पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि इस जन्म में ये दो काम करो, पहला-राम, ओउम, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा रब्ब का नाम जपो। दूसरा-उसकी बनाई सृष्टि से नि:स्वार्थ भावना से प्रेम करो। किसी का दिल ना दुखाओ कभी, टोंट ना कसो, चुगली निंदा ना करो, बुरा ना कहो किसी को, किसी के बीच में से बात मत निकालो। तो किसी जीव का दिल ना दुखाना कभी, हाँ, अगर आपके वचन टूट रहे हों और आपको लग रहा है कि भई इसका दिल दुखेगा तो ये आपकी सोच है, मन की सोच है। वचनों पर ठोक कर पहरा देना चाहिए। उसके अलावा कभी अपने कर्मों से कभी किसी का दिल ना दुखाओ।
मौत याद रखो, मालिक से डरो, कि इस दुनिया से जाना है और डरने के लिए ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब एक ऐसी ताकत है, एक ऐसी शक्ति है जिससे हर किसी को डरकर ही रहना चाहिए। तभी ज़िंदगी में खुशियां आती हैं, तभी अहंकार चला जाता है, दीनता-नम्रता आती है। तो इसलिए भक्तजनों आज सतगुरु मौला का वो महीना चल रहा है, जिसमें पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज को गुरगद्दी पर बैठाया। और दाता, रहबर हमारे मालिक पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज गुरगद्दी पर आए और फिर उन्होंने एमएसजी बनाया। अपनी सेवा के लिए ये शरीर तैयार किया और आज वो ही करवा रहे हैं, कल भी वो ही करवा रहे थे और आगे भी वो ही करवाएंगे।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि कई लोग सोच लेते हैं कि संतों पर ऐसा क्यों होता है? विधि का विधान, सतगुरु का खेल होता है, वो जाने उसका काम जाने, रजा में राजी सो मर्द गाजी। रजा में रहना फकीरों का काम होता है, जैसा वो रखे, जैसे वो नचाए, कठपुतली वैसे नाचती है। तो हम तो कठपुतली सी हैं, रामजी, हमारे शाह सतनाम, शाह मस्तान जी जैसा चला रहे हैं भगवान, वैसा चल रहे हैं। फर्ज है, कर्तव्य है सच बोलकर आपकी सेवा कर सकें, ये ज़िंदगी भर जुड़ा रहेगा और कोई चाह, कोई इच्छा दिलोदिमाग में नहीं है। बस समाज का भला हो, समाज खुश रहे, ये मालिक से दुआ करते रहते हैं।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि ऋण नहीं उतार सकते अपने परमपिता परमात्मा का, सतगुरु मौला का, जिसने नरक जैसी ज़िंदगी को स्वर्ग से बढ़कर बनाया, ऐसे आज छह करोड़ बच्चे हैं, जिनमें 60-70 पर्सेंट ऐसे नौजवान हैं, जो नशे से जुड़े हुए थे, नशे की वजह से बर्बाद हो गए थे। घर नरक बन गया था, घर-जायदाद सब बिक चला था, शरीर खत्म हो चला था। बच्चों ने हमें आॅनलाइन भी दिखाया, पहले भी आया करते थे, मिला करते थे। आज भी दिखाते हैं कि उनके शरीर की नाड़ियां काली पड़ गई, क्योंकि एक इंजैक्शन लगाने में कितना डर लगता है, हकीकत है इतनी बड़ी सुई देखकर डर लगेगा ही लगेगा कि अंदर जाएगी।
माइंड पहले ही सोच लेता है, गड़बड़ हो जाती है, दर्द होना शुरू हो जाता है बिना सुर्इं चुभाए। और वो रोज अपनी नाड़ियों में कितने-कितने इंजैक्शन ठोकते हैं या जो भी वो गोलियां वगैरह खाते हैं या किसी भी तरह का नशा करते हैं, अरे मेडिकल सार्इंस में भी शायद ही कोई ऐसी दवाई बनी हो, खास करके इंग्लिश दवाइयों में जिसका साइड इफैक्ट ना होता हो, बड़ा मुश्किल है। कुछ ना कुछ साइड इफैक्ट होता रहता है। तो ये तो वो नशा कर रहे हैं, जिसका 100 पर्सेंट ही साइड इफैक्ट होता है।
फायदा इतना कि थोड़ी देर के लिए उनको लगता है कि मैं मदहोश हो गया, मैं सारा कुछ भूल गया, मेरे गम, चिंता, टैंशन सारी चली गई। नहीं बच्चो ये आपका भ्रम है, गम चिंता गई नहीं, बल्कि आपने और बढ़ा ली। जितनी देर नशा है, आप उसको भूलना चाह रहे हैं, लेकिन कई बार वो नशे में दोगुनी-चौगुनी भी हो जाती है। ना सोते बनता है, ना लेटते बनता है, ना बैठते बनता है, ना चलते बनता है और एक दिन ऐसा आ जाता है कि चहुंओर बर्बादी हो जाती है। कल हम राजस्थान से जुड़े हुए थे वहां भी बच्चों ने बताया एक जगह कि गुरु जी यहां ऐसा-ऐसा नशा करते रहते हैं, फिर सब कुछ बर्बाद हो जाता है और लास्ट में कई बच्चे आत्महत्या कर गए। बड़ा भयानक दर्द हुआ।
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