PathanKot, SachKahoon News: जम्मू कश्मीर और हिमाचल की धौलाधार की पहाड़ियों पर हुए भारी हिमपात के बाद पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के चलते कंडी इलाका में भी रूकरूक कर हो रही हल्की फुहारों से ठिठुरन बढ़ी है। इससे जनजीवन तो प्रभावित हुआ है। यह मौसम की तब्दीली कई मायनों में लाभदायक है एक तो इस समय गेहूं की बिजाई लगभग पूरी हो चुकी है और अब इसका फायदा गेहूं की खेती को मिलेगा। गेहूं को ठंडे और नम मौसम की जरूरत होती है ऐसे मौसम में ही गेहूं के पौधों की बढ़ोतरी ज्यादा होती है। यह मौसम दलहनी फसलों जैसे चना, मसूर, मटर, तिलहन फसलों और चारे की वरसीम के लिए भी उत्तम है।
कृषि विकास अधिकारी डॉ. अजर कंवर का कहना है जिस गेहूं की फसल को बोए हुए 21 दिन हो जाएं, उसकी सिंचाई के बाद नाट्रोजन खाद यूरिया का इस्तेमाल करना चाहिए। जिन खेतों में खरपतवार हो उनमें खरपतवारनाशी दवाइयों का स्प्रे करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि किसान प्याज आदि की पनीरी को कोहरे से बचाएं। कमाही देवी डॉ. रविंद्र सिंह का कहना है की बढ़ती ठंड से छोटे बच्चों और बुजुर्गों को बचाएं क्योंकि इस मौसम में खांसी-जुकाम, निमोनिया तथा अस्थमा की शिकायत बढ़ जाती है। उन्होंने कहा सर्दी में हृदय रोगी, मधुमेह और ब्लड प्रेशर के मरीज खास एहतियात बरतें और डॉक्टर की सलाह से दवाई लें। वहीं इन दिनों धुंध का प्रकोप बढ़ने से सड़क दुर्घटनाएं बढ़ जाती हैं इसीलिए सड़क पर धीमे चलें और सावधानी रखें।