जब आश्रम बनकर तैयार हो गया तो पूज्य साईं शाह मस्तनाना जी ने साध-संगत को इकट्ठा किया और उनसे मुखातिब होकर पूछा कि अब हम इस (Dera Sacha Sauda) आश्रम का नाम रखना चाहते हैं, क्या नाम रखा जाए? सभी चुप हो गए। पूज्य शहनशाह जी ने स्वयं ही तीन नाम तजवीज (सुझाव) किए- 1. रूहानी कॉलेज 2. चेतन कुटिया 3. सच्चा सौदा। पूज्य शहनशाह जी ने साध-संगत से पूछा कि इन तीनों में से कौन सा नाम रखें? तब एक भक्त ने खड़े होकर कहा-सच्चा सौदा।
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इस प्रकार एक भक्त के मुंह से कहलवाकर पूजनीय सांई जी ने इस पवित्र जगह का नाम सच्चा सौदा अर्थात् डेरा सच्चा सौदा रख दिया। उस समय पूज्य बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने वचन फरमाए कि यह वह सच्चा सौदा है, जो आदिकाल से चला आ रहा है। यह कोई नया धर्म, मज़हब या लहर नहीं है। (Dera Sacha Sauda) सच्चा सौदा का भाव है सच का सौदा। इसमें सच है भगवान, ईश्वर, इसरार, वाहेगुरु, अल्लाह, ख़ुदा, गॉड और सच्चा सौदा है उसका नाम जपना अर्थात् नाम का धन कमाना। दुनिया में भगवान के नाम के सिवाय सब सौदे झूठे हैं। कोई भी वस्तु इस जहान में सदा स्थिर रहने वाली नहीं है। ईश्वर, वाहेगुरु, ख़ुदा, गॉड के नाम का सौदा करना ही सच्चा सौदा है।
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