विज्ञान ने भी माना, इसकी छाल पीने से खुलते हैं ब्लाकेज
हमारे भारत देश में कुछ ऐसे पेड़ हैं, जिनमें अत्याधिक (Arjun ki Chhal) औषधीय गुण हंै। अर्जुन भी एक ऐसा ही पेड़ है। इस पेड़ की छाल का उपयोग काढ़ा बनाने के लिए किया जाता है। साथ ही बैड कोलेस्ट्रॉल समेत कई अन्य बीमारियों में भी इसके सेवन की सलाह दी जाती है। फर्नीचर बनाने में भी इस पेड़ का उपयोग करके बढ़िया मुनाफा कमाया जा सकता है। अर्जुन का पेड़ 47 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में अच्छा विकास करता है। गर्मियों में इसकी खेती अति उपयुक्त मानी जाती है। इसे किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। बाजार में इसकी लकड़ियों और छाल की अच्छी डिमांड है।
किसी भी मिट्टी में उगा सकते हैं | Arjun ki Chhal
अर्जुन का पेड़ किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। क्योंकि यह 47 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में अच्छा विकास करता है। हालांकि, इसका पौधा, उपजाऊ जलोढ़-कछारी, बलुई दोमट मिट्टी में काफी तेजी से विकास करता है। बुवाई से पहले उबलते हुए पानी में इसके बीजों को भिगोकर उपचार जरूर कर लें।
बुवाई के समय बरतें सावधानियां
इसके बीजों को पानी में 3 से 4 दिन तक भिगोए रखना है। 8 से 9 दिन में ये अंकुरित होते हैं। इसके बाद ही इसकी बुवाई खेतों में करनी चाहिए। अर्जुन पेड़ सही तरीके से विकास करे, इसके लिए खेत में उचित जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए। अतिरिक्त जलजमाव से पौधे सड़ सकते हैं।
ध्यान देने योग्य बातें | Arjun ki Chhal
इस पेड़ को उसी जगह लगाएं, जहां सीधी धूप आती हो। छांव वाली जगहों पर इस पौधों को लगाने से उसका विकास रूक जाएगा। बगीचे में इसे उगाते समय ऐसी जगह चुनें जहां कम से कम 4-6 घंटे की सीधी धूप मिले। उसे जितनी ज्यादा रोशनी मिलेगी, उसकी ग्रोथ के लिए उतना ही अच्छा होगा।
अर्जुन छाल की अच्छी है डिमांड | Arjun ki Chhal
अर्जुन का पेड़ 15- 16 साल में तैयार होता है। इस दौरान इसकी लम्बाई 11-12 मीटर और मोटाई 59-89 सेमी तक हो जाती है। बाजार में इसकी छाल काफी मंहगी बिकती है। ई-कॉमर्स वेबसाइट पर इसकी कीमत हजारों में पहुंच रही है। इसके अलावा इस पेड़ की लकड़ियों के फर्नीचर की भी मार्केट में काफी डिमांड है। किसान अर्जुन के पेड़ से लाखों का अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
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