Uniform Civil Code : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान से एक बार फिर समान नागरिक संहिता की चर्चा छिड़ गई है। प्रधानमंत्री का तर्क है कि एक परिवार एक से अधिक कानून के तहत नहीं चल सकता तो देश कैसे चलेगा। आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया जाने वाला कानून एक पारिवारिक और सामाजिक मुद्दा है, लेकिन इसे धार्मिक रंग चढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं, जबकि इसके धार्मिक सरोकारों पर कोई सहमति नहीं है। PM Modi
दरअसल, शादी, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति का अधिकार, ये मानव विज्ञान, समाज विज्ञान और कानून विज्ञान के मुद्दे हैं जिनका धर्म से कोई सीधा संबंध नहीं है। लेकिन विवाह को पूर्णत: धार्मिक मुद्दा नहीं माना जा सकता। विवाह एक संस्था की तरह है और धर्म किसी भी कार्य के लिए प्रेरणा, शक्ति के रूप में आदर्श को प्राप्त करने का मार्ग दिखाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी बच्चे को स्कूल की परीक्षा देनी है या किसी खिलाड़ी को किसी टूनार्मेंट में भाग लेना है, तो वह सबसे पहले अपने धर्म के सिद्धांतों और प्रक्रियाओं के अनुसार प्रार्थना करता है, झुकता है और प्रसाद प्राप्त करता है या फिर खेलों व परीक्षाओं में सफलता के लिए एक पूरी व अलग व्यवस्था होती है जिसमें प्रबंध और नियमों का अपना महत्व होता है। Uniform Civil Code
इसी तरह, विवाह एक पुरुष और एक महिला के बीच रिश्ते की शुरूआत है। इसमें धार्मिक परंपराओं का संबंध मनुष्य को सदाचारी, परोपकारी, जिम्मेदार, सहयोगी बनने की प्रेरणा देता है। नेकी की राह पर चलते हुए अच्छे आचरण पर जोर देता है, जहां तक तलाक या पुनर्विवाह की बात है तो इन बातों का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। ये बातें ऐतिहासिक परिस्थितियों, समाज और जीव विज्ञान के पहलुओं से संबंधित हैं। PM Modi
यदि विवाह या तलाक के नियम धर्मों द्वारा तय किए गए होते, तो समूह विश्व में हिंदुओं के लिए एक प्रणाली और मुसलमानों और ईसाइयों के लिए अलग-अलग प्रणाली होती। विश्व के दर्जन भर देशों में मुस्लमान निवास करते हैं, लेकिन उनके लिए तलाक का कोई नियम नहीं है। यदि तीन तलाक इस्लाम है, तो पाकिस्तान सहित कई मुस्लिम बहुल देशों में तीन तलाक की प्रथा नहीं है, जबकि भारतीय मुस्लमानों में यह प्रथा है। धर्मों में परमात्मा को याद करने के तरीके अरदास/ नमाज/ प्रार्थना/ प्रेअर/ दुआ करने के साथ-साथ दान, वाणी, व्यवहार और कर्तव्यों से संबंधित निर्देश दिए गए हैं, लेकिन विवाह, मनुष्य के सामाजिक जीवन, विशेषकर धर्म के नकारात्मक पहलुओं पर कुछ नहीं कहा गया है। Uniform Civil Code
धर्म समानता, सहयोग और किसी के अधिकारों का हनन करना नहीं सिखाता। यदि संपत्ति के उत्तराधिकारी या अधिकार के लिए कानून का प्रस्ताव (प्रावधान) करना है तो धर्म की उपरोक्त शिक्षा के तहत सर्वोत्तम नियम बनाए जा सकते हैं। कुरीतियों को समाप्त किया जाना चाहिए। समय के साथ नेक परिवर्तन को रोकना नहीं चाहिए। समाज के भीतर से भी परिवर्तन की लहर उठती है, यदि उसका कानूनी उपाय बन जाता है तब यह समाज व देश के हित में होगा। राजनीतिक स्वार्थों को त्यागकर सोचना होगा।
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