गुरु के वचनों पर अमल करना कोई इस बुजुर्ग से सीखे, साइकिल पर जाता है सत्संग
- स्वस्थ जीवन का राज: 63 साल से कर रहे साइकिल की सवारी
- पिता ने 245 रुपये में खरीदकर दी थी साइकिल, तब से अब तक इसी पर करते हैं सवारी
ओढां। (सच कहूँ/राजू) कहावत है कि जो लोग रोज साइकिल चलाते हैं उनके घुटने दर्द नहीं करते। मंडी कालांवाली निवासी तरसेम चंद इन्सां कहने को तो 73 वर्ष के हैं, लेकिन आज भी हर रोज 10 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं। इस उम्र में उन्हें साइकिल चलाते देख लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं। (Sirsa) तरसेम चंद इन्सां ने अपने स्वस्थ स्वास्थ्य का राज साइकिल को बताया। इस शख्स को दिनभर साइकिल पर मंडी व आसपास के गांवों में घूमते देखा जा सकता है। किसी जमाने में तरसेम चंद को ये साइकिल उनके पिता ने 245 रुपये में खरीदकर दी थी। तब से लेकर अब तक तरसेम चंद इसे अपने लिए शान की सवारी समझते आ रहे हैं।
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इस विषय में जब तरसेम चंद इन्सां से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि साइकिल चलाने के फायदे ही फायदे हैं। एक तो पैट्रोल का खर्चा नहीं और ऊपर से स्वास्थ्य के लिए भरपूर लाभदायक। कभी कभार उनके पैरों में कुछ दिक्कत हुई, लेकिन उन्होंने साइकिल चलाना नहीं छोड़ा। जिसके चलते आज उनके पैर भी बिल्कुल ठीक हैं। (Sirsa) तरसेम चंद ने बताया कि वर्ष 1960 में 10 वर्ष की आयु में उनके पिता ने उन्हें रामा मंडी से 245 रुपये की साइकिल खरीदकर दी थी। जब साइकिल घर आई तो खुशी इतनी हुई कि उनके पैर जमीन पर नहीं टिके। वे अपने पिता के साथ पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के सत्संगों में भी साइकिल पर जाते थे। तब से लेकर अब तक उक्त साइकिल उन्होंने संभालकर रखी हुई है। हर रोज साइकिल पर 10 किलोमीटर की सैर करना उनकी दिनचर्या है।
दूर-दराज सत्संगों हेतु साइकिल यात्रा
तरसेम चंद इन्सां ने 1965 में पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज से पंजाब के गांव बाघा में इसी साइकिल पर जाकर नाम शब्द लिया था। उसके बाद से कहीं भी सत्संग हुआ तो वे साइकिल पर जाते हैं। उन्होंने क्षेत्र के अलावा पंजाब क्षेत्र में रामा, शेखू, पक्का कलां, बुरथड़ी, संगत मंडी, नंदगढ़, गिदड़बाहा, बठिंडा, अबलूकोटली, महमासरजा, तलवंडी साबो, मोड़ मंडी, मानसा, त्यौणा व पटियाला के अलावा राजस्थान क्षेत्र के विभिन्न जिलों में जहां भी पूजनीय परमपिता जी के सत्संग हुए वहां इसी साइकिल पर जाकर सत्संग सुनी। वहीं पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के सत्संगों में भी उन्होंने साइकिल द्वारा पहुंचकर ही शिरकत की। इस समय भी जब भी ब्लॉक में कहीं भी नामचर्चा होती है तो तरसेम चंद इन्सां साइकिल पर ही जाते हैं।
साइकिल तंदरूस्ती का दूसरा नाम
तरसेम चंद साधन संपन्न परिवार से हैं। उनके घर में कई मोटरसाइकिलों सहित अन्य व्हीकल हैं, लेकिन वे हमेशा साइकिल ही चलाते हैं। तरसेम चंद इन्सां ने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के वचनों का अनुसरण करते हुए साइकिल पर पो बारह पच्चीस लिखवा रखा है।
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