World Environment Day: हम हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाते हैं। आने वाले 21 जून को हम विश्व योग दिवस मनाएंगे, पर योग की आवश्यकता क्या एक दिन ही होती है? स्वस्थ रहने के लिए तो नियमित दैनिक योगाभ्यास करना चाहिए। इसी प्रकार से पर्यावरण दिवस एक दिन मनाकर हमारी जिम्मेदारी पूर्ण नहीं होती, अपितु हम अपने दैनिक जीवन में पर्यावरण का महत्व समझें और पर्यावरण संरक्षण की पूरी कोशिश करें।
World Environment Day:- MSG ने हरियाली से महकाई धरा
केवल औपचारिकता मात्र से हम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकते और लक्ष्य है क्या? जहां तक पर्यावरण संरक्षण की बात है तो यह लक्ष्य है कि यह ब्रह्मांड हमें जिस सुन्दर अवस्था में मिला था उससे अधिक सुन्दर बनाकर हम इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए छोड़कर जाएं। यदि अधिक सुन्दर न बना सकें तो कम से कम इसे खराब तो न करें। इसके लिए प्रत्येक नागरिक को देश, विश्व और आने वाली-पीढ़ियों के प्रति अपना सकारात्मक योगदान पर देना होगा। उदाहरण के तौर पर हर कोई मानता है कि पॉलीथीन और प्लास्टिक पर्यावरण के लिए बड़े घातक हैं। सरकारें कानून तो बना सकती हैं परन्तु उनको लागू करने में व्यक्ति का और समाज का योगदान अति आवश्यक है। World Environment Day
हम अक्सर यह चर्चा करते और सुनते हैं कि आने वाले समय में शुद्ध जल की बड़ी गंभीर समस्या होगी और कई बार तो यह कहा जाता है कि तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिए होगा। परन्तु क्या हम अपने दैनिक जीवन में जल बचाने का प्रयास करते हैं? क्या प्रात: ब्रश करते समय या शेव करते हुए हम पानी का नल व्यर्थ में चलता तो नहीं रहने देते? नहाने में या अन्य उपयोग में थोड़ा-थोड़ा पानी बचाना जल संरक्षण के प्रति हमारा योगदान हो सकता है। World Environment Day
जल संरक्षण के लिए वर्षाजल का संचय करना अनिवार्य होना चाहिए। जल संरक्षण कार्यों के अनुश्रवण और मूल्यांकन करने हेतु एक राज्य स्तरीय टास्क फोर्स होनी चाहिए। सरकारी और गैर-सरकारी भवनों, होटलों, उद्योगों में वर्षा जल को संग्रहण करने के लिए टैंक निर्मित होने चाहिए, यह अनिवार्य हो। इसके बिना किसी सरकारी अथवा गैर सरकारी भवन का नक्शा स्वीकृत नहीं होना चाहिए। पन-विद्युत परियोजनाओं के लिए जब पानी डायवर्ट किया जाता है तब भी मुख्य नदी की पारस्थितिकी का रखरखात ठीक प्रकार से करने के लिए 15 प्रतिशत पानी का बहाव मुख्य नदी में अनिवार्य हो। World Environment Day
Environment Day: जहां भी प्रोजेक्ट निर्माण हो, भवन निर्माण हो या सड़क निर्माण हो वहां पर पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए डंपिंग साइट चयन का काम शुरू होने से पहले हो और पर्यावरण संरक्षण के लिए बताए गए कदमों को लागू करवाने की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों की हो तथा लापरवाही के मामले में उनकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी मानी जाए। ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के लिए कोयले व अन्य र्इंधन, जीवाशम र्इंधन के जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध हो। कुछ छोटे-छोटे सुझाव हैं जो हम व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक तौर पर सहयोग कर के पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं। World Environment Day
5 june environment day: जैसे हम स्वयं पॉलीथीन और प्लास्टिक के कैरी बैगज का उपयोग पूर्ण रूप से बन्द कर दें। ‘पॉलीथीन हटाओ, पर्यावरण बचाओ’ अभियान को राष्ट्रीय स्तर तक गंभीरता ता से लागू करके हम बड़ा योगदान कर सकते हैं। हमने हिमाचल प्रदेश में सत्ता में रहते हुए यह करके दिखाया था। पॉलीथीन और प्लास्टिक के कचरे को एकत्रित करके सड़क निर्माण के कार्य में उपयोग किया था। इसके लिए 21 अप्रैल 2011 को लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार हिमाचल प्रदेश को हमारी उत्कृष्ट पहल पर ‘हिमाचल प्रदेश में प्लास्टिक कचरे का स्थाई प्रबंध, संकल्पना से नीति तक’ मिला था। World Environment Day
Environment: हमने शुरुआत की थी बच्चों में प्राकृतिक संसाधनों के महत्व तथा पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान करने वाले पत्रकारों, लेखकों, मैगजीनों (पत्रिकाओं) समाचार-पत्रों को पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार और सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जाना चाहिए। हमने बच्चों में प्राकृतिक संसाधनों के महत्व तथा पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने हेतु पर्यावरण संरक्षण संहिता बनाई थी। प्रात:काल विद्यालय में प्रार्थना के बाद भी पर्यावरण संरक्षण की शपथ दिलाई जाती थी। पर्यटन क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने हेतु एक पर्यटक आचार संहिता लागू की जानी चाहिए ताकि उनका योगदान भी सुनिश्चित हो सके। World Environment Day
हर व्यक्ति अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए अधिक से अधिक धन संसाधन छोड़ कर जाना चाहता है। जिस प्रकार से पर्यावरण दूषित हो रहा है ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ रहा है, ग्लेशियर पिघल रहे हैं, तथाकथित विकसित देश प्रदूषण फैला रहे हैं उन परिस्थितियों को देखते हुए आने वाली पीढ़ी के लिए हमारी सबसे बड़ी विरासत एक सुन्दर, स्वच्छ, कार्बन न्यूट्रल पर्यावरण उसके लिए छोड़ कर जाना होगा। महात्मा गांधी ने कहा था कि प्रकृति ने हमारी आवश्यकता अनुसार उपयोग के लिये पर्याप्त दिया है पर लोभ के लिए नहीं। इसलिए आवश्यकता के अनुसार प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करें, शोषण नहीं।
कार्बन तटस्थता के लिए हमारा नारा हो :-
हर नागरिक बने पर्यावरण प्रहरी प्रखर,
पर्यावरण संरक्षण में विकास की डगर।