फैक्ट्रियों, शॉपिंग मॉलस व महंगे बाजार लोगों के लिए बने आकर्षण का केन्द्र
बरनाला (सच कहूँ/गुरप्रीत सिंह)। बाबा आला सिंह द्वारा बसाया गया शहर बरनाला (Barnala) आज काफी बदल गया है। दशकों पहले जिसने बरनाला शहर को देखा था, वह आज इसके बदले हुए रूप को हर कोई हैरान हो रहा है। बरनाला की बात की जाए तो सवा लाख की आबादी वाला यह शहर अपने नये रूप में आ रहा है। दशकों पहले इसे अति पिछÞड़ा हुआ माना जाता था लेकिन आज बरनाला शहर को दूर-दूर से लोग देखने आने लगे हैं।
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आसपास बड़ी फैक्ट्रियों से घिरा बरनाला अब दूसरे राज्य के लोगों का सहारा बन चुका है, बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों से लोग यहां आकर रह रहे हैं व शहर के मूल निवासियों के बच्चे विदेशों की तरफ कूच कर रहे हैं। यहां के लोग स्टीक मलवयी भाषा बोलने के चलते सभी के लिए आकर्षण का केन्द्र बने रहते हैं। यहां की मलवयी भाषा को देश के नामी लेखक राम सरूप अणखी ने अपनी लेखनी में संजोकर देशों-विदेशों तक पहुंचाया व इस भाषा का लोहा मनवाया। बरनाला के साहित्यकारों ने भी मलवयी भाषा को धूमल नहीं होने दिया व आज भी बेशक नयी युवा पीढ़ी आईलैट्स की पढ़ाई कर अंग्रेजी, फ्रैंच व अन्य भाषाएं सीख रहे हैं लेकिन ज्यादातर घरों में आज भी ठेठ मलवयी ही सुनने को मिलती है।
बरनाला शहर (Barnala) को देश में पहचान देने का श्रेय पंजाब के पूर्व सीएम सुरजीत सिंह बरनाला को जाता है, पंजाब की राजनीति में सुरजीत सिंह का योगदान इतिहास में दर्ज है। बेशक सुरजीत सिंह धौला गांव के जंमपल थे लेकिन उन्होंने अपने नाम पीछे बरनाला का नाम लगाकर इसे बढ़ाया। सुरजीत सिंह बरनाला की महल रूपी कोठी आज भी अपना रूतबा कायम किए हुए है। बरनाला की बात हो तो कैप्टन कर्म सिंह का जिक्र होना लाजिमी है। कैप्टन कर्म सिंह भारतीय सेना के सर्वोच्च मैडल परमवीर चक्र से सम्मानित हुए थे। बरनाला के कस्बा शहना के निवासी कैप्टन कर्म सिंह ने दूसरा विश्व युद्ध व भारत और पाकिस्तान की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाई थी।
2006 में पंजाब के 20वें जिले का रुतबा हासिल करने वाला बरनाला आज भी तरक्की की राह पर है। यहां की पुरानी कचहरी को तोड़कर बहुमंजिला इमारत का रूप दे दिया गया। जिला प्रबंधकीय कॉम्प्लैक्स भी बन गया व बड़ी संख्या में सरकारी दफ्तर इसके अदर चल रहे हैं। पंजाब के बड़े औद्योगिक घराने ट्राईडैंट की कई फैक्ट्रियां बरनाला शहर के आसपास हैं। जो एक अलग शहर का अहसास करवा रही हैं। इस औद्योगिक ने दूसरे राज्यों के बड़ी संख्या में प्रवासियों को नौकरियां दी हुई हैं, जिस कारण बरनाला शहर में हजारों की संख्या में प्रवासी रह रहे हैं।
प्रभात सिनेमा व न्यू पैलेस का वजूद हुआ खत्म | (Barnala News)
बरनाला शहर में लोगों के कभी मनोरंजन का साधन रहे प्रभात सिनेमा व न्यू पैलेस का वजूद खत्म हो चुका है। दशकों तक लोगों का मनोरंजन करने वाले इन सिनेमाओं की खंडरनुमा बिल्डिंगें सिर्फ दीवारों के रूप में खड़ी हैं। न्यू पैलेस तो टूटकर एक प्लाट की शकल में आ गया है, जबकि प्रभात सिनेमा की बिल्डिंग अभी भी अंतिम सांस ले रही है।
बहुमंजिला इमारतों ने शहर को चारों तरफ से घेरा
बरनाला (Barnala) के आसपास बड़ी संख्या में शॉपिंग कॉम्पलैक्स तैयार हो रहे हैं। शहर के धुर अन्दर पुराने बस स्टैंड के नजदीक एक बहुमंजिला इमारत तैयार हो रही है, जहां देश-विदेशों के नामी ब्रांड अपने शो रूम खोल रहे हैं। पीजा, बर्गर व अन्य खाने पीने की ब्रांडिड वस्तुएं शहरियों के पास पहुंचने को तैयार हैं। बरनाला के नजदीक कस्बा हंड्याया के पास कई एकड़ में तैयार हुआ प्लाजा समूह पंजाब में अपनी तरह का पहला प्लाजा है, जिसे पंजाब के दूसरे जिलों में से आकर देख रहे हैं। बड़े शोरूम, क्लब, नामी विदेशी व देसी ब्रांडों के शोरूम खुल चुुके हैं। इस प्लाजा में घूम कर अमेरिका, कनाडा जैसे विकसत देशों के बाजारों की तरह महसूस होता है। बच्चों के लिए महंगी रेसिंग खेल, बॉलिंग व अन्य दर्जनों ऐसे खेल हैं, जो शायद पंजाब में कहीं और खेली जाती हों।
दर्जनों प्रसिद्ध प्राईवेट स्कूल दे रहे महंगी शिक्षा | (Barnala News)
बरनाला एक ऐसा शहर है, जहां दर्जनों ऐसे प्राईवेट स्कूल हैं, जो अपने-आप को अंतरराष्टÑीय स्तर की शिक्षा देने का दावा करते हैं। बरनाला शहर का सबसे पुरातन कॉलेज एसडी कॉलेज आज भी विद्यार्थियों को अपने साथ जोडेÞ रखने में कामयाब है। बेशक आज युवाओं में विदेशों में सैटल होने की होड़ लगी हुई है, लेकिन कॉलेज प्रबंधकों की सफल कार्यशैली के चलते आज भी हजारों विद्यार्थी यहां से बीए, बीकॉम, बीबीए, बीसीए, पीजीडीसीए व अन्य भी अनेकों कोर्स कर रहे हैं। बरनाला शहर के दो बड़े सरकारी स्कूल छात्र व छात्राओं के हैं, जो इस चकाचौंध में भी अपना अस्तित्व कायम रखे हुए हैं।