जयपुर (एजेंसी)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि संसद और विधानमंडल संवाद, बहस और विमर्श के लिए होते हैं, न कि उपद्रव के लिए। धनखड़ ने कहा कि संविधान सभा के समक्ष अपेक्षाकृत अधिक जटिल मुद्दे होने के बावजूद वहां कोई व्यवधान नहीं हुआ था, जबकि आज जो स्थिति है, वह ‘चिंता और चिंतन’ का विषय है। उन्होंने यह भी कहा कि देश में हर किसी को कानून के दायरे में रहना चाहिए, भले ही वह कितना भी बड़ा व्यक्ति क्यों न हो या कितने भी ऊंचे पद पर क्यों न हो। उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि भारत की न्यायिक प्रणाली बहुत मजबूत है और हाल ही में कई महत्वपूर्ण एवं निष्पक्ष निर्णय आये हैं, अलबत्ता, ऐसा कोई कारण नजर नहीं आता कि देश के संस्थानों के प्रति विश्वास डगमगाये। Jaipur News
सभापति के नाते की अपनी पीड़ा व्यक्त
धनखड़ राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने छात्रों को अनुशासन में रहने, असफलता से न घबराने और राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, ‘‘राज्यसभा के सभापति के नाते मैं अपनी पीड़ा व्यक्त करता हूं। हमें संविधान देने वाली संविधान सभा ने लगभग तीन वर्ष तक कई बैठकें कीं। संविधान सभा के सामने जो मुद्दे थे, वे मौजूदा मुद्दों की तुलना में कहीं जटिल थे, लेकिन संविधान सभा में उन सबका निराकरण बातचीत से किया गया।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा, संविधान सभा में एक भी दिन, एक भी पल कोई व्यवधान नहीं हुआ, उपद्रव करने की बात तो दूर है। Jaipur News
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