किसान कम रेट पर सरसों की फसल बेचने को हो रहे मजबूर
- डी अधिकारी कह रहे: आजकल में हो जाएगा पोर्टल ठीक
भिवानी (सच कहूँ/इन्द्रवेश)। हरियाणा प्रदेश में सरसों की खरीद के दावे राज्य सरकार भले ही करती हो, परन्तु अनाज मंडियों में सरसों की सरकारी खरीद ई-खरीद पोर्टल के खराब होने के चलते नहीं हो पा रही है। जो खरीद हो रही है, वो ई-नेम के माध्यम से प्राईवेट स्तर पर पर्चियां काटकर की जा रही है। ई-नेम से होने वाली खरीद में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है। हरियाणा के कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल के गृह जिला भिवानी में भी ऐसा ही हाल है। यहां पर अभी तक सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य 5450 रुपए पर हैफेड ने एक भी दाना नहीं खरीदा है। जो भी खरीद हुई है, वह प्राईवेट स्तर पर हुई है।
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भिवानी के पालुवास गांव के किसान रविंद्र ने बताया कि वे 20 क्विंटल सरसो मंडी में लेकर आए है, परन्तु कोई भी सरकारी खरीद नहीं हो रही। इसके लिए उन्होंने मजबूरन उन्हें अपनी सरसों की फसल 5100 से 5200 के बीच खुले बाजार में बेचनी पड़ रही है।
मंडी के आढ़ती रमेश ने बताया कि सरसों की खरीद को लेकर सरकार के बहुत दावे है, परन्तु हैफेड द्वारा अभी तक खरीद नहीं की जा रही। हैफेड ने कंडीशन लगा रखी है कि 8 प्रतिशत से कम नमी वाली सरसो ही खरीदेंगे तथा प्रति क्विंटल 38 केजी तेल निकलेगा, उसी सरसो को हैफेड खरीदेगी। उन्होंने कहा कि इन दिनों जो मार्केट में किसान सरसो ला रहा है, उसकी नमी 20 प्रतिशत तक है तथा तेल की मात्रा भी कम है। इसीलिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 5450 पर सरसो की फसल नहीं बिक पा रही है। उन्होंने बताया कि किसान समय पर बीज बोता है, जिससे फसल तैयार होती है। अब उसमें कितना तेल होगा, इस बात का निर्धारण किसान नहीं कर सकता।
वही गेट पास की पर्चियां बनाने वाले कंप्यूटर आॅपरेटर पवन ने बताया कि ई-खरीद पोर्टल की साईट ठीक से काम नहीं कर रही है। इसे ठीक करने का कार्य किया जा रहा है। आजकल में पोर्टल ठीक हो सकता है, उसके बाद ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हैफेड द्वारा खरीद के लिए टोकन जारी हो पाएंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि खुले मार्केट में सरसो बेचने के लिए ई-नेम के टोकन जारी किए जा रहे है।
तकनीकी कारणों से किसानों के नहीं बन रहे गेट पास: डिप्टी सैकेटरी
भिवानी अनाज मंडी के डिप्टी सैकेटरी प्रदीप कुमार ने बताया कि भिवानी अनाज मंडी में सरसों की खरीद शुरू हो चुकी है, परन्तु तकनीकी कारणों के चलते ई-खरीद पोर्टल से किसानों के गेट पास नहीं बन पा रहे है, क्योंकि पोर्टल में किसान का फोन नंबर तो सिस्टम उठा लेता है, परन्तु आधार कार्ड को इनवैलिड बोल देता है, जिसके कारण किसानों की सरसों की फसल के गेट पास नहीं बन पा रहे है। इसके लिए ई-नेम के माध्यम से किसानों के गेट पास बनाए जा रहे है। परन्तु ई-नेम के माध्यम से बने गेट पास से किसान अपनी फसल को खुले बाजार में मंडी के माध्यम से बेच पा रहा है। उन्होंने बताया कि ई-नेम के माध्यम से खुले बाजार में लगभग 20 किसानों की 250 क्विंटल की फसल की खरीद हुई है।
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