Environment Protection: विश्व भर में पर्यावरण (Environment) असंतुलन के कारण कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। कहीं ज्यादा गर्मी, तो कहीं ज्यादा सर्दी, बारिश, बाढ़, भूस्खलन, ग्लेशियरों का पिघलना इत्यादि। बढ़ रही मानवीय लापरवाही का परिणाम यह है कि अब देश के कई राज्य बाढ़ के हालातों से जूझ रहे हैं। बारिश में दरकते पहाड़ों के बीच प्राकृतिक आपदा के आने के लिए भी मानव जिम्मेदार है। नदियों नालों का रास्ता रोक कर अवैध निर्माण किए जा रहे हैं और प्रकृति के अत्याधिक दोहन पर आंख मूंदे हुए है। Environment Protection
पर्यटन के नाम पर आज पहाड़ी राज्यों का जिस कदर शोषण किया जा रहा है और नदी नालों और झरनों को अवरुद्ध किया जा रहा है वह भी पर्यावरण के लिहाज से चिंता का विषय बना हुआ है। मनुष्यों का पर्यावरण के प्रति लापरवाह होने का ही परिणाम है कि निषेध के बावजूद भी ये पहाड़ी पर्यटन स्थल प्लास्टिक के कचरे से अटे पडेÞ हैं। दूसरी ओर गर्मी को लेकर भी चिंताजनक आंकड़ें सामने आए हैं जिसमें बताया गया है कि भारत में गत वर्ष अत्यधिक गर्मी के कारण विभिन्न क्षेत्रों में 159 अरब डॉलर की आय का नुकसान हुआ।
असहनीय तापमान से बाहर काम करने वालों की मानसिक विश्लेषणात्मक व शारीरिक क्षमता पर सीधा प्रभाव तो पड़ा ही, अंदर भवनों में कार्य करने वालों की उत्पादकता भी घटी। अत्यधिक तापमान और गर्मी जल्दी प्रारंभ हो जाने के कारण मवेशियों का दूध उत्पादन घटा है। पर्यावरण से खिलवाड़ का ही नतीजा है कि 2016 से 2021 के मध्य जलवायु की चरम घटनाओं से भारत में 360 लाख हेक्टेयर भूमि में फसल का नुकसान हुआ। वर्ष 2023 में असामान्य तापमान से कटाई के समय बारिश होने पर गेहूं-उत्पादन तो प्रभावित हुआ। इसके साथ-साथ मार्च-अप्रैल में कुछ क्षेत्रों में सामान्य से अधिक बेमौसम बरसात से प्याज की भी 70 फीसदी फसल खराब हुई।
अब बाढ़ आने पर सब्जियों व फलों की कीमतों में आग सी लग गई है। पहाड़ों पर ग्लेशियर सिकुड़ते जा रहे हैं, तो दूसरी तरफ अत्याधिक बारिश का अधिकांश जल संचित नहीं हो पा रहा। जिसका परिणाम यह होगा कि कि सिंचाई की जब जरूरत होगी, हमें शायद पर्याप्त जल नहीं मिलेगा। केवल पर्यावरण दिवस पर ही पौधारोपण व हरियाली की चर्चा नहीं होनी चाहिए। ऐसे में आवश्यकता है कि पर्यावरण के हित में सभी लोगों को अपना योगदान देना होगा। सरकार को बारिश के पानी संचय करने के उपाय तलाशने होंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए समाज के सभी लोगों को ईमानदारी दिखानी होगी।
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