हर दिन बुराई छोड़ें और अच्छाई का प्रण लें : पूज्य गुरु जी
28 जनवरी का प्रण
- कभी किसी पर टोंट नहीं कसेंगे, जिससे उसका दिल दुखे। अगर ऐसा होता है तो उससे माफी मांग लेंगे।
बरनावा। (सच कहूँ न्यूज) सच्चे दाता रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने शनिवार को शाह सतनाम जी आश्रम, बरनावा से ‘आॅनलाइन गुरुकुल’ के माध्यम से अपने अमृत वचनों की वर्षा की। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि मालिक की प्यारी साध-संगत जीओ जैसा आपको पता है कि अवतार महीना चल रहा है। आप सबको अवतार महीने की बहुत-बहुत बधाई हो, मालिक खुशियां बख्शें, दया-मेहर, रहमत से नवाजें। हर दिन आप कुछ-न-कुछ बुराई छोड़ते रहें और कुछ-न-कुछ अच्छाई ग्रहण करने का प्रण लेते रहें, यही मालिक से दुआ है और मालिक आपकी झोलियां भरता रहे।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि सतगुरु, मौला, दाता रहबर ने जो रंग-बिरंगी फुलवारी सजा रखी है, जिसमें ये संसार, त्रिलोकी है और बहुत सी त्रिलोकियां हैं। कई बार इन्सान यह नहीं समझ पाता कि त्रिलोकी कहा किसे जाता है। लोग सोचते हैं आसमान, धरती और पाताल, इसी का नाम त्रिलोकी है। जी नहीं, त्रिलोकी का मतलब होता है तीन तरह के शरीर जहां पाए जाते हों, अस्थूल काय, कारण काय और सूक्ष्म काय। अस्थूल-जो दिखने में आते हैं, हम सब लोग, पेड़-पौधे, पशु, पक्षी, परिंदे, कीड़े-मकौड़े और सूक्ष्म-जो दिखने में नहीं आते, उदाहरण के तौर पर बैक्टीरिया कह लें, वायरस कह लें और पता नहीं कितने जीव होंगे। कारण काय में देव-फरिश्तों के शरीरों को माना जाता है, जो अपनी इच्छा अनुसार छोटे-बड़े हो सकते हैं।
अपनी इच्छानुसार रूप धारण कर लेते हैं, तो वो कारण काय शरीर माना जाता है। कारण काय एक शरीर वो भी होता है जब आत्मा को आगे जाकर सजा भी सुनाई जाती है और उस शरीर को धारण करके उसके अनुसार खुशी या कर्मों के अनुसार वैसा अनुभव करवाया जाता है। तो जहां पर ये तीन तरह के शरीर पाए जाते हैं, उसे त्रिलोकी कहा जाता है। हमारे पाक-पवित्र धर्मों, वेदों और सभी धर्मों के पवित्र ग्रन्थों में साफ लिखा है कि ये एक त्रिलोकी है, ऐसी सैकड़ों त्रिलोकियां हैं। तो साइंस को ये चैलेंज है कि आप अभी तक एक नहीं ढूंढ पाए और हमारे संत, पीर-फकीरों, गुरु-महापुरुषों ने ये पहले ही लिख दिया है कि सैकड़ों जगह जिंदगी है और तीन तरह के शरीर सैकड़ों जगह पाए जाते हैं। तो एक दिन आप (साइंस को मानने वाले) जरूर आ जाओगे, क्योंकि आप आॅलरेडी कई बातों को मान चुके हो।
शायद आपको बुरा लगे, लेकिन सच तो सच है, बहुत से उदाहरण हैं, बैक्टीरिया वायरस आप 1850 या 1890 में ढूंढा होगा, साइंस का सन थोड़ा आगे पीछे हो सकता है, लेकिन पवित्र वेदों में हजारों या लाखों साल या करोड़ों साल पहले बताया जा चुका है। अगर कहते हैं कि फलां जीव, करोड़ों साल से सर्वाइव कर रहा है तो धर्मानुसार वेद तो उससे पहले से हैं। अगर आदमी के अनुसार कह लो, प्रलय के बाद तो कम से कम हजारों साल बाद, तो उसमें ये लिखा हुआ है कि अति सूक्ष्म और सूक्ष्म जीवाणु और कीटाणु होते हैं, आपने उसको भी मान लिया, जो पहले नहीं माना था। फिर धर्मों में बताया गया कि लाखों चन्द्रमा, लाखों सूरज, नक्षत्र, ग्रह होते हैं। साइंस ने मजाक उड़ाया कि नहीं जी, ऐसा तो होता ही नहीं।
लेकिन अब खगोल शास्त्री ये मान चुके हैं कि थोड़ी सी जगह में हमने रिसर्च किया तो वहां पर वाकयी ही हमें बहुत से सूरज मिल गए, चन्द्र मिल गए और नक्षत्र मिल गए, मतलब धर्म सच कहते हैं। फिर मजाक उड़ाया गया कि कृष्ण जी के पास ऐसी कौन सी शक्ति थी, जो उन्होंने संजय को दे दी, जो कुरुक्षेत्र में युद्ध का बयान हस्तिनापुर में बैठा-बैठा बता देता था। तो अब तो आपको (साइंस के नाम पर अड़ने वालों) शर्म आनी चाहिए उसको झूठ बताते हुए। क्योंकि यहां बैठे-बैठे हमारे सामने यूएसए के लोग भी बैठे हैं, कनाडा के लोग भी बैठे हैं और हम बिल्कुल आमने-सामने सारा कुछ देख रहे हैं। अब तो मानोगे कि ये आपके मोबाइल वाला सिस्टम उनके पास पहले ही था, कोई रंग अलग तरह का हो सकता है। लेकिन मान तो गए ऐसा हो सकता है।
पहले मजाक उड़ाते थे
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि धर्मों और विज्ञान की अगर बात करें तो धर्म हमारे महा विज्ञान हैं या यूं कहें कि वो समुन्द्र हैं और उसमें से एक पतली सी निकली हुई नदी है विज्ञान। और विज्ञान कुछ अलग से पैदा नहीं हुई है। आपने धर्मों में से ही सारा सामान लिया है। चैलेंज है आपको (साइंस वालों को) कि बताइए आपके पास ऐसी कौन सी चीज है जो आपने धर्मों से नहीं ली, आपने अलग से कुछ बनाया हो। लेकिन आपको बता दें कि धर्मों में ये लिखा हुआ है कि सूरज की रोशनी ही नहीं बल्कि चन्द्र की रोशनी से खाना बनाया जाता था। आपको ये भी बता दें कि हाथ रखते ही जैसे आप ट्रेडमील पर अपनी हार्ट बीट या ब्लड प्रेशर, इन चीजों को देख लेते हैं, ये बताया गया है कि ऐसे विमान होते थे जो आपकी सोच और ध्वनि से चला करते थे, सांउडलैस होते थे और जहां मर्जी उतार लो, जहां मर्जी उड़ा लो, कितना भी ऊँचा लेकर जाना है, यानि आपके माइंड (दिमाग) से कनेक्टिड (जुड़े) थे।
तो अभी तक तो आपके पास नहीं है, कल को बनाकर कह दो कि हमने नई चीज बना ली। आपको बता दें कि आप कितने पीछे हैं और धर्म कितने आगे हैं। मानो या ना मानो उसका कोई कुछ नहीं कर सकता। को मानू नी, तो वो तो भई आप मर्जी के मालिक हैं मत मानो। अब एक जमींदार था, बेचारा अनपढ़ था, खेत में काम कर रहा था। पुराने समय की सच्ची बात है। पढ़ा-लिखा लड़का उसके पास चला गया। किसान इंग्लिश के थोड़े-थोड़े अक्षर जानता था तो उस लड़के से कहने लगा, बेटा! कितना पढ़ लिया। लड़का कहने लगा कि जी बीए हूँ। किसान कहता-मूर्ख। लड़का कहता क्यों? तो किसान कहने लगा कि दो अक्षर पढ़ा है और वो भी उलटे। ए, बी होता है बीए थोड़ी होता है। अब वो लड़का कहे कि जी नहीं बीए होता है, मैं बीए करके आया हूँ। किसान कहता कि नहीं…नहीं…ए, बी होता है, मैंने सुना ही नहीं कभी। ‘बी’ कैसे आ गई ‘ए’ से पहले। पहले ‘ए’ आएगी। करलो क्या करलोगे। तो आप में भी बीए, एबी हो सकता है।
पर मानना तो पड़ेगा ही आज नहीं तो कल। धीरे-धीरे मानोगे। साइंस बहुत स्लो है, धर्म बहुत फास्ट हैं। बहुत पहले बता चुके हैं बहुत सारी चीजें। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि ये हम पर बेपरवाह जी का अरबों-खरबों गुणा रहमोकरम है कि हम इन चीजों को अनुभव कर चुके हैं, कि हाँ, ऐसा था। कैसे कर चुके हैं? मेडिटेशन के द्वारा। क्या आप कर सकते हैं? हाँ 100 पर्सेंट। कैसे कर सकते हैं? मेडिटेशन ले लो। फिर क्या होगा? अभ्यास करना होगा। क्या आपने किताबें पढ़े बिना डिग्रियां हासिल कर ली? ये तो हो सकता है पॉसीबल हो, मेज के नीचे से। लेकिन ऊपर से तो पढ़कर ही की हैं। लेकिन इधर आपको मेडिटेशन में अभ्यास करना होगा, तभी ये चीजें अनुभव होंगी। और छोड़िये, हम उस युग में जाकर हम उस चीज को देख सकते हैं, जो टाइम मशीन बना रखी हैं, फिल्मों में देखा होगा, कहानियों में सुना होगा, ये हकीकत है।
आत्मिक तौर पर वहां जाया जा सकता है। उसको जिया नहीं जा सकता है, उस काल में क्या हुआ था, ये देखा जा सकता है। उस काल को दोबारा लाया नहीं जा सकता है, लेकिन उस काल में जो-जो घटनाएं हुर्इं थी, वो एक पिक्चर की तरह लाइव दिख सकती हैं। इतनी शक्ति है मेडिटेशन में। आपको झूठ लगता है तो करलो मेडिटेशन। बड़े से बड़े सार्इंटिस्ट को चैलेंज है, कोई भी आ जाए, हम मैडिटेशन बता देते हैं, जो तरीका हम बताएंगे उसके अनुसार मेडिटेशन कर लेना, रिजल्ट ना आए तो कह देना झूठे हो, सारी दुनिया के सामने कह देना। क्योंकि हमने अनुभव किया है, जीते जागते उदाहरण हैं हम, दूसरे पर यकीन क्यों करें, जब हमने खुद कर रखा है ये। कैसे कर रखा है? वो मेडिटेशन ही है और कोई तरीका नहीं। कौन करवाने वाला है? शाह सतनाम, शाह मस्तान, हमारे गुरु, दाता, रहबर, मालिक। इसलिए तो उनको हम कुल मालिक कहते हैं। सारा अनुभव उन्होंने दिया है, सब कुछ उन्होंने करवाया है।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि क्या आप इन चीजों पर यकीन नहीं करते कि आदमी उड़ सकता है। आप कोशिश तो कर रहे हैं। कईयों ने ऐसे-ऐसे प्रयोग कर रखे हैं और करने में लगे हुए हैं कि आदमी के पंखा लगा रखा है बड़ा सा और वो उड़ते हुए देखा होगा आपने। शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर फोर्स विंग का एक प्रोग्राम हुआ था, उसमें भी एक सज्जन उड़े थे ऐसे। फूलों की वर्षा की थी। सेवादारों को तो ये बात याद ही होगी। और आजकल तो कई जगहों पर ऐसा करवाते हैं, अनुभव करवाते हैं, मतलब आदमी उड़ता तो है। पर हम आपको बता दें कि ये तो कुछ भी नहीं है आपका अडंगा, इतना कुछ बांधना पड़ता है।
मैडिटेशन से बिल्कुल इन्सान उड़ता है और आत्मिक तौर पर उड़ता है और अपने आप को अगर सिद्ध कर लिया जाए तो बॉडी भी जमीन से उठने लगती है। ये हकीकत है। झूठ लगता है तो आ जाओ, तरीका हम बताते हैं, करना पड़ेगा मेडिटेशन, टाइम तो देना पड़ेगा। अब जहाज बनाने में भी तो टाइम लगा होगा शुरूआत में। कितनी बार गिरे होंगे, पड़े होंगे, क्या-क्या हुआ होगा। तो ऐसे मेडिटेशन में गिरोगे-पड़ोगे नहीं, ये पक्का है। सेफ रहोगे 100 पर्सेंट। लेकिन गुरुमंत्र, कलमा, मैथड् आॅफ मेडिटेशन करना पड़ेगा। गुरुमंत्र के बिना नहीं हो सकेगा।
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