Chandrayaan-3 Video: आज भी अगर किसी की तारीफों के पुल बांधने हों तो उसे चाँद कह दिया जाता है लेकिन चंद्रयान-3 ने जो चाँद की पहली तस्वीरें भेजी हैं उसे देखकर किसी की तारीफ में चाँद लफ्ज का इस्तेमाल करना गलत होगा। चाँद की तस्वीरों को देखने पर पता चला है कि चाँद पर तो ढेर से गड्ढे हैं और आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चाँद की तो अपनी रोशनी भी नहीं होती, वो सूर्य की रोशनी से चमकता है। लेकिन ये भी सोचने वाली बात है कि जिस चाँद के बारे में इतनी तारीफों के पुल बांधते थे उसमें इतने सारे गड्ढे क्यों हैं और वो कैसे बनें हैं? Chandrayaan-3
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लगभग 450 करोड़ वर्षों पहले पृथ्वी के साथ साथ चंद्रमा की कहानी भी शुरू हुई थी। तभी से इन दोनों पर लगातार अंतरिक्ष से पत्थरों की बरसात होती रहती है और उल्कापिंड वगैरह गिरते रहते हैं, जिनके गिरने के कारण ही चाँद इतना बदसूरत हो गया है। उस पर इतने सारे हजारों गड्ढे हो गए हैं, जिन्हें इम्पैक्ट क्रेटर के नाम से भी जाना जाता है।
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बता दें कि पृथ्वी पर आज तक 180 ऐसे इम्पेक्ट के्रटर ढूंढे जा चुके हैं। इसी प्रकार चंद्रमा की बात करें तो चाँद पर 14 लाख के करीब ऐसे गड्ढे बने हुए हैं, जो चाँद की खूबसूरती को दाग लगा रहे हैं। ऐसे ही हजारों गड्ढे ऐसे भी हैं जिन्हें इंसान आज तक देख भी नहीं पाया है। क्योंकि वहां इतना अंधेरा होता है जिन्हें देख पाना मुश्किल ही नहीं अपितु असंभव है। पर ऐसा भी नहीं है कि चाँद पर मौजूद गड्ढे सिर्फ और सिर्फ इम्पेक्ट क्रेटर हैं। कुछ ऐसे गड्ढे भी हैं जो करोड़ों साल पहले ज्वालामुखियों के फटने से बने हैं। Chandrayaan-3
नासा के अनुसार चंद्रमा पर सबसे बड़ा गड्ढा मार्च 2013 में देखा गया था, जोकि 40 किग्रा वजनी पत्थर के 90 हजार किमी प्रतिघंटे की रफ्तार के साथ चांद की सतह पर टकराने से बना था और यह गड्ढा 290 किमी बड़ा था, जिसे टेलिस्कोप की मदद से धरती से भी देखा जा सकता है। आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं कि वो नजारा कैसा होगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आज तक के सर्वें के अनुसार चाँद पर न तो पानी है और न ही वायुमंडल। और तो और चाँद पर पृथ्वी की तरह टेक्टोनिक प्लेट भी नहीं है।
The Moon, as viewed by #Chandrayaan3 spacecraft during Lunar Orbit Insertion (LOI) on August 5, 2023.#ISRO pic.twitter.com/xQtVyLTu0c
— LVM3-M4/CHANDRAYAAN-3 MISSION (@chandrayaan_3) August 6, 2023
इसलिए वहां मिट्टी नहीं कटती, इरोशन कम होता है। यही वजह है कि चाँद पर के्रटर नहीं पटते बल्कि बने रहते हैं। लेकिन धरती पर ऐसे गड्ढों में मिट्टी जमा हो जाती है, पानी भर जाता है, पेड़-पौधे उग जाते हैं, जिसके कारण गड्ढ़े पट जाते हैं। आपको यह भी बता दें कि चाँद पर जो गड्ढे बनते हैंं वो करोड़ों वर्षों तक बने रहते हैं, कम से कम 200 करोड़ साल। इसके अनुसार जब चाँद बना तब उस पर इतने सारे गड्ढे नहीं थे लेकिन चाँद के बनने के बाद लगभग 250 साल बाद गड्ढे बनने शुरू हुए। चाँद पर सबसे बड़ा गड्ढा दक्षिणी धु्रव के पास है, जिसे पार करना आसान नहीं। आपको इसके अंदर 290 किलोमीटर तक चलना पड़ेगा, तब जाकर कहीं यह पार होगा।