एक बार जरूर सुने ये वचन

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बरनावा (सच कहूँ न्यूज)। सच्चे, रूहानी रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने शाह सतनाम जी आश्रम, बरनावा (यूपी) से अपने अमृतमयी वचनों की वर्षा करते हुए फरमाया कि सबसे पहले यह बताना बहुत ही जरूरी है कि ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम सब का दाता है। हर किसी में वो रहता है। कोई जगह उससे खाली नहीं है। जहां तक निगाह जाती है जो हर जगह, हर समय और जहां निगाह नहीं जाती वहां भी वो रहता है। वो है ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु राम। ये तो मत सोचो कि वो जानता नहीं और ये भी मत सोचो कि आप उससे कुछ छुपा पाएंगे, क्योंकि वो परमपिता परमात्मा कण-कण में है, जर्रे-जर्रे में है, आपके अन्दर है।

बुराई का संग कभी मत करो

जब वो आपके अन्दर ही रहता है, तो फिर ये मत कहो कि वो मुझे देख नहीं रहा और कोशिश करो कि बुराई का संग कभी मत करो। कोई निंदा करता है, चुगली करता है, किसी को गालियां देता है, किसी को बुरा बोलता है तो आप कन्नी कतरा जाओ। हमारा रास्ता प्यार, मोहब्बत का है। बेग़र्ज मोहब्बत करो, बेग़र्ज प्यार करो, ये रास्ता है। इसलिए कौन क्या कहता है, क्या लेना, हमने क्या करना है, ये ध्यान देना जरूरी है। तो हमारा ये कर्तव्य, यही फ़र्ज बनता है कि हम ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम का नाम जपते रहें और उसकी बनाई सृष्टि की सेवा में जितना संभव हो, तन, मन, धन से सहयोग करते रहें।

क्या ऐसा पॉसिबल है कि माइंड विचार शून्य हो जाए

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि आदमी का दिमाग विचारों का भंडार है। तरह-तरह के विचार चलते रहते हैं। विचार शून्य दिमाग सिर्फ उनका होता है, जिनके कोई प्रेशर पड़ जाए या यूं कह लेते हैं कि दिमाग से पैदल हो जाए। दूसरे शब्दों में दिमागी बीमारी हो जाए। वो भी बिल्कुल शून्य नहीं होता, उसमें भी विचार, लेकिन उल्टे विचार, गलत ज्यादा चलते हैं। नासमझी के विचार ज्यादा चलते हैं। तो विचार शून्य नहीं होता। क्या ऐसा पॉसीबल है? कि माइंड विचार शून्य हो जाए, कि विचार कुछ देर के लिए स्टॉप हो जाएं, रूक जाएं, जी हाँ, ऐसा संभव है। हमारे सभी धर्मों के पवित्र ग्रन्थों में लिखा है, पवित्र वेदों में लिखा है कि अगर आप ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम का नाम जपेंगे, जब आप समाधि में जाएंगे, आपका ध्यान दोनों आँखों के बीच, नाक के ऊपर ललाट माथे की जगह पर जाएगा तो आप एक तरह से पूरे शरीर में से रूह को समेटकर यहां (ललाट में) लेकर आते हैं और जब विचार यहां एकाग्र हो जाते हैं तो उस समय लगभग-लगभग दिमाग विचार शून्य होने लगता है।

और जैसे ध्यान यहां आ गया, पूरी तरह से, एक छोटी सी लाइट, एक छोटा सा तारा, रोशनी नज़र आने लगी, आँखें बंद होने के बावजूद, उसका मतलब होता है कि अब आप विचार शून्य होने जा रहे हैं। आपका ध्यान 100 पर्सेंट लगने वाला है। और जैसे ही विचार जुड़ जाता है अन्दर की धुन से, हम सबके अन्दर ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम जी ने एक धुन, एक आवाज डोरी के रूप में छोड़ रखी है, जिसको पकड़कर जीवात्मा, रूह ऊपर चढ़ सकती है और वो रूह, वो आत्मा जैसे-जैसे इस द्वार से आगे बढ़ती है, जैसे-जैसे वो ऊपर चढ़ती है, वैसे-वैसे ही आदमी की आत्मा पवित्र होती है, विचार शून्य दिमाग हो जाता है और दिमाग की सफाई हो जाती है, दिमाग स्वस्थ हो जाता है। तो अपने दिमाग को विचार शून्य करने के लिए सुमिरन, भक्ति, इबादत, राम का नाम जपना जरूरी है।

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि राम का नाम जपने से, जरा सोच कर देखिये, थोड़े समय के लिए भी दिमाग विचार शून्य हो जाता है तो दिमाग में पावर बढ़ जाती है, आत्मबल जागने लगता है और आत्मबल के सहारे आप बुलंदियां छूने लगते हैं। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि क्या होता है जब आप वर्क करते हैं? कोई भी हार्डवर्क, चाहे वो दिमागी हार्डवर्क हो, चाहे शारीरिक हार्डवर्क हो, उसके बाद क्या चाहते हैं आप, थोड़ा आराम, कि शरीर को आराम मिल जाए। आत्मा को आराम मिल जाए, तो आप कभी सोचते ही नहीं, दिमाग को आराम मिल जाए, शरीर को आराम मिल जाए, फिजीकली आप थक जाते हैं। तो जरा सोच कर देखिये जो पूरे शरीर को चलाता है, जो पूरे शरीर में काफी हद तक कंट्रोल करता है अगर उस दिमाग को आराम मिल जाए, आराम के बाद जैसे ही आप जागते हैं कितने फ्रैश होते हैं, दिमाग उससे हजारों गुणा फ्रैश होगा और आपके अन्दर अच्छे विचारों को तांता लगा देगा।

पर सुन्न समाधि में जाना जरूरी, भक्ति-इबादत करना जरूरी। क्या ये सुन्न समाधि जो इतना हेवी वर्ड लगता है सुनने में, कोई बड़ा अलग से कोई बवंडर है, कोई बड़ी चीज है, जी नहीं, सुन्न समाधि का मतलब होता है अपने शरीर से आत्मा को समेटकर इस प्वाइंट (दोनों आँखों के बीच में ललाट) पर लेकर आना, और उसके लिए चलते, बैठके, लेटके, काम धंधा करते सुमिरन करो और जब सुमिरन पर कमांड हो जाए, शब्द आपकी जुबान पर चढ़ जाएं, तब पालथी मारकर बैठो मोर्निंग में सुबह सवेरे 2 से 5 के बीच में एक घंटा, शाम को खाने के दो ढाई घंटे बाद एक घंटा जाप करो।

पर आज का दौर ऐसा दौर है, यहां नकाबपोश बहुत हो गए हैं, दिखावा कुछ और, सोच कुछ और, करना कुछ और, दिखना कुछ और। तो वो भगवान, राम, ओउम, हरि, परमात्मा इतना भोला नहीं कि आपकी नकाबपोशी को ना देखे या आपके दोगली चीज को ना देखे। परमपिता शाह सतनाम जी महाराज फरमाया करते थे, ‘‘एडा भोला खसम नहीं जेहड़ा मकर चलित्र ना जाणे’’, कि वो भगवान, वो राम, वो सतगुरु-मौला, ईश्वर इतना नादान नहीं है कि वो आपके मकर चलित्र को ना पहचान पाए, कि आप दिखने में क्या हैं? और असलियत में क्या हैं? ये अलग बात है कि ना तो भगवान किसी को पर्दा उठाता है और ना ही उसका कोई संत, पीर-फकीर, अवतार पर्दा उठाता है। लेकिन जैसे कर्म करोगे, आज नहीं तो कल सामने आएंगे और भरने पड़ेंगे। पाखंडों में मत पड़ा करो, हमेशा ध्यान रखो। एक तो दिखावा मत करो, ढोंग-ढकोसले नहीं होने चाहिए, एक पाखंडवाद, बड़े पाखंड हैं। आपने सुने ही होंगे, हमने तो अपनी आँखों से देखे हैं। बड़े पाखंड हैं, छींक मार दी उसका पाखंड है। इस दिन नहाना नहीं उसका पाखंड है। आजकल तो क्योंकि न्यू जैनरेशन, नए-नए बच्चे आ गए हैं, नए-नए पाखंड भी शुरू हो गए हैं। इसको काले कुत्ते को, पीले कुत्ते को, सफेद कुत्ते को खाना खिलाना, बिल्ली को खाना खिलाना, ऊँट को पता नहीं किस-किस को।

वैसे अच्छी चीज है अगर खिलाओ तो। बढ़िया बात है अगर आप पालतु जीवों को रखते हैं और उनको खिलाते हैं। लेकिन अगर पाखंड रूप में, कि भई में एक दिन बाद, दो दिन बाद, तीन दिन बाद, अलग-अलग दिन रखे होते हैं, कि फलां जाकर ये करना है, फलां जाकर ये। देखा हमने अपने गाँव में ये चीजें होते हुए। घर वाला बाबा, खेत वाला बाबा, सांझा बाबा, होता कुछ नहीं थोड़ा सा खड्ढा खोदा, उसमें कच्ची लस्सी चढ़ाना। एक बार हमने बुजुर्ग से कहा कि ये कच्ची लस्सी क्यों चढ़ा रहे हो जी, प्योर क्यों नहीं चढ़ाते, क्या आप सोचते हो कि जिसको आपने बाबा बनाया है वो प्योर, मतलब चार र्इंटें थी और दो र्इंटें ऊपर थी, क्या आप सोचते हो कि बाबा के प्योर दूध पचेगा नहीं। तो वो कहने लगे सज्जन, ऐसा कुछ नहीं है यार, दूध घर में कम है, अब बाबा ने कौन सा मीटर लगाकर चैक कर लेना है, 100 ग्राम दूध है, 400 ग्राम पानी है, बाबा को चढ़ा देंगे, बाबा खुश और हम भी खुश। नियत में जब खोट है, कहीं कुछ भी करते फिरो, मिलना क्या है? सो कहने का मतलब इतने पाखंडी लोग हैं। और आप हैरान हो जाओगे, ये एक नई चीज चली है, जो हमने बच्चो से सुनी, वास्तुशास्त्र, हमें नहीं पता कि वो सही है, हम उसकी निंदा नहीं करते। पर हम सिर्फ इतना हाथ जोड़कर पूछना चाहेंगे दिल्ली, मुंबई, बड़े-बड़े महानगरों में जिनके दरवाजे ही दक्षिण की तरफ हैं और वो करोड़ों पति हैं, तो वो करोड़पति कैसे हो गए आपके अकोर्डिंग।

घर में खोट है, घर तीखा है, उल्टा है, सीधा है, नीचा है। एक इंच धरती की नहीं है जहां कोई न कोई ना दफनाया गया हो, जब से सृष्टि साजी है, एक इंच जगह। या तो जलाया गया या तो दफनाया गया जब से सृष्टि साजी है। तो इस हिसाब से तो आपको हवा में घर बनाना चाहिए। हवा में भी कोई न कोई गड़बड़ हो जाएगी। हवा इधर की क्यों चलती है, इधर की चलनी चाहिए, वो तो बस में नहीं है आपके, वरना इस पर भी कोई न कोई पाखंड आ जाता। तो मत पड़ा करो इन पाखंडों में। लोग अपने सुख-शान्ति को तिलांजलि दे देते हैं सिर्फ पाखंडवाद की वजह से। कोई सज्जन आया, नहीं तेरे घर में खोट है, इसमें ये दबाना पड़ेगा, अरे फिर कैसे निकल जाएगा भाई। किसी की कोई चीज दबाने से खोट निकलते तो फिर तो हर कोई उसको दबाए और वो अरबोपति बन जाए। तो ये फिजूल की बातें हैं। सार्इं जी के समय से हर समय ये चर्चा करते रहे कि सच्ची बात ये है कि कर्म अच्छे करो, विचार शुद्ध रखो तो कुछ पाखंड करने की जरूरत नहीं, भगवान जी आपका साथ जरूर देंगे, हर जगह देंगे। तो हम किसी का बुरा कभी नहीं कहते, लेकिन लॉजिक तो होना चाहिए कुछ न कुछ, बिना लॉजिक के। और धर्म हमारे लॉजिक के इतने खरे हैं जो लिख-बोलकर बताया ही नहीं जा सकता। तो धर्मों की बात को सुनो, अमल करो, यकीन मानो जरूर खुशियां हासिल करोगे, जरूर भगवान की कृपा के पात्र बनोगे।

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