तेरे नूर-ए-जलाल से रोशन है सारा जहाँ
हर शै में तू, मौला तू ही तो है यहां और वहाँ।
तेरा अथाह प्यार पाने हम सदा तकते तेरी राह
तूने पास बुलाकर अपना बनाकर थामी है हमरी बाँह।
बसाकर दिल में तुझे संवर गए हैं मेरे दोनों जहाँ।
तेरे थे तेरे हैं और तेरे ही रहेंगे की रखेंगे चाह बेपनाह।
मेरे साईं सतगुरु का नूरे जलाल है बड़ा बेमिसाल
रूहानी प्यार पाकर सतगुरु का रहता न कोई और ख्याल।
साईं! नूरी दर्श तेरे से बड़ा करार आए
नजरे कर्म पर तेरे हम जान वार जाएं।
दाता तू बड़ा मेहरों वाला है
तेरा अंदाज बड़ा ही निराला है
तेरी अजब अदाओं ने जादू कर डाला है
दीन दु:खियों का तू रखवाला है,
तेरा प्यार पाता बडा भागो वाला है।
बृजेश कुमार इन्सां, ब्लॉक प्रेमी सेवक, रुड़की (हरिद्वार)
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