Hansi (सच कहूँ/मुकेश)। आमतौर पर देखा जाता है कि Women’s Day के (E-rickshaw) उपलक्ष्य में तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। मगर महिलाओं के बिना किसी दिवस की कल्पना भी नहीं की जा सकती। जहां एक तरफ महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। वहीं एक महिला अपने पति के कम वेतन को अपने बच्चों की शिक्षा में किसी प्रकार की बाधा नहीं बनने दे रही। हम बात कर रहे हैं, हांसी कि वकील कॉलोनी में रहने वाली एक महिला रोशनी देवी की जो ई-रिक्शा चलाकर अपने बच्चों को उच्च शिक्षा हासिल करवा रही है।
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रोशनी देवी अपने पति कौर सिंह के साथ दिन-रात (E-rickshaw) एक कर के अपने बच्चों को उस मुकाम पर बैठाने की कोशिश कर रही है, जिस मुकाम पर वह दोनों नहीं बैठ पाए। दरअसल रोशनी देवी कक्षा दो तक ही पढ़ाई कर पाई और उसके पति कौर सिंह ने आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई की। अब रोशनी देवी की बेटी ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही है और बेटा मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। इसके बावजूद लगातार बढ़ रही महंगाई में जहां एक तरफ घर खर्च चलाना मुश्किल हो रहा था, वही बच्चों की महंगी शिक्षा ने भी परेशानी की लकीर को और मोटा कर दिया। ऐसे में रोशनी देवी ने अपने पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करने की ठानी और ई रिक्शा लेकर निकल पड़ी कुछ सहयोग करने। आइए जानते हैं रोशनी देवी की इस पहल के बारे में-
पड़ोसियों ने किया पूरा सहयोग | E rickshaw
रोशनी देवी का उसके पड़ोस के लोगों ने भी काफी सहयोग किया। और आसपास के बच्चों को ट्यूशन आदि छोड़ने की जिम्मेवारी भी लगा दी। जिससे उसे सवारी ढूंढ़ने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती।
परिवार के सदस्यों का मिला पूरा सहयोग
रोशनी देवी ने बताया कि उसके पति और बच्चों ने भी उसके इस काम को छोटा ना मानते हुए उसका पूरा सहयोग किया। रोशनी देवी ने बताया कि जब शाम को उसके पति फैक्ट्री से आ जाते हैं तो वह घर का काम करने लग जाती है और उसके पति ई रिक्शा लेकर काम पर लग जाते हैं।
महिला सवारियों ने बढ़ाई हिम्मत | E rickshaw
रोशनी देवी का कहना है कि जब उसे रास्ते में महिला सवारियां मिलती हैं तो वह एक महिला को ही ई रिक्शा चलाते देखकर अपने आपको ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं। रोशनी देवी ने बताया कि नौकरी आदि पर जाने वाली महिलाओं ने उसके साथ ऐसा तालमेल बैठा रखा है कि जब भी महिलाओं को जरूरत पड़ती है तो वह फोन करके रोशनी देवी को अपने कार्यक्षेत्र पर बुला लेते हैं।
कोई भी काम नहीं होता छोटा बड़ा
रोशनी देवी का कहना है कि उसे ई रिक्शा चलाने में किसी प्रकार की कोई शर्म या झिझक महसूस नहीं होती। क्योंकि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता और ना ही हमें किसी काम को करने में कोई शर्म महसूस करनी चाहिए। बशर्ते की मेहनत और पूरी लगन से अपने काम को अंजाम देना चाहिए।
महिला सवारियों ने बढ़ाई हिम्मत | E rickshaw
रोशनी देवी का कहना है कि जब उसे रास्ते में महिला सवारियां मिलती हैं तो वह एक महिला को ही ई रिक्शा चलाते देखकर अपने आपको ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं। रोशनी देवी ने बताया कि नौकरी आदि पर जाने वाली महिलाओं ने उसके साथ ऐसा तालमेल बैठा रखा है कि जब भी महिलाओं को जरूरत पड़ती है तो वह फोन करके रोशनी देवी को अपने कार्यक्षेत्र पर बुला लेते हैं। रोशनी देवी का कहना है कि उसे ई रिक्शा चलाने में किसी प्रकार की कोई शर्म या झिझक महसूस नहीं होती। क्योंकि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता और ना ही हमें किसी काम को करने में कोई शर्म महसूस करनी चाहिए। बशर्ते की मेहनत और पूरी लगन से अपने काम को अंजाम देना चाहिए।