Saint Dr Msg जी बरनावा आश्रम से Live

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बरनावा (सच कहूँ न्यूज)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने आॅनलाइन गुरुकुल के माध्यम से करोड़ों साध-संगत को दर्शन दिए। आपको बता दें कि पूज्य गुरु जी रूहानी सत्संग के माध्यम से हर रोज लाखों लोगों का नशा छुड़वा रहे हैं और राम-नाम से जोड़ रहे हैं। आइयें सुनते हैं पूज्य गुरु जी वचन

आज के दौर में भरोसे के लायक कौन है ?

पूज्य गुरु जी ने रूहानी सत्संग में आगे फरमाया कि आज के दौर में आदमी जिंदगी कैसे जिए? भरोसा करना पड़ता है, पर भरोसे के लायक है कौन ? ये देखने वाली बात होती है, सोचने वाली बात होती है। क्योंकि भरोसे बिना तो कोई काम चलता ही नहीं। आप रिश्ते-नाते जोड़ते हैं, तो भी भरोसा करना ही पड़ता हैं। या फिर आप जो भी काम धंधा करते है, कोई भी साजो सामान खरीदते है, उसमें भी तो भरोसा ही होता है, यकीन करना पड़ता है। हमारी ज्ञान इंद्रिया किसी प्रकार से नहीं बता पाती कि वाक्य ही ये सामान, कपड़ा, लत्ता इतने समय चलेगा। तो भरोसा पहले खुद पर आना जरूरी होता है। बहुत सारे बच्चे आज के समय में डबल माइंड, ट्रिपल माइंड,यानि पता नहीं कितनी प्रकार की सोच में उलझे रहते है। जब तक आपको आपके ऊपर विश्वास नहीं, जब तक आपके अंदर आत्मबल नहीं, आत्म विश्चास नहीं तो कभी भी आप सफलता हासिल नहीं कर पाते।

 आत्मबल बढऩे से खुद पर आने लगेगा यकीन

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि इंसान जिसके लायक होता है। इंसान को अपने आप पर विश्वास करना चाहिए, पर कैसे? अपने आप पर यकीन आए तो कैसे आए? विल पॉवर, आत्मबल वो एक ऐसी शक्ति है, अगर उसको बढ़ा लिया जाए तो खुद पर भी यकीन आने लगता है और फैसले भी आप बेधड़क होकर ले सकते है। अदर वाइज डगमगाता रहता है आपका यकीन। ये सही है, वो सही है। माइंड में चलता रहता है।

लेकिन अगर इंसान के अंदर विल पॉवर, आत्मबल होगा। तो वो सही प्रकार से सोच पाएगा। पूज्य गुरु जी ने बताया कि विल-पॉवर, आत्मबल सब के अंदर रहता है। इसे बाहर से नहीं खरीदना पड़ता। इसे अपने अंदर से पैदा करना है और अपने अंदर से पैदा करने के लिए गुरुमंत्र, नाम शब्द,कलमा, मैथ्ड ऑफ मेडिटेशन, युक्ति, विधि, तरीका। वो ही एक ऐसा है जिसकी वजह से आपके अंदर का यकीन मजबूत होगा, आत्मबल आएगा और आत्मबल के द्वारा ही आप सही फैसला ले पाएगे। कई बार जो एक्सीडेंट होते हैं वो डबल माइंड के कारण भी हो जाते है। इसलिए आत्मबल हर क्षेत्र में जरूरी है और उसके लिए सुमिरन जरूर करें, भक्ति, इबादत करे।

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 प्रभु परमात्मा की भक्ति के लिए कोई धर्म-जात व मजहब नहीं छोड़ना

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि प्रभु-परमात्मा की भक्ति के लिए कोई पैसा, चढ़ावा, नोट, वोट, धर्म, जात, मजहब नहीं छोड़ना होता। ना ही कुछ ऐसा देना होता। आप अपने घर-परिवार में रहते हो, घर संसार में रहते हो, अपने धर्म-जात, मजहब में रहते हुए, बस ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, राम को याद कीजिए, इससे आत्मबल बढ़ता जाएगा और जैसे-जैसे आत्मबल बढ़ेगा वैसे-वैसे ही आपको अपने पर भरोसा आएगा और यकीन मानो ये भरोसा ही आपको बहुत सारी बीमारियों से बचा लेगा। विल पॉवर, आत्म विश्वास आदमी के अंदर होना चाहिए और हैरानी है कि वो सबके अंदर है। लेकिन इंसान के दिमाग तक आने में देर लगती है। इंसान को अपने आत्मबल को बुलंद रखना चाहिए।

 इंसान को विश्वास और दृढ संकल्प लेकर चलना चाहिए

पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि इंसान को विश्वास और दृढ संकल्प लेकर चलना चाहिए तथा कभी घबराना नहीं चाहिए। वहीं पूज्य गुरु जी ने कहा कि अगर मुश्किलें ना आए तो आसानी का पता कैसे चलेगा और दुख ना आए तो सुख का पता कैसे चलता। किसी ने संत से पूछा कि अनामी में, निजधाम में, सचखंड, सतलोक में ऐसा क्या है कि वहां ना सुख है, ना वहां दुख है। तो वहां जाकर क्या करना है।

फिर संत ने कहा कि अगली बात तो सुन लें। तो फिर आदमी ने कहा कि बताओ। तो संत ने कहा कि वहां परमानंद है, ऐसा सुख है जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती, वहां सुख-दुख इसलिए नहीं कि दुख के बिना सुख की अनुभूति नहीं। इसलिए वहां परमानंद है। परमानेंट रहने वाली चीज। यानि परम आनंद। परम पिता परमात्मा के दर्श-दीदार का, उसकी रूहानी शक्तियों का, उसकी रूहानी पॉवर का, वहां हमेशा बहार छाई रहती है या यूं कहें कि तुफान छाया रहता है। इसलिए सुख में आत्मा नाचती रहती है और दुख का तो एहसास ही नहीं और सुख का एहसास कैसे हो। इसलिए वो जगह परमानंद है और हैरानी है कि वो भी आपके अंदर है। आप देख सकते है।

आत्मविश्वास सफलता की कुंजी है

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि एक संत हुए है महाराज पीपा नाम से, जो झालावाड़, भीलवाड़ा साइड के हंै। उनकी एक वाणी आती है जिसमें कहा गया है कि जो ब्रह्मांड में है वो शरीर में है। जो खोजे सो पावे। यानि गुरुमंत्र तो सबने ले लिया, अभ्यास कौन कर रहा है। क्लास तो सारे अटेंड करते है, लेकिन टीचर, मास्टर, लेक्चरर की सुनता कौन है, फिर रिविजन कौन करता है और सीरियस कौन है कि मैंने मेरिट हासिल करनी है। तो मेरिट वाले मैरिट ले जाते है, जो क्लास में पीछे खेलते रहते है वो घर में मुंह लटका के आ जाते है यानि फेल हो जाते है। तो इसमें प्रोफेसर, लेक्चरर की तो कोई गलती नहीं होती। संत, पीर, फकीर, गुरु, लेक्चरर, टीचर, मास्टर सबको पढ़ाते हैं, सबको सिखाते हैं, अब डिपेंड करता है आप पर कि आप अमल कितना करते है। संत-पीर फकीर आत्मबल बढ़ाने की शिक्षा देते है। ताकि आपके अंदर आत्मविश्वास आ जाए और आत्मविश्वास ही सफलता की कुंजी है। कोई भी सफलता, चाहे वो कोई भी बीमारी का इलाज हो, या बिजनेस, व्यापार में लाभ हो, या शारीरिक तंदुरूस्ती हो, या शारीरिक मजबूती हो, वो सब आत्मबल से आता है।

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