अमृतसर (सच कहूँ न्यूज)। पंजाब के अमृतसर में चल रहे जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने वाले विदेशी मेहमानों ने गुरुवार शाम उपायुक्त हरप्रीत सिंह सूदन के नेतृत्व में ‘साडा पिंड’ में पंजाब की ग्रामीण संस्कृति का लुत्फ उठाया। विदेशी मेहमान जब ‘साडा पिंड’ पहुंचे तो वहां पारंपरिक पंजाबी रीति-रिवाजों से उनका स्वागत किया गया। ‘साडा पिंड’ में विदेशी मेहमानों के आने से शादी जैसा माहौल बन गया और सभी मेहमानों ने पंजाब के ग्रामीण जीवन को देखने में काफी दिलचस्पी दिखाई।
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सरसों का साग और मक्के की रोटी का स्वाद चखा
सर्वप्रथम ‘साडा पिंड’ में अतिथियों ने पंजाब के पारंपरिक भोजन सरसों का साग और मक्के की रोटी का स्वाद चखा। उसके बाद उन्होंने चाट्टी लस्सी पी। विदेशी मेहमान यहां बने सरपंच के घर, नंबरदार के घर, जुलाहे के घर, कुम्हार के घर, बढ़ई के घर, लोहार के घर, डाकघर, फूलवाले के घर, परांदा घर, संगीत घर, किसान की हवेली और हकीम के घर गए। इस बीच विदेशी मेहमानों ने साडा पिंड के घर में पंजाबी विरासत के अनमोल प्रतीक चरखे को चला कर पंजाब की नारियों के जीवन को महसूस किया। विदेशी मेहमान जब चरखा चला रहे थे, तब युवतियों द्वारा लोकगीत ‘नी मैं कत्ता प्रीता नाल चरखा चन्नन दा’ गाया जा रहा था।
इस अवसर पर अतिथियों ने फुलकारी हाउस, फुलकारी, बाग, परांदे आदि में ग्रामीण महिलाओं की पंजाबी विरासत और हस्तशिल्प को देखा। उन्होंने जुलाहे के घर में खड्डी पर बनने वाली दारियों और खेसों को भी बड़े गौर से देखा और पंजाब की कला और कौशल की प्रशंसा की। विदेशी मेहमानों ने भटठी वाली से बाजरे के दाने भूनवाए और उनका स्वाद चखा और पंजाब की माटी की महक महसूस की। साडा पिंड के प्रांगण में मदारी द्वारा की गई जादुई कला ने विदेशी मेहमानों को चकित कर दिया। इस अवसर पर साडा पिंड में विदेशी मेहमानों के आगमन पर पंजाब की समृद्ध विरासत और संस्कृति को दशार्ने के लिए विशेष कार्यक्रम पेश किया गया, जिनमें पंजाबी लोकनृत्य भांगड़ा, झूमर, जंगजू-कला गतका की जोशीली प्रस्तुति, एक प्रतीक पंजाबियों के शौर्य के कार्यक्रम को चरम सीमा तक पहुंचाकर इन पलों को हमेशा के लिए यादगार बना दिया।
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