कंपनी सचिव (सीएस) किसी कंपनी का एक महत्वपूर्ण कर्मचारी होता है। कंपनी एक्ट, 2013 के प्रावधानों के लागू होने के बाद सीएस के लिए खूब अवसर बढ़ गए हैं। इस एक्ट के अनुसार, भारत में पांच करोड़ या उससे अधिक शेयर पूंजी वाली सभी कंपनियों में एक फुलटाइम कंपनी सेक्रेटरी की नियुक्ति को अनिवार्य कर दिया गया था। वहीं, सभी लिस्टेड व पब्लिक कंपनियों, जिनकी पूंजी 10 करोड़ रुपए या उससे अधिक है, उनमें एक ‘की मैनेजरियल पर्सन’ की नियुक्ति आवश्यक है और कंपनी सचिव इसके योग्य माना गया है। देश में मेक इन इंडिया अभियान के आने और स्टार्टअप के दौर में इस पद के लिए नए अवसर बढ़े हैं।
सीएस के मुख्य काम (Secretary Position)
किसी कंपनी की प्रशासनिक और कानूनी जिम्मेदारियों को संभालने का कार्य मुख्य रूप से कंपनी के सचिव का ही होता है। कंपनी के सभी वैधानिक और कानूनी काम कंपनी सचिव ही करता है। कंपनी के सभी कानूनी दस्तावेजों पर सीएस ही हस्ताक्षर करता है। निजी कंपनियों में तो यह एक बहुत ही सम्मानजनक पद होता है। कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर और कंपनी के मध्य तालमेल बिठाना, कंपनी और उसके शेयर धारकों के बीच समन्वय स्थापित करना कंपनी सचिव का मुख्य कार्य है। कंपनी सचिव वार्षिक रिटर्न के लिए भी जिम्मेदार होता है। सीएस का कार्य व्यवसाय और कंपनी कानूनों पर सलाह देना होता है। इसलिए उसे फाइनेंस, कॉमर्स और कानून की समझ होना बेहद जरूरी है।
क्या हैं पात्रता की शर्तें | (Secretary Position)
यह सरकार द्वारा बहुत कम खर्च का डिस्टेंस मोड का एक प्रोफेशनल सर्टिफिकेशन प्रोग्राम है, जिसमें शानदार आय है। इसे 12वीं के बाद कर सकते हैं, या फिर ग्रेजुएशन के बाद प्रवेश ले सकते हैं। कॉमर्स बैकग्राउंड के साथ सीएस का कोर्स बहुत लाभ देगा। उसके बाद नौकरी करते हुए एमबीए की डिग्री लेकर आप अपने लिए वेतन के शानदार मानक बना सकते हैं। इस प्रोग्राम के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सचिव ऑफ इंडिया (आईसीएसआई) का सदस्य होना आवश्यक है, जिसमें प्रवेश पूरे वर्ष भर ले सकते हैं। परीक्षा साल में दो बार जून और दिसंबर में होती है। इसके लिए आपको कट ऑफ डेट्स से पहले एडमिशन लेना होता है। इस कोर्स के लिए कोई आयु सीमा नहीं है।
काम में कुछ चुनौतियां भी | (Secretary Position)
यह एक बहुत ही जिम्मेदारी भरा पद है। कंपनी सचिवों पर परिणाम देने का लगातार दबाव रहता है। वैसे तो मैनेजमेंट और लीगल सर्विसेज के बारे में सीएस कोर्स के दौरान छात्रों को पढ़ाया जाता है, पर कंपनियां ऐसे छात्रों को वरीयता देती हैं, जिन्होंने अलग से लॉ या एमबीए की डिग्री ली हो। ऐसे में अगर आप बेहतर पैकेज की उम्मीद करते हैं, तो लॉ या एमबीए की डिग्री भी आपको लेनी जरूरी है।
कहां मिलेंगे अवसर:
बैंकिंग, फाइनेंस, स्टॉक, कंसल्टेंसी फर्मों और कैपिटल मार्केट में कंपनी सचिव की मांग ज्यादा है। आईसीएसआई से ‘सर्टिफिकेट ऑफ प्रैक्टिस’ प्राप्त करने के बाद इंस्टिट्यूट के सदस्य स्वतंत्र प्रैक्टिस भी कर सकते हैं। साथ ही, कॉरपोरेट्स को सेवाएं भी दे सकते हैं। सरकारी वित्तीय संस्थान, स्टॉक एक्सचेंज, सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो, राष्ट्रीयकृत बैंकों में कानून सेवाएं, कंपनी मामलों का विभाग-भारत में सीएस के कुछ महत्पूर्ण क्षेत्र हैं। कंपनी कानून बोर्डों, विभिन्न सरकारी विभागों में भी कंपनी सचिव की आवश्यकता होती है।
शैक्षणिक संस्थानों में विजिटिंग फैकल्टी बन सकते हैं और फाइनेंशियल मार्केट सर्विस तथा मैनेजमेंट सर्विस जैसे कई क्षेत्रों में अवसर पा सकते हैं। खुद की कंपनी भी बना सकते हैं।
सैलरी: किसी कंपनी में सीएस का वेतन शुरूआत में ही 1 लाख रुपये प्रतिमाह से ज्यादा होता है। योग्यता और अनुभव के आधार पर पांच से 12 लाख प्रतिमाह तक मिल जाते हैं।
प्रमुख संस्थान:
इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
जवाहरलाल नेहरू टेक्निकल यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
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