नंदिनी दही-19 रुपये सस्ता | Nandini Milk
नई दिल्ली। पूरे दक्षिण भारत में अपना वर्चस्व कायम करने वाली (GobackAmul) यह पुरानी कंपनी अगर देश भर में आ जाए तो लोगों का जीवन कितना सुगम होगा यह कंपनी के प्रोडैक्ट की कीमतों से अंदाजा लगा सकते हैं। क्या सच में अमूल-नंदिनी की टक्कर की कंपनी है, क्योंकि दोनों कंपनियों के बीच बहुत बड़ा ‘प्राइस वॉर’ है। आपकी जानकारी अनुसार अमूल की इस एंट्री का ना तो जनता ने स्वागत किया है और ना ही राज्य की विपक्षी राजनीतिक पार्टियों ने। बीते कई दिनों से सोशल मीडिया पर जहां #GobackAmul और #SaveNandini ट्रेंड कर रहे हैं, वहीं राजनीतिक रैलियों में अमूल पर ‘गुजराती दूध’ का टैग लगा दिया गया है।
सोशल मीडिया से राजनीति तक मचा घमासान | Nandini MiLK
इस मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने हैं। बायकॉट ट्रेंड का शिकार हुई अमूल नाम बहुत बड़ा, पर नंदिनी भी कम नहीं। भले अमूल देश का सबसे बड़ा मिल्क ब्रांड हो, लेकिन अभी भी पूरे देश में इसका दूध नहीं बिकता है। अलग-अलग राज्यों की मिल्क को-ओपरेटिव से उसे प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। ताजा मामला कर्नाटक की केएमएफ और उसका मिल्क ब्रांड नंदिनी का है।
‘नंदिनी’ नाम छोटा पर काम बड़ा | GobackAmul
अमूल से छोटी होने के बावजूद कर्नाटक, आसपास के राज्य और विशेषकर बेंगलुरू में ‘नंदिनी’ कई मामलों में उस पर भारी पड़ती है। नंदिनी ब्रांड के लिए केएमएफ हर दिन 24 लाख पशुपालकों से 81.3 लाख लीटर दूध इकट्ठा करता है, जबकि अमूल 36.4 लाख किसानों से हर दिन करीब 2.63 करोड़ लीटर दूध एकत्र करता है, वहीं ‘नंदिनी’ हर दिन 10 लाख लीटर दूध प्रोसेस करती है, जबकि अमूल 52 लाख लीटर दूध को प्रोसेस करता है।
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