कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी के लिए जारी हुए 8 लाख रुपए
हनुमानगढ़। जंक्शन शहर के वार्ड 11 के मकान नम्बर 254 में श्री खुशालदास विश्वविद्यालय के एक फोन कॉल से खुशी की लहर दौड़ गई। दरअसल इस फोन कॉल में योगेश अग्रवाल और उनकी पत्नी जीनू के लाड़ले बेटे जय के बारे में वो महत्वपूर्ण सूचना थी जिसे सुनने के लिए बरसों से उनके कान तरस रहे थे। दंपती को बताया गया कि एडिप योजना में उनके साढ़े चार वर्ष के मूक-बधिर बच्चे की कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी के लिए आठ लाख रुपए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से आवंटित कर दिए गए हैं। इससे पहले जय के माता-पिता ने बेटे की किलकारी सुनने की उम्मीद में कई नामी-गिरामी हॉस्पिटल के चक्कर काटे। प्रदेश की चिरंजीवी योजना में भी तकनीकी रूप से बात नहीं बनी, क्योंकि बच्चे की उम्र चार साल से अधिक थी।
स्कूटी पर धूप-अगरबत्ती और स्टेशनरी बेचकर परिवार का गुजारा करने वाले योगेश बताते हैं कि इस सर्जरी के भारी-भरकम आर्थिक खर्च को वहन करने की स्थिति में वे नहीं थे। लेकिन बीते बरस 29 नवंबर 2022 को सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग, भारत सरकार, आदेश हॉस्पिटल, बठिंडा और श्री खुशालदास विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित शिविर में पांच वर्ष तक के मूक-बधिर बच्चों और अचानक अपनी आवाज खो चुके बड़ी उम्र के व्यक्तियों की निशुल्क जांच की गई, तो किस्मत ने साथ दिया और बेटे जय का नाम डॉक्टर्स ने एडिप स्कीम में आगे बढ़ाया। आदेश हॉस्पिटल के ईएनटी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. गौरव तोमर ने बताया कि मई महीने के प्रथम सप्ताह में इस बच्चे की सर्जरी कर ये इम्प्लांट लगाया जाएगा।
उसके बाद करीब डेढ़ वर्ष तक निरंतर स्पीच थेरेपी के जरिए उसे सुनने और बोलने के अभ्यास में लाया जाएगा। परन्तु पूरी तरह से सामान्य बच्चों की तरह से सुनने और बोलने में 2 वर्ष तक लग जाते हैं और फिर जीवन-पर्यन्त किसी प्रकार की समस्या नहीं आती है। एसकेडी यूनिवर्सिटी परिसर में गुरुवार को बच्चे के माता-पिता आए और गुरु गोबिंद सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट अध्यक्ष बाबूलाल जुनेजा और चेयरपर्सन दिनेश जुनेजा से भेंट कर आभार व्यक्त किया। इस मौके पर कुलसचिव डॉ. श्यामवीर सिंह, निदेशक अकादमिक एवं छात्र कल्याण डॉ. संजय मिश्रा तथा स्पेशल एजुकेशन से रितेश नैन भी मौजूद रहे। गौरतलब है कि एपिड स्कीम सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से 1 अप्रैल 2017 से लागू की गई थी। योजना का उद्देश्य जरूरतमंद दिव्यांगजनों को उपकरणों की खरीद में सहायता करना है। इससे वे सामाजिक और शारीरिक क्षमता को बढ़ाकर अपना आर्थिक विकास करने में सक्षम बन सकें।
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