29 गर्भवती महिलाओं को दी गई पौष्टिक आहार किटें
- पक्षियों के लिए की दाना-पानी के परिण्डों की व्यवस्था
कोटा (सच कहूँ/राजेन्द्र हाडा)। सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा के 75वें रूहानी स्थापना माह की खुशी में कोटा के महाराव उम्मेद सिंह स्टेडियम परिसर में आयोजित Kota Naamcharcha पावन भंडारे में कोटा सहित आसपास के जिलों से भारी तादाद में साध-संगत उमड़ी। साध-संगत के श्रद्धाभाव के सामने विशाल पंडाल छोटा पड़ गया। नामचर्चा की शुरूआत से पहले ही पूरा पंडाल साध-संगत से खचाखच भर गया था। इस दौरान साध-संगत ने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी द्वारा चलाये जा रहे 156 मानवता भलाई कार्यों की श्रृंखला में जननी सत्कार मुहिम के तहत जरूरतमंद 29 गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार के किटें बांटी गई, ताकि उनकी आने वाली संतान निरोगी एवं स्वस्थ पैदा हो। इसी के साथ पक्षियोंद्वार मुहिम के तहत 121 परिण्डे वितरित किए गए।
ताकि भीषण गर्मी में पक्षी प्यासे न रहें तथा उनके लिए पेयजल के साथ-साथ दाने की व्यवस्था भी साध-संगत कर सके। उल्लेखनीय है कि 29 अप्रैल 1948 को पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने डेरा सच्चा सौदा की स्थापना की थी। रूहानी स्थापना माह के भण्डारे की नामचर्चा की शुरूआत ‘धन-धन सतगुरू तेरा ही आसरा’ के साथ हुई। इसके पश्चात कविराज भाइयों ने विभिन्न भक्तिमय भजनों के माध्यम से गुरु महिमा का गुणगान किया। पावन भंडारे के दौरान नशों के खिलाफ डॉक्यूमेंट्री और भजन भी चलाया गया। इस अवसर पर बड़ी-बड़ी स्क्रीनों के माध्यम से पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन रिकॉर्डिड वचनों को एकाग्रचित होकर श्रवण किया।
रूहानी स्थापना माह के भंडारे की नामचर्चा में जिधर देखो साध-संगत ही नजर आ रही थी। कोटा सहित आसपास के क्षेत्रों से पूरे उत्साह के साथ साध-संगत रंग-बिरंगे परिधानों में सज धजकर पावन भंडारे में पहुंची। जिधर देखो उधर बसें, कारें व अन्य साधनों से टैफिक ग्राउण्ड खचाखच भरे थे और सड़कों पर वाहनों की लंबी-लंबी कतारें नजर आर्इं। नामचर्चा की समाप्ति पर आई हुई साध-संगत को सेवादारों ने कुछ ही मिनटों में लंगर भोजन खिला दिया। इस अवसर पर विधायक संदीप शर्मा, पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल सहित अनेक गणमान्य जन और पत्रकार भी उपस्थित रहे।
हमारी रूचि केवल समाज का भला करने में : पूज्य गुरु जी
इस अवसर पर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने फरमाया कि हमें अपनी जान से भी प्यारे हैं हमारे सतगुरु प्यारे शाह मस्तान जी, शाह सतनाम जी। सब जान उनकी है, ये शरीर उनका है। तन उनका है, जुबान उनकी है। हमारी रूचि सदा से भगवान, ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरू में थी, है और सदा उन्हीं में ही रहेगी। भला करना हमारी शुरू से फितरत रही है। हमारा फर्ज एक चौकीदार, सेवादार की तरह आवाज देना है और पूरे समाज की सेवा करना है। आपजी ने फरमाया कि हमारी रूचि केवल समाज का भला करना ही है।
इसके अलावा हमारा कोई मकसद नहीं है। न मान बड़ाई की चाह है और न कभी राज की चाह रही है। हमारे में बचपन से समाज भलाई का जुनुन है और यह पूज्य गुरु जी (पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज) की रहमत से बढ़ता ही जा रहा है। समाज की भलाई करते रहना ही हमारा मकसद बन गया है। हमारी परम पिता जी से अरदास है कि सभी धर्मों के लोग आपस में प्रेम-भाव से रहें। ऊंच-नीच का भेद मिट जाए और लोग भगवान का नाम जपने के साथ-साथ इन्सानियत की भलाई के लिए प्रेम पूर्वक कार्य करते रहें।
मनुष्य को सुबह भगवान का नाम लेने के पश्चात हक हलाल की कमाई करते हुए इन्सानियत के भले के लिए कार्य करना चाहिए। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि मनुष्य को मिला जीवन जिंदगी पर आधारित न होकर श्वासों पर आधारित होता है और यह नशा करने वाले व्यक्ति के तेजी से आने वाले श्वांस उसकी आयु को कम कर देते हैं, जिससे कई बार वह अकाल मौत का शिकार भी हो जाता है। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि इन्सान के भले के लिए प्रकृति द्वारा पैदा की गई जड़ी बूटियों को शैतान बने इन्सांन से नशीले पदार्थों का रूप दे दिया और इनके असीमित सेवन से बेमौत मर रहा है, इसलिए सभी को नशे से रहित जीवन जीना चाहिए।
बेहतरीन रहे प्रबंध
पावन भंडारे की नामचर्चा के दौरान छायावान, पानी, लंगर-भोजन, ट्रैफिक सहित सभी समितियों के सेवादारों ने बखूबी अपनी सेवाएं निभाई। ट्रैफिक समिति के सेवादारों ने जहां भारी तादाद में आएं वाहनों को पूरे अनुशासन के साथ ग्राउंडों में खड़ा करवाया। वहीं पानी समिति ने साध-संगत के लिए जगह-जगह छबीलें लगाई हुईं थी।
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