खान-पान कथनी-करनी का, देते हमें तरीका।
प्रेमी प्रेम-अदब से रहते, सीखें सही सलीका।
सीखें सही सलीका, रहे तन-मन स्वच्छ-स्वस्था।
सुख में खुश न दु:खी न दु:ख में, रहती एक अवस्था।
गुरु वचन सतगुरु दोऊ का, है सर्वोच्च स्थान।
जीवन-यापन दशा-दिशा, रहन-सहन खान-पान!!
“संजय बघियाड़ “
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