डिब्रूगढ़। उसके माता-पिता ने गुरुवार को डिब्रूगढ़ जेल में एक (Amritpal Singh News) संगठन वारिस पंजाब डे के प्रमुख अमृतपाल सिंह से मुलाकात की। इसके बाद अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह ने दावा किया कि अमृतपाल ठीक है। उन्होंने कहा कि परिवार की ओर से कानूनी तरीके से उनकी रिहाई के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है, लेकिन अभी और कितना समय लगेगा यह भगवान ही जानता है। अमृतपाल सिंह की मां बलविंदर कौर ने कहा कि पंजाब सरकार ने उनके बेटे के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की धारा लगाकर अन्याय किया है, क्योंकि उसने कोई अपराध नहीं किया है। उन्होंने अपने बेटे अमृतपाल से घर की कुछ चीजें शेयर की हैं और खाने-पीने का कुछ सामान भी दिया है।
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जेल प्रशासन से मंजूरी मिलने के बाद वह अपने बेटे से मिले | Amritpal Singh Dibrugarh Jail
गौरतलब है कि पंजाब पुलिस ने अमृतपाल सिंह को 23 अप्रैल को मोगा जिले के रोडे गांव से हिरासत में लिया था और उसी दिन से अमृतपाल सिंह जेल में है। अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह और मां बलविंदर कौर गुरुवार को डिब्रूगढ़ एयरपोर्ट पहुंचे, जहां से वे सीधे जेल चले गए। इसी बीच जेल प्रशासन से मंजूरी मिलने के बाद वह अपने बेटे से मिले। इससे पहले चार मई को अमृतपाल की पत्नी किरणदीप कौर ने डिब्रूगढ़ जेल में उनसे मुलाकात की थी। किरणदीप के साथ डिब्रूगढ़ जेल में बंद दलजीत सिंह कलसी के परिवार के सदस्य भी थे।
कौन हैं अमृतपाल सिंह की एनआरआई वाइफ किरणदीप कौर | Amritpal Singh’s NRI Wife
अमृतपाल सिंह की एनआरआई वाइफ किरणदीप के परिवार की पृष्ठभूमि जालंधर है। मूल रूप से जालंधर के गांव कुलारां के रहने वाले हैं और वे कुछ समय पहले इंग्लैंड में बस गए थे। अमृतपाल सिंह ने अपनी शादी को रिवर्स माइग्रेशन कहा था। उन्होंने कहा था कि शादी के बाद उनकी पत्नी पंजाब में ही रहेंगी।
बता दें कि ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के मुखिया Amritpal Singh को पंजाब पुलिस ने रविवार (23 अप्रैल) को गिरफ्तार किया था। उसे 36 दिनों की तलाश के बाद पंजाब के मोगा जिले से गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के बाद अमृतपाल को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत असम के डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल भेज दिया गया। इस जेल में अमृतपाल के 9 साथी पहले से बंद हैं।
सूत्रों के मुताबिक अमृतपाल को अलग एकांत सेल में रखा गया है। जिस सेल में अमृतपाल को रखा गया है, उसमें अमृतपाल के अलावा कोई और कैदी नहीं है। अमृतपाल के अन्य 9 साथी यहां बंद हैं लेकिन किसी को एक-दूसरे से मिलने नहीं दिया जा रहा है। उसके बाकी साथियों को भी अलग सेल में रखा जाता है यानी एक कैदी दूसरे कैदी से नहीं मिल सकता।