सरसासच कहूँ/सुनील वर्मा। Sirsa Ghaggar River पहाड़ी इलाकों में हुई बरसात के चलते घग्गर नदी का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है और जिले में घग्गर नदी पिछले 24 घंटे से खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। पानी अधिक आने और बहाव तेज होने के कारण नदी के तटबंधों में दरारें आ रही हंै। शक्रवार को गांव रंगा, रात्रि को मुसाहिब वाला और बाद में देर रात्रि को गांव पनिहारी के पास घग्गर नदी के तटबंधों में कटाव हो गया। कटाव इतने बड़े है कि शनिवार शाम तक इन्हें बंद नहीं किया जा सका। इसलिए जिला प्रशासन की ओर से बाढ़ बचाव के लिए अब एनडीआरएफ की मदद मांगी गई है। जिसके पश्चात दो एनडीआरएफ की यूनिटें यहां पहुंच रही है।
जिन्हें राहत व बचाव कार्यों में लगाया जाएगा। पनिहारी के पास घग्गर नदी टूटने से पनिहारी, फरवाई कलां, बुर्जकर्मगढ़ सहित कई गांवों में हालात नाजुक बने हुए है। क्योंकि पानी तेज गति से इन गांवों के खेतों और गांव की फिरनियों को छूता हुआ फरवाई कलां गांव के समीप पहुंच गया है। फरवाई कलां गांव निचले इलाके में स्थित होने के कारण उन्हें 2010 की भांति इस बार भी गांव के डूबने का मंजर याद आने लगा है। गांव की ओर तेज गती से बढ़ते पानी के बहाव को देखते हुए ग्रामीणों ने यहां से पलायन करना शुरू कर दिया हैं। शुक्रवार रात्रि से ही ग्रामीण ट्रेक्टर-ट्रालियों व अन्य वाहनों से अपना सामान सुरक्षित स्थानों पर भेज रहे है। Sirsa Ghaggar River
फरवाई कलां के ग्रामीणों ने कहा कि जब भी घग्घर में बाढ़ आती है, उन्हें हर बार गांव से पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। जिसके कारण कई वर्षों तक उनकी जिंदगी पटरी पर नहीं लौटती। ग्रामीण अपने पशुओं, कीमती सामान आदि को अपने सगे संबंधी व रिश्तेदारों के पास भेज रहे है। वहीं कुछ ग्रामीण अपने घरों के अंदर ही जेसीबी की सहायता से बड़े अवरोधक बांध बना रहे है, ताकि उनका मकान खराब न हो। उधर शनिवार सुबह सरसा-सरदूलगढ़ हाईवे पर फरवाई कलां के समीप बनी पुलियों को बंद करने के विरोध में भी किसानों ने रोड जाम कर प्रदर्शन किया। बाद में प्रशासन ने जाम को खुलवाया।
बांध बनाकर मकानों को बचाने का कर रहे प्रयास | Sirsa Ghaggar River
फरवाई कलां में अपने मकानों को बचाने के लिए जेसीबी की सहायता से अपने घर में ही अवरोधक बांध बनाने में जुटे रामकुमार ने बताया कि 2010 में जब गांव में घग्गर की बाढ़ आई थी तो उन्होंने घर के अंदर बांध बनाकर अपने पूरे मकान को बचाया था। उन्होंने कहा कि घर बनाने में लाखों रूपए खर्च होते है, इसलिए आर्थिक नुकसान ना हो, इसके बांध बना रहे है। हालांकि ग्रामीण रामकुमार ने अपना सारा सामान सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया है। वहीं दुखी मन से गांव से पलायन कर रही बुजुर्ग महिला मूर्ति देवी ने कहा कि जब भी बाढ़ आती है उन्हें गांव छोड?ा पड़ता है। इससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
सरकार व प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि ग्रामीणों को पलायन ना करना पड़े, इसके लिए कोई स्थाई समाधान निकालना चाहिए। ग्रामीण सुरेंद्र कुमार, गुरनाम सिंह ने बताया कि सबसे पहले 1962 में घग्गर में बाढ़ आई थी, जिससे उनका पूरा गांव तहस नहस हो गया था। क्योंकि उस समय ग्रामीणों के अधिकतर मकान कच्चे थे जो पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे। बाद में 1988 और फिर 1993, 94,95 तीन साल लगातार बाढ़ आई थी। इसके पश्चात 2010 में आई बाढ़ के कारण भी उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
पिछले 24 घंटों से घग्गर में लगातार आ रहा है 44 हजार क्यूसेक पानी | Sirsa Ghaggar River
उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने कहा कि वे स्वयं शुक्रवार रात के समय भी तथा शनिवार सुबह भी मुसाहिब गांव, पनिहारी, फरवाई सहित अन्य साथ लगते गांवों को देखकर आए थे। जिला प्रशासन का प्रयास है कि आबादी को पानी से बचाया जाए, इसके लिए जरूरी प्रयास व कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने बताया कि पीछे से ही पानी का बहाव काफी अधिक रहा है तथा सरसा में अनुमान से अधिक पानी पहुंचा है, जिस कारण लगातार घग्घर नदी का जलस्तर बढ़ रहा है। पिछले 24 घंटे में घग्घर नदी में 44 हजार क्यूसेक पानी लगातार आ रहा है।
जिला सरसा से पहले सरदुलगढ में आज प्रात: 48 हजार क्यूसेक जल स्तर पहुंच गया था। उपायुक्त ने बताया कि गांव मुसाहिब गांव में लगभग 250 एकड़ व गांव पनिहारी में 450 एकड़ कृषि भूमि में पानी चला गया है। गांव मुसाहिब वाला व पनिहारी में जनस्वास्थ्य विभाग व स्वास्थ्य विभाग को हर संभव सहायता के निर्देश दिए गए हैं। राजस्थान कैनाल पर स्थित दोनों साइफन की लगभग 30 हजार क्यूसेक पानी पार करवाने की क्षमता है तथा ओटू हैड से सभी द्वार खोले गए हैं तथा पानी को आगे भेजा जा रहा है। उपायुक्त ने बताया कि आपातकालीन स्थिति की संभावना के मद्देनजर एनडीआरएफ से संपर्क किया जा रहा है। जैसे ही यूनिट मिलेंगी, उन्हें प्रभावित क्षेत्रों में डिप्लॉय कर दिया जाएगा। इसके अलावा आवश्यकता के अनुरूप सामाजिक संस्थाओं का भी सहयोग लिया जाएगा। आपदा की स्थिति में बचाव के लिए सेफ हाउस बनाने के लिए प्वाइंट चिन्हित किए गए हैं।
डीसी, एसपी ने किया गांवों का दौरा
शनिवार को उपायुक्त पार्थ गुप्ता, एसपी उदय सिंह मीणा ने गांव मुसाहिबवाला, पनिहारी, फरवाई खुर्द व अन्य गांवों का दौरा किया तथा इन गांवों में ग्रामीणों से बातचीत की और जिला प्रशासन द्वारा हर संभव मदद का आश्वासन दिया। इससे पहले भी शुक्रवार रात के समय बांध टूटने की सूचना मिलने पर उपायुक्त ने मौके की स्थिति का जायजा लिया तथा प्रशासन अधिकारियों को त्वरित बचाव कार्य करने के निर्देश दिए। उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने बताया कि गांव बुढाभाणा, मल्लेवाला व साथ लगते अन्य गांवों के तटबंधों को मजबूत किया जा रहा है।
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