सरसा। डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत ने शनिवार को शाह सतनाम जी धाम में पावन ‘एमएसजी गुरुमंत्र भंडारा’ हर्षोल्लास से मनाया गया। इस अवसर पर हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों सहित दुनियाभर से बड़ी तादाद में साध-संगत ने शिरकत की।
पावन भंडारे पर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा भेजी गई 14वीं चिट्ठी साध-संगत को पढ़कर सुनाई गई। चिट्ठी को सुनकर साध-संगत भाव विभोर हो गई। चिट्ठी में पूज्य गुरु जी ने हरियाणा और राजस्थान में चलाए गए सफाई महा अभियानों रूपी महायज्ञ में आहुति डालने वाली साध-संगत की भरपूर प्रशंसा की और आशीर्वाद दिया। वहीं पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की बेटी आदरणीय ‘रूह दी’ हनीप्रीत इन्सां (Honeypreet Insan) ने पावन भंडारे पर शिरकत की।
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‘एमएसजी गुरुमंत्र भंडारे
वहीं चिट्ठी के माध्यम से पूज्य गुरु जी ने बताया कि डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज और पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज ने भी मार्च महीने में ही गुरुमंत्र की अनमोल दात प्राप्त की थी। इसलिए आगे से 25 मार्च के भंडारे को ‘एमएसजी गुरुमंत्र भंडारे’ के रूप में मनाया जाएगा। पूज्य गुरु जी ने स्पष्ट किया कि साध-संगत ने ही राजनीतिक विंग बनाया था और अब साध-संगत ने ही उसे भंग कर दिया है और साध-संगत को एकता में रहने का संदेश दिया। ‘
एमएसजी गुरुमंत्र भंडारे’ (MSG Bhandara) पर डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाए जा रहे मानवता भलाई कार्यों के तहत 50 जरूरतमंदों को एक-एक माह का राशन और सेफ मुहिम के तहत नशा छोड़ने वाले युवाओं को 50 हेल्दी डाइट किटें दी गई। वहीं आशियाना मुहिम के तहत डेरा सच्चा सौदा की ओर से जरूरतमंद विधवा महिला को बनाकर दिए मकान की चाबी सौंपी गई।
गौरतलब है कि पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने पूज्य बाबा सावण सिंह जी महाराज से और पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज ने पूज्य शाह मस्ताना जी महाराज से मार्च महीने में गुरुमंत्र की दात प्राप्त की थी और 25 मार्च 1973 के दिन सच्चे रूहानी रहबर पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज ने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को गुरुमंत्र की दात बख्शी थी। डेरा सच्चा सौदा का हर श्रद्धालु पूरे ‘मार्च’ महीने को इन्सानियत की भलाई के काम करके मना रहा है।
गौरतलब है कि 25 मार्च 1973 को पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज ने नाम (गुरुमंत्र) की अनमोल दात बख्शी थी। डेरा सच्चा सौदा की करोड़ों साध-संगत इसी खुशी में एक पर्व के रूप में पूरे ‘मार्च’ महीने को ‘पावन एमएसजी माह’ के रूप में मानवता भलाई के 156 कार्य करके मना रही है। आइयें सुनते हैं पावन भडारे की लाइव नामचर्चा
जब परमपिता जी ने फरमाया ‘‘लगे रहो, अपना तो काम ही यही है’’
सतगुरु का हर क्षण मानवता को समर्पित रहता है। एक बार राजस्थान में श्रीगंगानगर जिले के पक्का सहारणा गांव में पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज ने रूहानी सत्संग फरमाया। उस वक्त पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां बाल रूप में थे तो सेवादारों ने पूजनीय परमपिता जी के समक्ष अर्ज की कि पिता जी ये श्री गुरुसर मोडिया के नम्बरदार जी के बेटे हैं और इतनी छोटी उम्र में भी ट्रैक्टर-ट्राली भर-भर कर नाम लेने वाले जीवों को लेकर सत्संगों में पहुंचते हैं।
इस पर बाल स्वरूप को निहार सच्चे दाता, रूहानी रहबर पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज ने वचन फरमाया कि ऐसा करते रहो, अपना तो काम ही ये है। उस वक्त शायद इन वचनों को बाल रूप सतगुरु के अलावा कोई समझ नहीं पाया था, लेकिन इसका रहस्योद्घाटन बाद में उस वक्त हुआ जब 23 सितंबर 1990 को पूजनीय परम पिता जी ने डेरा सच्चा सौदा की पवित्र मर्यादा अनुसार चमकीले फूलों का एक सुन्दर हार अपने पवित्र कर-कमलों से पूज्य गुरु जी को पहनाया और अपनी पाक-पवित्र दृष्टि का प्रशाद (हलवे का प्रशाद) दिया जो उस पवित्र अवसर पर विशेष तौर पर तैयार किया गया था। इस शुभ अवसर पर साध-संगत में भी वह पवित्र प्रशाद बांटा गया।
इस अवसर पर पूजनीय परमपिता जी ने साध-संगत में फरमाया, ‘‘अब हम जवान बनकर आए हैं। इस बॉडी में हम खुद काम करेंगे। किसी ने घबराना नहीं। ये हमारा ही रूप हैं। साध-संगत की सेवा व संभाल पहले से कई गुना बढ़कर होगी। डेरा व साध-संगत और गुरुमंत्र लेने वाले जीव दिन दोगुनी रात चौगुनी, कई गुणा बढ़ेंगे। किसी ने चिंता, फिक्र नहीं करना। हम कहीं जाते नहीं, हर समय तथा हमेशा साध-संगत के साथ हैं।
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