पीले रंग के ‘मिश्री’ तरबूज तैयार कर रहा रायपुर का रामचंद्र

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पीले रंग के ‘मिश्री’ तरबूज तैयार कर रहा रायपुर का रामचंद्र

खेत को ही बना रखी है मंडी

किसान रामचंद्र बैनीवाल ने अपने खेत में पीले रंग का तरबूज (watermelon) लगाया हुआ है। यह तरबूज लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। खास बात ये भी है कि खेत से ही लोग तरबूज की खरीद कर रहे हैं। इसका स्वाद भी लोगों को खूब पसंद आ रहा है। लोगों की सुविधा के लिए खेत के पास ही झोपड़ी बना रोड के समीप तरबूज बेच रहा।

इजरायल के तरबूज से कमा रहा मुनाफा | watermelon

किसान रामचंद्र ने बताया कि बीए की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। इसके बाद वर्ष 2016 में खेत के अंदर एक एकड़ में सब्जी लगाकर बेचने का कार्य किया। इसके बाद सब्जी ज्यादा भूमि पर लगाने लगा। इसी बीच गांव ढूकड़ा निवासी मुरलीधर के लगाए गये तरबूज के बारे में पता चला। इस पर वर्ष 2020 में तरबूज लगाने का कार्य शुरू कर दिया। इसके बाद इजराइल के तरबूज किस्म के बारे में पता चला। अब यह किस्म लगाकर मुनाफा कमा रहा है।

40 रुपये के हिसाब से बिक रहा है पीले तरबूज

आमतौर पर तरबूज के भाव अभी दस रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है। जबकि इजराइल के तैयार किए गये विशेष किस्म के तरबूज रामचंद्र प्रति किलो 40 रुपये के हिसाब से बेच रहा है। किसान रामचंद्र का कहना है कि लाल रंग के तरबूज के मुकाबले पीले तरबूज का स्वाद ज्यादा बेहतर है और यह ज्यादा मीठा होता है। तरबूज का रंग ऊपर से तो हरा है लेकिन अंदर से पीला और लाल निकलता है। किसान रामचंद्र ने बताया कि पीले तरबूज के साथ-साथ हरी मिर्च, तोरी, ककड़ी, बैंगन, भिंडी, तर व खरबूजा की खेती की हुई है।

जैविक तरीके से करता है तैयार

किसान रामचंद्र ने बताया कि इजराइल के तरबूज जैविक तरीके से तैयार कर रहा है। यह 60 दिन में तैयार होने वाली पीले तरबूज की खेती में गाय के गोबर की खाद डालता है। वहीं स्प्रे नीम, कोड़ तुंबा, आसकंद और जड़ी-बूंटी को मिलाकर तैयार मिश्रण से करता है।

नहीं मिला कोई सहयोग

किसान रामचंद्र ने सब्जी व तरबूज से अच्छी आमदनी हो रही है। इससे घर का गुजरा अच्छे तरीके से हो रहा है। वहीं लोगों को अच्छी क्वालिटी का तरबूज खाने को मिल रहा है। मगर सरकार से निराश होकर बताया कि सरकार की तरफ से उन्हे कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। संबधित विभाग के अधिकारी खेत में आते जरूर है लेकिन महज एक खाना पूर्ति कर चले जाते है। किसानों के लिए योजना बहुत लागू करती है लेकिन उस योजना का लाभ किसानों तक नहीं पहुंचता है।