सेवा कार्यां के चलते हमेशा रहेंगे स्मरणीय : पवन इन्सां
- डेरा अनुयायियों का हर कदम परहित को समर्पित : सरपंच
ओढां (सच कहूँ/राजू)। अंतिम समय में लोग अपनी चल-अचल संपत्ति के बारे में इच्छा जाहिर करके जाते हैं। लेकिन डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी अपने गुरु की प्रेरणाओं पर चलते हुए शरीरदान की इच्छा व्यक्त करके जाते हैं। जिसके बाद परिजन उनका पूरा शरीर मेडिकल शोध के लिए इंसानियत हित में दान कर देते हैं। ऐसे महादान के लिए शरीरदानी हमेशा समाज में स्मरणीय रहते हैं। शरीरदानियों की इस फेहरिश्त में एक नाम और शामिल हुआ ब्लॉक रोड़ी के गांव बप्पां निवासी दीवानचंद इन्सां का। दीवानचंद की मृत देह इलाही नारों के बीच फूलों से सजी गाड़ी में रुखस्त कर दी गई।
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गांव बप्पां निवासी 88 वर्षीय दीवानचंद इन्सां मंगलवार सुबह हृदय गति रुकने से सचखंड जा विराजे। दीवानचंद इन्सां ने पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज से नाम शब्द लिया हुआ था। उनके मरणोपरांत उनके पुत्र भीमसैन इन्सां ने उनकी मृत देह नेशनल केपिटल रीजन इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंस मेरठ को दान कर दी। सचखंडवासी को अंतिम विदाई देने हेतु शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के सदस्य, साध-संगत व अनेक गणमान्य लोगों सहित बड़ी संख्या में भीड़ मौजूद रही। दीवानचंद इन्सां को गांव बप्पां के चौथे शरीरदानी के रूप में हमेशा याद रखा जाएगा।
बेटा ने किया पिता की अंतिम इच्छा को पूरा :-
भीमसैन इन्सां ने बताया कि उनके पिता ने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणाओं पर चलते हुए मरणोपरांत शरीरदान करने के लिए प्रतिज्ञा पत्र भरा था। उन्होंने ये जीते-जी ये इच्छा जताई थी कि मरणोपरांत उनकी मृत देह मेडिकल शोध कार्यां हेतु दान कर दी जाए। इसी के चलते उन्होंने अपने पिता की अंतिम इच्छा को पूरा किया है। ब्लॉक भंगीदास पवन इन्सां ने बताया कि दीवानचंद इन्सां ब्लॉक के कर्मठ सेवादारों में गिने जाते थे। वे शाह सतनाम जी ग्रीन-एस वैल्फेयर फोर्स विंग के सदस्य थे।
उन्होंने बताया कि दीवानचंद इन्सां ने अनेक लोगों को डेरा सच्चा सौदा से जोड़ते हुए उन्हें बुराइयों से दूर किया था। वे हर माह एक सप्ताह शाही कैंटीन में सेवा के लिए जाते थे। उक्त सेवा वे पिछले 40 वर्षां से कर रहे थे। कैंटीन सेवा से आने उपरांत वे बप्पां नामचर्चा घर में सेवा में जुट जाते थे। मंगलवार सुबह उन्होंने सुमिरन में समय लगाया और रोजमर्रा के अनुसार सेवा में जुट गए। इसी दौरान हृदय गति रुकने से वे सचखंड जा विराजे।
फूलों से सजी गाड़ी में दी अंतिम विदाई :-
दीवानचंद इन्सां को अंतिम विदाई देने हेतु शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के सदस्य, साध-संगत, गणमान्य लोग व काफी संख्या में लोग पहुंचे। साध-संगत ‘सचखंडवासी दीवानचंद इन्सां अमर रहे’ के नारे लगाकर व सैल्यूट कर उनकी मृत देह को फूलों से सजी गाड़ी में रुखस्त कर दिया। इससे पूर्व डेरा सच्चा सौदा की मुहिम बेटा-बेटी एक समान के तहत उनकी अर्थी को कंधा देने की रस्म उनकी बेटियों शकुंतला इन्सां, अंजूबाला इन्सां, सोनी इन्सां व लता इन्सां ने निभाई। उनकी शव यात्रा विभिन्न जगहों से होकर गुजरी।
दीवानचंद इन्सां के परिजनों ने उनका शरीरदान कर जो महान कार्य किया है उसकी मैं सराहना करती हूं। समाज में ऐसे उदाहरण बहुत कम देखने को मिलते हैं। डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों का हर कदम परहित को समर्पित है। देह दान से न केवल मेडिकल के विद्यार्थियों को शिक्षा में मदद मिलेगी बल्कि समाज में भी जागृति आएगी। आज के स्वार्थी समय में जहां लोग बिना मतलब किसी से बात करना भी उचित नहीं समझते वहां नि:स्वार्थ भावना से मेडिकल शोध के लिए शरीर दान कर देना अपने आप में एक बड़ी मिसाल है।
ममता रानी, ग्राम सरपंच
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