रूस और चीन सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं। लेकिन इसके साउथ पोल तक अभी तक दुनिया का कोई भी देश नहीं पहुंच पाया। Chandrayaan-3
डॉ संदीप सिंहमार, वरिष्ठ लेखक एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार।
यह भी पढ़ें:– ISRO Moon Mission: चंद्रयान-3 के कामयाब कदमों की लाखों आँखें बनी गवाह