देश की सबसे पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले को ‘रूह दी’ हनीप्रीत इन्सां ने दी श्रद्धाजंलि

honeypreet_insan

नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। शिक्षा एकमात्र ऐसा हथियार है, जिससे हम अपना व्यक्तिगत विकास और राष्टÑ का विकास कर सकते हैं। वैसे तो हमारे देश में पुरुषों को ही शिक्षा ग्रहण करने की अनुमति दी जाती थी। लेकिन सभी पुराने जंजीरों को तोड़ते हुए महिलाओं को शिक्षा देने के उद्देश्य से समाज के सामने एक आदर्श व्यक्तिगत आया वो हमारे देश की सबसे पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि है।

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वहीं पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की बेटी ‘रूह दी’ हनीप्रीत इन्सां ने ट्वीट कर देश की सबसे पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले को श्रद्धाजंलि दी। उन्होंने लिखा कि क्रांति ज्योति सावित्रीबाई फुले को उनकी पुण्यतिथि पर मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि, जिनकी निडर भावना और यथास्थिति को चुनौती देने का दृढ़ संकल्प अविश्वसनीय है। हर तरह के दमन और भेदभाव के खिलाफ उनकी लड़ाई काबिले तारीफ है।

कन्या हत्या को रोकने के लिए प्रभावी पहल

सावित्रीबाई ने कन्या हत्या को रोकने के लिए प्रभावी पहल भी की थी। उन्होंने न सिर्फ महिलाओं को सशक्त करने के लिए अभियान चलाया बल्कि नवजात कन्या शिशु के लिए आश्रम तक खोले। जिससे उनकी रक्षा की जा सके। सावित्रीबाई फुले ने अपना पूरा जीवन केवल लड़कियों को पढ़ाने और समाज को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित कर दिया। सावित्रीबाई फुले का जन्म एक दलित परिवार में हुआ था लेकिन फिर भी बचपन से ही उनका लक्ष्य था कि ‘किसी के साथ भी कोई भेदभाव ना हो और हर किसी को बराबरी का हक मिलने का साथ पढ़ने का समान अवसर मिले। इन्ही विचारों की वजह से वह भारत की पहली महिला शिक्षक, कवियत्री, समाजसेविका बनी, जिनका मुख्य मकसद लड़कियों को शिक्षित करना रहा।

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