खरखौदा (सच कहूँ/हेमंत कुमार) सापला मार्ग पर स्थित प्रताप स्कूल में बैसाखी का त्योहार व डॉ भीमराव अम्बेडकर की जयंती बड़ी धूम-धाम से मनाई गई। (Kharkhoda) बैसाखी के अवसर पर विद्यार्थियों ने पंजाब व हरियाणा की पारंपरिक वेशभूषा पहनकर मनमोहक नृत्य करते हुए पंजाब व हरियाणा की संस्कृति को दर्शाया। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने बैसाखी व डॉ भीमराव आंबेडकर के जीवन पर भाषण भी दिए। प्राचार्या दया दहिया ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि बैसाखी को खुशहाली और समृद्धि का पर्व माना जाता है। बैसाखी को मेष संक्रांति भी कहा जाता है।
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इस पर्व से कई मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं। सिख समुदाय के लोग इस दिन को नव वर्ष के रूप में मनाते हैं। ये पर्व खासतौर पर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में धूमधाम से मनाया जाता है। वैशाख महीने तक रबी की फसलें पक जाती हैं और उनकी कटाई शुरू हो जाती है। ऐसे में इस दिन फसल के कटकर घर आ जाने की खुशी में लोग ईश्वर को धन्यवाद देते हैं और अनाज की पूजा करते हैं। प्राचार्या दया दहिया ने बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्य प्रदेश के महू में एक गांव में हुआ था।
डॉ. भीमराव आंबेडकर को भारतीय संविधान निर्माता के तौर पर जाना जाता है। (Kharkhoda) उनकी भूमिका संविधान निर्माण में तो अतुल्य थी ही, साथ ही दलित समाज के उत्थान में भी महत्वपूर्ण रही। डॉ. आंबेडकर का जीवन संघर्ष और सफलता की कहानी सभी के लिए प्रेरणा है। हम सभी को डॉ भीमराव आंबेडकर के जीवन से प्रेरणा लेते हुए राष्ट्र उत्थान में योगदान देना चाहिए। परिवार व समाज को भी राष्ट्र के उत्थान के लिए प्रेरित करना चाहिए।
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