- कुछ ऐसे होली मनाओ जी
प्रेम प्यार के रंग बरसाओ जी
सादगी व प्रेम की परम्परा को अपनाओ जी
आपस में प्रीत बढ़ाओ जी
बिछड़ो को संग मिलाओ जी
गिरे हुओं को सीने लगाओ जी
सतगुरु की सच्ची सीख अपनाओ जी
हर संभव सेवा कमाओ जी
मुरझाये चेहरों पर फिर से 10, 10 बजवाओ जी
माओं की दुआएं पाओ जी
कुछ ऐसे होली मानाओ जी
सतगुरु के रंग में रंग जाओ जी
कुछ ऐसे होली मनाओ जी
दूजों के तुम हो जाओ जी
परोपकार में जीवन लगाओ जी
सतगुरु से खुशियों के सागर पाओ जी।
ये ही सच्ची होली है जिस जिस ने इसको खेली है
रूहानी रंगों से व्यापी इंसानियत की नई पहेली है।
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