तड़पे जिनकी याद में जर्जर होया गात।
रोयी अकेली आँख ना, झर-झर रोया गात।
झर-झर रोया गात, साथ में धरती अम्बर।
टप-टप पड़ती बूंद, मेघ भी बरसे झरझर।
उमड़ी गंग-तरंग उमंग, बिरहा के हड़ पे।
आयी खुशी अब उसी की, जिस लिये थे तड़पे।
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