नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। सुप्रीम कोर्ट ने Kejrival को बड़ी राहत (Delhi vs LG) देते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीप कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार को होना चाहिए। यानी उपराज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री ही दिल्ली का असली बॉस होगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मुख्य बातें | Delhi vs LG
- उपराज्यपाल को सरकार की सलाह माननी होगी।
- अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा।
- चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक सेवा का अधिकार होना चाहिए।
- कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों के पास कानून बनाने का अधिकार है, लेकिन इस बात का ध्यान रखा जाए कि केंद्र का इतना ज्यादा दखल ना हो कि वह राज्य सरकार का काम अपने हाथ में ले ले। इससे संघीय ढांचा प्रभावित होगा।
- कोर्ट के मुताबिक अगर किसी अफसर को ऐसा लगता है कि उन पर सरकार नियंत्रण नहीं कर सकती है, तो उसकी जिम्मेदारी घटेगी और कामकाज पर इसका असर पड़ेगा।
क्या है मामला | Delhi vs LG
दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल के बीच टकराव का ये मामला अफसरों की पोस्टिंग और ट्रांसफर के अधिकार से ही जुड़ा था। दिल्ली सरकार ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर ये अधिकार उसके हाथ में देने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 18 जनवरी, 2023 को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। केंद्र सरकार ने 2021 में गवर्नमेंट आॅफ एनसीटी आॅफ दिल्ली एक्ट पास किया था। इसमें दिल्ली के उपराज्यपाल को कुछ और अधिकार दे दिए गए थे। आम आदमी पार्टी ने इसी कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार का तर्क था कि केंद्र उसके और संसद के बीच के अंतर को खत्म करना चाहता है। लेकिन, केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि दुनिया के लिए दिल्ली को देखना यानी भारत को देखना है। उन्होंने कहा कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है, इसलिए ये जरूरी है कि केंद्र के पास अपने प्रशासन पर विशेष अधिकार हों और अहम मुद्दों पर नियंत्रण हो। उप-राज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह पर ही काम करना होगा।